by Major Krapal Verma | Jun 5, 2023 | जीने की राह!
अमरपुर आश्रम को अपनी समाज सेवाओं के क्षेत्र में अद्भुत सफलताएं मिली थीं। जहां एक ओर संस्कृत महाविद्यालय देश के युवाओं को मुफ्त में शिक्षा प्रदान कर रहे थे और साहसी और चरित्रवान नागरिक बना रहे थे वहीं श्रावणी मां औषधालय आयुर्वेद के प्रचार प्रसार के साथ साथ मुफ्त सेवाएं...
by Major Krapal Verma | Jun 3, 2023 | जीने की राह!
श्री राम शास्त्री भी लौट आए थे। एक बेजोड़ सफलता कांख में दबाए वो अमरपुर आश्रम के आभारी थे। नई जीने की राह जो उन्होंने गही थी – उसने उन्हें स्वर्ग दिखा दिया था। “सच कहता हूँ अमरीश जी आश्रम में आने के बाद ही मेरी आंखें खुलीं। नौकरी ने तो मुझे निकृष्ट और...
by Major Krapal Verma | May 31, 2023 | जीने की राह!
एक शुभ जैसी संभावना बन वंशी बाबू का अमरीश विला में आगमन हुआ था। अमरीश जी, सरोज सेठानी, अविकार और अंजली हर्षोल्लास से भर उठे थे। आश्रम छोड़ कर आने में जो अपार कष्ट हुआ था – उसे उन्होंने मौन धारण करके सहा था। कोई एक शब्द भी नहीं बोला था। जबकि अमरपुर आश्रम आज भी...
by Major Krapal Verma | May 29, 2023 | जीने की राह!
उस रात स्वामी पीतांबर दास और गुलनार सोए नहीं थे। उन्होंने सारे जहान को आज जागते देखा था – साथ-साथ। गुलनार चंद्रप्रभा में स्नान करके लौटी थी। भीगे गेसुओं को उसने कंधों पर सजाया हुआ था। सपाट उज्ज्वल चेहरा सुबह के पवित्र प्रकाश में और भी उजला लग रहा था। स्वामी...
by Major Krapal Verma | May 27, 2023 | जीने की राह!
सुबह के चार बजे थे। पुलिस की दबिश अमरपुर आश्रम आ पहुंची थी। आश्रम में बाय बेला मच गया था। पुलिस ने आश्रम को चारों ओर से पंजे में ले लिया था। जो जहां था – वहीं रोक दिया गया था। वंशी बाबू पुलिस की मदद करने में व्यस्त थे। उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर गौतम को स्थिति से...
by Major Krapal Verma | May 23, 2023 | जीने की राह!
“मुझे वो पल – एक अनूठा पल, एक अनोखा पल आज भी याद है स्वामी जब मुझे विश्वास ही न हुआ था कि जो मेरी आंखों के सामने था – वो सच था! मैं तो .. मैं तो बौरा गई थी, पागल हो गई थी और अनवरत तुम्हारी आंखों में घूरती रही थी – चाहती रही थी कि ये पल मिटे...