जंगल में दंगल संकट बारह

जंगल में दंगल संकट बारह

भोली होती जंग को स्थिर हुई आंखों से देख रही थी। उसके दो दुश्मन लड़ रहे थे। दोनों के बीच में आना उसे उचित न लगा था। पृथ्वी राज और तेजी दोनों प्रसन्न थे। उन्हें नकुल की जीत होने में कोई संदेह था ही नहीं। अखाड़ा बने आंगन में अब वार पर वार होने लगे थे! नकुल ने वार बचाया...
जंगल में दंगल संकट ग्यारह

जंगल में दंगल संकट ग्यारह

पृथ्वी राज आज पहली बार जैसे उजालों में आया था। किलों में रह रह कर उसकी दृष्टि का कबाड़ा हो गया था। अंधकार में रहना भी पाप है – उसने सोचा था! आदमी का ये ज्ञान विज्ञान ही तो है – जो वह सबसे आगे है – तेजी सोचे जा रही थी। वरना तो ये बे शऊर संतो उसके...
जंगल में दंगल संकट दस

जंगल में दंगल संकट दस

भोली का भूख के मारे बुरा हाल था। लेकिन आज वह संतो का दिया न खाना चाहती थी। यों तो संतो सेठानी के यहां भण्डार भरे रहते थे। सेठ धरमदास शहर का जाना माना व्यापारी था। कई पुश्तों से ये लोग दिल्ली में रहते आ रहे थे। सेठ की आई गई का छोर ने था। संतो ने भोली को बचपन से ही मुंह...
जंगल में दंगल संकट नौ

जंगल में दंगल संकट नौ

“महाबली हुल्लड़ की जय!” पोखर से बाहर आकर टेंटू मेंढक टर्राया था। “महारानी तारा मति जिंदा बाद!” अन्य अनेकों मेंढकों ने सुर भरे थे। सारा उपवन एक साथ सजग हो उठा था! “हमारा और आपका तो हमेशा से एका रहा है!” टेंटू कह रहा था। “लेकिन...
जंगल में दंगल संकट आठ

जंगल में दंगल संकट आठ

हुल्लड़ अपने खेमे में पहुंचा था तो प्रश्नों की झड़ी लग गई थी! “कब तक मर जाएगा आदमी ..?” गोधू हाथी ने पूछा था। “हुल्लड़ भाई! अब तो कोई खतरा नहीं? आ गये ना आराम के दिन!” लंगड़ा हंस रहा था। “चलो अच्छा हुआ – जो मरा ये आदमी!”...
जंगल में दंगल संकट सात

जंगल में दंगल संकट सात

सुंदरी के पास अब अजब गजब के संदेश आने लगे थे। एकाएक सुंदरी जंगल की जान बन गई थी। न जाने रातों रात उसने इतने सारे गुण और इतना सारा ज्ञान कहां से पा लिया था? न जाने क्यों अब सभी पशु पक्षियों, कीड़े मकोड़ों और जरासीम – जिन्नों को सुंदरी साक्षात देवी स्वरूप नजर आने...