Chaukhat

 गुनाहों का गढ़ ! मुझे तो कुछ आता -जाता नहीं ! न जाने क्यों मैं एक ही चौखट पर आँख गढ़ाए कुत्ते की तरह ….गिरारे में बैठा रहा -आजन्म ! मालिक ने लात मार कर भगाया है तो अब एहसास हुआ है …कि मुझे कुत्ते की वफादारी से अलग – मनुष्य की वफादारी पर मनन करना चाहिए...

Haar- Jeet !

मुझे मत चुनो !! मैं जीतने के लिए ही तो हारा था ! यों तो सब कुछ लुट चुका था। सब कुछ बदल चुका था।  न वो नाम था  ….न वो गांव ! न वो हवा थी  …न आसमान।  यहाँ तक कि रास्ते भी नए थे।  एक भ्रम था  …विभ्रम था  …अनजान-सा एक संसार था  -जिस के बीचोँ -बीच...

Billi Darbaar

मैं बिल्ली हूँ ! “मैं बिल्ली हूँ ! मैं चाहूँ तो आज दिल्ली को बया के घोंसले की तरह फाड़ कर फ़ेंक दूँ !!” वह रुकी थी. “और हाँ, अगर मैं न चाहूँ तो  ….एक पत्ता तक न हिलने दूँ. विरोधियों की क्या मज़ाल जो  …” “वो कह रहे हैं  …कि...

Looking for a job !

मुझे कुछ आता-जाता नहीं ! भाई, मुझे तो कुछ आता-जाता नहीं ! और न ही अपनी अकल काम करती है ! समाज की व्यवस्था की इतनी बुरी  दशा शायद  …चमड़े के सिक्के चलानेवाले शहंशाह के ज़माने में भी न रही हो।  कौन जाने  – क्या हो गया है ! देखो,   अपने इन नौरंगी लाल को !...

Samajbad

आंसू बुरा न मानें :- आज मेरी आँखों में आंसू हैं ! रोना इस समाजबाद का है. इस के लिए ही रोना है. क्योंकि आज यही आँख की कोर  में आकर बैठ गया है. यही तो है – जिस ने सारे राजनैतिक समीकरण फ़ैल करदिए हैं. सारा गेम खराब करदिया है  ….और हमारा बनाबनाया बानक खराब...

Daldal

संग्राम बुरा न मानें – आप ही क्यों , मैं भी तो आप की तरह ही इस दलदल में धंस कर देखना चाहता हूँ कि  …आखिर ये माज़रा क्या है ? जो आदमी पूरी उम्मीद के साथ  …जोशो-खरोश में  और मुठियाँ कस कर  …इस दलदल में उतरता है  …और कहता भी है कि वो दंगल...