by Major Krapal Verma | May 16, 2021 | जंगल में दंगल
लेकिन काग भुषंड को चैन नहीं था। वह अब अपना अभियान जारी रखना चाहता था। वह किसी तरह भी कौवों का साम्राज्य स्थापित कर लेना चाहता था। “अपनी बिरादरी वालों से पहले बात तो कर लो, काग भुषंड जी!” गिलहरी ने चिंता में डूबे कौवे से कहा था। “पहले अपनों को तो मना...
by Major Krapal Verma | May 11, 2021 | जंगल में दंगल
तभी कांव कांव की रट लगाता काग भुषंड़ वहां आ धमका था। वह सीधा शेर की पीठ पर आ बैठा था। शेर को रोष हुआ था पर अभी अभी एकजुटता की बात सुनकर जो चुका था – संभल गया था। कौवे ने अपनी चोंच को शेर की कमर पर घिस घिस कर पैना किया था। फिर उसने सभी आगंतुकों को बारी बारी घूरा...
by Major Krapal Verma | May 9, 2021 | जंगल में दंगल
एक अजूबा ही था जो लालू, शशांक और जंगलाधीश सुंदरी से मिलने एक साथ आये थे। हवा में बहुत कुछ आलतू फालतू फैलता चला जा रहा था। जंगल में अब जो बयार बह रही थी उसका रुख मुख देख कर तो ऐसा लग रहा था मानो कोई जलजला आएगा जरूर! जिस जानवर ने भी इन तीनों को सुंदरी के पास जाते देखा...
by Major Krapal Verma | May 6, 2021 | जंगल में दंगल
शेर और गीदड़ का संवाद सुनकर शशांक – खरगोश अपने बिल से बाहर निकल आया था। उसने भी आज महसूसा था कि जंगल में अब अकेले अकेले रहना वास्तव में ही संभव नहीं था। लालू गीदड़ की आवाज में दम था। शेर तो निरी मूर्खता पूर्ण बाते कर रहा था। उसका अकेले का आदमी के सामने बनता क्या...
by Major Krapal Verma | May 2, 2021 | जंगल में दंगल
रात का अंधकार अब उजाले में बदल गया था। लालू था कि जंगल में भीतर ही भीतर भागता ही जा रहा था। उसे लग रहा था जैसे उस आदमी की छोड़ी वो गोली अभी भी उसका पीछा कर रही थी। उसके दिमाग में एक आतंक भरा था। भागते भागते आदमी के प्रति एक रोष, एक घृणा ओर एक दुश्मनी पक्की होती जा रही...
by Major Krapal Verma | Apr 30, 2021 | जंगल में दंगल
चांद आसमान पर था। लेकिन अंधेरा अब भी उसके साथ आंख मिचोली खेल रहा था। धरती पर सब दबा ढका सा शांत सो रहा था। पुरवइया था जो ठमके मार मार कर पेड़ पौधों का जगा रहा था। उल्लुओं के आलाप से कभी कभार रात कांप उठती थी। लेकिन था सब शांत। तालाब पर बैठा चौकीदार भी आंख मुंद कर सो...