by Major Krapal Verma | Jul 5, 2018 | From The Books, Uncategorized
गज़ब के गबरू ज़बान हो !! उपन्यास अंश :- प्रात: होते ही आँख खुल जाती है ! मैं आदतानुसार सर्व प्रथम गुरु जी को प्रणाम करता हूँ . उन का स्मरण करता हूँ और उस के बाद …परमात्मा का ऋण चुकाता हूँ . मैं उठा हूँ और बारादरी के बाहर आ गया हूँ . ये बारादरी न जाने क्यों...
by Major Krapal Verma | Jun 3, 2018 | From The Books
जान बची तो लाखों पाए !! उपन्यास अंश :- टम-टम को लिए घोड़े भागे जा रहे थे ! पर मैं था कि आज उड़ना चाहता था . मैं चाहता था कि आसमान में ऊँचा जा उठूं …..और फिर अपननी पूरी सामर्थ लगा कर उडू और सरपट उडता हुआ ….शीघ्रातिशीघ्र दिल्ली पहुँच जाऊं ….और देखूं कि...
by Major Krapal Verma | Apr 29, 2018 | From The Books
अब दिल्ली दूर नहीं !! उपन्यास अंश :- अपने इष्ट की तरह मैंने अंत में केसर को याद किया था …..अपनी प्रेमिका को ही पुकारा था !! “यही तो पाठशाला है , पागल !” केसर हंस रही थी . “कौनसी मौत आएगी …?” उस ने मुझे उल्हाना दिया था . “आदमी...
by Major Krapal Verma | Dec 9, 2017 | From The Books
बोधन कौन था ….? ये क्या हुआ …? मेरे हाथों में लगे हिन्दू राष्ट्र के धर्म-ध्वज को किस ने छीन लिया ? “योगी जी हैं !” उत्तर आया है . “उत्तर प्रदेश के मुख्य -मंत्री हैं .” इन का परिचय मैंने सुना है . और मैंने सुना भी है कि योगी...
by Major Krapal Verma | Nov 11, 2017 | From The Books
हिन्दू राष्ट्र का धर्म-ध्वज !! मेरे हाथों में हिन्दू-राष्ट्र का धर्म-ध्वज फहरा रहा है ….फर्र्र…फर्र्र …फरर …फरर ! मेरी जुबान पर ‘जय- भारत’ का नारा धरा है ! मेरी आँखों में वही स्वप्न लहक रहा है – जो मैंने आज से शादियों पहले...
by Major Krapal Verma | Jun 30, 2017 | From The Books, Uncategorized
भोर का तारा !! युग पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा ! उपन्यास अंश :- “ये है , कौन …?” हर मंच से विरोधियों की ललकारें आ रही थीं। “ये है , क्या …? इस की जात क्या है , जी ? पूछो तो ..इस से कि …ये क्वाँरा है ….या कि शादी-शुदा...