by Major Krapal Verma | Feb 1, 2021 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
“कहां चलेंगे साहब?” रिक्शा चालक ने प्रश्न पूछा था। “जहां झुमका गिरा था!” उत्तर जस्सी ने दिया था। मैं चुप खड़ा था। मुझे मालूम था कि अब जस्सी अपने मजे स्टाइल में इस रिक्शे वाले के साथ रंग लेगा। स्वाभाविक भी था। कारण – हम लोग ऊपर से आये थे।...
by Major Krapal Verma | Jan 21, 2021 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
जब जिंदगी ने ऑंखें खोली थीं तो मैंने उससे हाथ मिलाया था! अनगिनत वायदे थे जो जिंदगी ने मुझसे किये थे। मुझे साकार होने वाले सपने दिखाए थे। मुझसे कहा था – सत रंगी है दुनिया कृपाल! देखोगे तो दंग रह जाओगे। चलो, आओ आगे बढ़ो और एक के बाद दूसरा कीर्तिमान कायम करते ही...
by Major Krapal Verma | Jan 5, 2021 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
बड़े दिनों के बाद बाजना लौटा हूँ! मेरी यहॉं की यादें भी मेरे साथ चली आई हैं। यूँ तो विकट विकास हुआ है और एक्सप्रेस वे से लेकर सड़कों का जाल बिछ गया है। हाट-बाजारों से लेकर मंडी तक बन गई है। नए-नए लोग आ-आकर बस गए हैं। पूरा का पूरा परिदृश्य ही बदल गया है। लेकिन जो कुछ...
by Major Krapal Verma | Dec 28, 2020 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
“गुरुंग के साथ है तेरा मुकाबला, कृपाल!” माकन – मेरे मित्र ने मुझे सूचना दी थी। पलांश में मैंने माकन के चेहरे पर बिखरे सारे संदेश पढ़ लिए थे। गुरुंग एक अद्वितीय बॉक्सर था। गुरुंग गोरखा था और बेरहमी से पीटता था। जहां मेरी हार निश्चित थी वहां बॉक्सिंग...
by Major Krapal Verma | Dec 12, 2020 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
बहुत बुरा वक्त था। घाटी में तब अब्दुल्लाओं का राज था। हमारा तो वहॉं रहना मात्र एक औपचारिकता थी। अगर मुसलमानों का कुत्ता भी सड़क दुर्घटना में मर जाता था – तो पुलिस तहकीकात करती और दोश सेना पर लगता था। और फिर दिल्ली से तुरंत ही फोन आता था – अरे भाई बना कर...
by Major Krapal Verma | Dec 8, 2020 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
मैं बकरी चरा कर ला रहा था। बकरी बहुत नटखट थी। पाजी इतनी कि किसी के भी सूखते गेहूँ दिख जाएं तो चट कर जाए। प्यारी इतनी कि न प्रताड़ित करने को मन करे न मारने को। अतः उसकी मन की अभिलाषा के अनुसार मैं उसे खुद खेतों में चरा कर लाता था। कारण – उसका दूध भी तो मैं ही...