by Major Krapal Verma | Mar 15, 2022 | जंगल में दंगल
इस घटना को बहुत लोगों ने देखा था। अजीब ही घटना थी। माझी मयूरा का इतना उग्र रूप कभी किसी ने पहले नहीं देखा था। वो तो दया और प्रेम का प्रतीक था। फिर उसका ये विकराल रूप किसी की भी समझ में न आया था। तेजी को काटो तो खून नहीं। नकुल के चेहरे पर तो हवाइयां उड़ रही थीं। छज्जू...
by Major Krapal Verma | Mar 8, 2022 | जंगल में दंगल
तक्षक आ गया था – तेजी को सूचना मिली थी। “अब आदमी मंदिरों में, गिरिजा घरों में मस्जिदों में और गुरु द्वारों में जा जाकर जमा हो रहा है!” शशांक सूचना लाया था। “ठठ के ठठ इन देवालयों में जमा होते जा रहे हैं। सब के सब भजन कीर्तन और आराधना उपासना में...
by Major Krapal Verma | Feb 28, 2022 | जंगल में दंगल
धरा पूरी की पूरी घोर अंधकार में गर्क थी। आदमी का रचा बसा संसार प्रायः उजड़ गया था। एक सन्नाटा बस्तियों में आ बैठा था। शहरों में मौत के साये लटक रहे थे। कौन कहां था – किसी को पता नहीं था। आदमी आपा भूल बैठा था। एक घोर विभ्रम की स्थिति थी। किसी को कुछ भी नहीं सूझ...
by Major Krapal Verma | Feb 19, 2022 | जंगल में दंगल
लालू की सूझबूझ और शशांक की सोच ने मिलकर एक नया खेल कर दिया था। शशांक ने सूचना दी थी कि आदमी समुद्र के गर्भ में भी जा घुसा है। पानी के जहाजों पर चढ़ चढ़ कर वह जमीन से नाता तोड़कर भाग गया है। जरासंध का वहां पहुंचना संभव नहीं है। किसी भी सूरत में समुद्र को फतह करना अब...
by Major Krapal Verma | Feb 10, 2022 | जंगल में दंगल
“तनिक सा सहारा मुझे मिल जाए आचार्य तो मैं इस आदमी को सुरंगों जाकर मार दूं। मुझे वाहन चाहिए। मुझे चाहिए – सवारी।” “मिलेगी महाबली।” पृथ्वीराज अपनी सोच से उबर कर बोला था। “चूहों की सवारी करो। आज से चूहे आप का वाहन होंगे।” उसने...
by Major Krapal Verma | Feb 5, 2022 | जंगल में दंगल
घमंडी गिद्ध ने आसमान को अलग से अपना युद्ध क्षेत्र बना लिया था। गिद्धों की जो दुर्दशा आदमी के हाथों हुई थी – जग जाहिर थी। गिद्धों की आंखों में दम आया हुआ था। आदमी ने तो उनसे लाशों तक को छीन लिया था। उनके लिए खाना खुराक कहीं था ही नहीं। ऊंचे आसमान पर टंगे टंगे वह...