by Major Krapal Verma | Jul 10, 2021 | जंगल में दंगल
“शेष नाग के काटे का इलाज तो खोजना ही होगा पृथ्वी राज!” नकुल की चिंता बढ़ती जा रही थी। “अगर सर्प टूट पड़े तो चूहों का बनता क्या है?” उसने स्थिति की संगीनियत समझाई थी। “तुम तो तभी तक हो जब तक ..” “नहीं भाई! जब तक धरती है, हम...
by Major Krapal Verma | Jul 7, 2021 | जंगल में दंगल
जब से नकुल का नाम पंचों की शुमार में आया था तब से पृथ्वी राज की बाछें खिल गईं थीं। उसकी पत्नी तेजी ने तो अपने आप को दिल्ली की महारानी के खिताब से संबोधित करना शुरू कर दिया था। वह अब किसी भी दिन सेठानी संतो को अंगूठा दिखा कर सारा धन धान्य अपने कब्जे में लेने वाली थी!...
by Major Krapal Verma | Jun 29, 2021 | जंगल में दंगल
गरुणाचार्य पंच परमेश्वर के मुखिया नियुक्त हुए थे। उनकी देखरेख में सारे महत्वपूर्ण फैसले होने थे। उनकी पारदर्शी समझ पर किसी को शक नहीं था। वह बड़े विद्वान थे। समझदार थे और सबके हितैषी थे! पक्षपात की बात तो उन्हें छू तक नहीं गई थी। उनके मुखिया चुने जाने में किसी को कोई...
by Major Krapal Verma | Jun 26, 2021 | जंगल में दंगल
लालू की एक चाल ने ही काग भुषंड का रचा रचाया खेल बिगाड़ दिया था। ये कैसी विचित्र हवा चला दी थी लालू ने – जो रोके नहीं रुक रही थी! “हमें नहीं बुलाया क्या शशांक?” काग भुषंड ने बड़ी ही बेरुखी से पूछा था। “शगुन है तो शायद .. सभी ..?”...
by Major Krapal Verma | Jun 19, 2021 | जंगल में दंगल
काग भुषंड हुल्लड़ की कमर पर आ बैठा था। उसका मन तो हुआ था कि हाथी की गुदाह देह में अपनी पैनी चोंच घुसा कर मीठा सा नाश्ता कर ले! पर आज उसका आने का उद्देश्य संगीन था। अतः वह संभल गया था। “सुना है शेरों के मुकाबले में लड़ने आ गये हो?” हुल्लड़ ने कठोर स्वर में...
by Major Krapal Verma | Jun 17, 2021 | जंगल में दंगल
जंगल की हवा बहुत गरम हो गई थी! आये दिन कोई न कोई अफवाह फैल जाती। आदमी से ज्यादा अब इन फैलती अफवाहों से लड़ना कठिन हो गया था। कोई कह रहा था कि हाथियों ने सत्ता हथियाने की ठान ली है, तो कोई कहता कि काग भुषंड तो स्वयं राजा बन बैठा है! वन राज – जंगलाधीश का नाम तो...