by Major Krapal Verma | Oct 5, 2021 | जंगल में दंगल
फैसला अब महा पंचायत में ही होना था। राजा नियुक्त करने का पूरा बोझ भार गरुणाचार्य पर ही आ गया था। काग भुषंड पलट गये पासे को सीधा करने में जुटा था। हार जाना उसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं था। उसने हवा को पूरी तरह से गरमा दिया था। बातों के बम हवा में फूट रहे थे। शिकस्त...
by Major Krapal Verma | Oct 2, 2021 | जंगल में दंगल
लालू और शशांक का आगमन पृथ्वी राज को चौंकाने के लिए कम महत्वपूर्ण न था। वह यह सुनकर ही सकते में आ गया था कि लालू और शशांक उससे मिलना चाहते हैं। आखिरकार ये चाहते क्या थे? क्या लालू उसे धमकाएगा? शेर का डर दिखा कर क्या वह उसे राजा बनने से रोक लेगा? पृथ्वी राज बुरी तरह से...
by Major Krapal Verma | Sep 29, 2021 | जंगल में दंगल
जंगलाधीश हुंकार भर रहा था। दहाड़ रहा था। पूरे जंगल का उसने कलेजा कंपा दिया था। सुंदरी के साथ होती शादी और होने वाला राज्याभिषेक अब उसे चली किसी चाल जैसे लग रहे थे। आज वह दूध का दूध और पानी का पानी कर देना चाहता था। जो होना हो शीघ्र हो। ये विलम्ब कैसा? अड़चन कौन सी थी?...
by Major Krapal Verma | Sep 27, 2021 | जंगल में दंगल
चुन्नी के इंतजार ने नकुल को थका दिया था। वह बेताब था कि चलकर मणि धर से मिले और समाजवाद के मुद्दे को तय कर दे। लेकिन चुन्नी के न लौटने का सबब समझ नहीं पा रहा था। जंगल में बहती बयार कुछ ज्यादा ही पेचीदा हो गई थी। अब ऊंट किस करवट बैठेगा – किसी को कुछ पता नहीं था।...
by Major Krapal Verma | Sep 18, 2021 | जंगल में दंगल
“जब हाथी हमारे साथ हैं तो और क्या मुद्दा रह गया?” काग भुषंड ने कड़क कर प्रश्न पूछा था। “हमारी शक्ति, संगठन और संख्या तीनों श्रेष्ठ हैं। तो राजा हम हुए!” उसने अपनी बात बड़ी की थी। “और महा पंच तुम हो ही! कल ही घोषणा कर दो ..”...
by Major Krapal Verma | Sep 12, 2021 | जंगल में दंगल
सोए पड़े जंगलाधीश को शशांक ने आहिस्ता से जगाया था। “अब कौन सी मुसीबत है भाई ..?” झल्लाया था जंगलाधीश। “कोई मुझे सोते से जगाये तो मुझे बहुत बुरा लगता है शशांक!” उसने तनिक बिगड़ते हुए कहा था। “अगर अपने राज में भी मैं नहीं सो सकता तो...