जंगल में दंगल संग्राम नौ

जंगल में दंगल संग्राम नौ

इस घटना को बहुत लोगों ने देखा था। अजीब ही घटना थी। माझी मयूरा का इतना उग्र रूप कभी किसी ने पहले नहीं देखा था। वो तो दया और प्रेम का प्रतीक था। फिर उसका ये विकराल रूप किसी की भी समझ में न आया था। तेजी को काटो तो खून नहीं। नकुल के चेहरे पर तो हवाइयां उड़ रही थीं। छज्जू...
जंगल में दंगल संग्राम नौ

जंगल में दंगल संग्राम आठ

तक्षक आ गया था – तेजी को सूचना मिली थी। “अब आदमी मंदिरों में, गिरिजा घरों में मस्जिदों में और गुरु द्वारों में जा जाकर जमा हो रहा है!” शशांक सूचना लाया था। “ठठ के ठठ इन देवालयों में जमा होते जा रहे हैं। सब के सब भजन कीर्तन और आराधना उपासना में...
जंगल में दंगल संग्राम सात

जंगल में दंगल संग्राम सात

धरा पूरी की पूरी घोर अंधकार में गर्क थी। आदमी का रचा बसा संसार प्रायः उजड़ गया था। एक सन्नाटा बस्तियों में आ बैठा था। शहरों में मौत के साये लटक रहे थे। कौन कहां था – किसी को पता नहीं था। आदमी आपा भूल बैठा था। एक घोर विभ्रम की स्थिति थी। किसी को कुछ भी नहीं सूझ...
जंगल में दंगल संग्राम छह

जंगल में दंगल संग्राम छह

लालू की सूझबूझ और शशांक की सोच ने मिलकर एक नया खेल कर दिया था। शशांक ने सूचना दी थी कि आदमी समुद्र के गर्भ में भी जा घुसा है। पानी के जहाजों पर चढ़ चढ़ कर वह जमीन से नाता तोड़कर भाग गया है। जरासंध का वहां पहुंचना संभव नहीं है। किसी भी सूरत में समुद्र को फतह करना अब...
जंगल में दंगल संग्राम पांच

जंगल में दंगल संग्राम पांच

“तनिक सा सहारा मुझे मिल जाए आचार्य तो मैं इस आदमी को सुरंगों जाकर मार दूं। मुझे वाहन चाहिए। मुझे चाहिए – सवारी।” “मिलेगी महाबली।” पृथ्वीराज अपनी सोच से उबर कर बोला था। “चूहों की सवारी करो। आज से चूहे आप का वाहन होंगे।” उसने...
जंगल में दंगल संग्राम चार

जंगल में दंगल संग्राम चार

घमंडी गिद्ध ने आसमान को अलग से अपना युद्ध क्षेत्र बना लिया था। गिद्धों की जो दुर्दशा आदमी के हाथों हुई थी – जग जाहिर थी। गिद्धों की आंखों में दम आया हुआ था। आदमी ने तो उनसे लाशों तक को छीन लिया था। उनके लिए खाना खुराक कहीं था ही नहीं। ऊंचे आसमान पर टंगे टंगे वह...