by Major Krapal Verma | Sep 4, 2021 | जंगल में दंगल
“पर आपकी बात मानेगा कौन?” नकुल ने पूछ ही लिया था। “पंचायत की बात तो मानेगा?” “हॉं! वह तो है!” “हम दोनों पंच हैं! हम दोनों तय करते हैं कि ..” “लेकिन हम तो दो हैं, छोटे हैं और ..” “भूल जाओ छोटे बड़े को...
by Major Krapal Verma | Aug 4, 2021 | जंगल में दंगल
तेजी सोच रही थी कि नकुल को यों निकाल फेंकना ठीक नहीं था। अकेले जरासंध पर मूँछें मुड़ा कर बैठना बेवकूफी थी। नकुल जैसे लायक मिलते कहां हैं! वह एक अच्छा लड़ाका ही नहीं एक अच्छा सहायक भी है – तेजी यह जानती थी। जब से नकुल ने सत्ता का अंजन तेजी की आंखों में डालकर उसे...
by Major Krapal Verma | Aug 2, 2021 | जंगल में दंगल
शशांक का अचानक आगमन गरुणाचार्य के लिए चौंकाने वाला सबब था। गरुणाचार्य आजकल कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहने लगे थे। जब से उनका चुनाव महा पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए हुआ था तब से ही बहुत सारे उलट फेर हो रहे थे। उनका तो अपना जीवन और जान भी पराए हुए लगे थे। उनपर हर किसी का...
by Major Krapal Verma | Jul 27, 2021 | जंगल में दंगल
“नकुल नालायक है!” पृथ्वी राज आग बबूला हुआ आंगन में चक्कर लगा रहा था। “हाथियों ने काग भुषंड से हाथ मिला लिया है!” वह बार बार बड़बड़ा रहा था। “खाली डींगें मारता है मूर्ख!” उसने तेजी को घूरा था। “तुम भी हो कि उसे सर पर चढ़ा कर...
by Major Krapal Verma | Jul 19, 2021 | जंगल में दंगल
कौवे को चुन्नी पर शक था। उसे चुन्नी की ईमानदारी, निष्ठा और लगन का खयाल नहीं था। उसने तो चुन्नी का एहसान तक नहीं उतारा था। कैसे चुन्नी काले को सफेद कह कह कर काग भुषंड को सत्ता के सोपान चढ़ाती रही थी – उसे तो अब याद तक नहीं था! “छोटे की विडंबना ये है शशांक...
by Major Krapal Verma | Jul 15, 2021 | जंगल में दंगल
काग भुषंड ने अपने हाथियों के साथ हुए समझौते का ऐलान कर दिया था। जंगल की हवा थर्रा गई थी। एक शोर और एक शांति साथ साथ जंगल में टहलने लगे थे। जहां कुछ खेमों में खलबली थी वहीं कुछ खेमे बिलकुल शांत थे! जोड़ तोड़ जमीन और जहन दोनों पर चल रही थी। और एक दौड़ भाग थी जो गुपचुप...