by Major Krapal Verma | May 4, 2021 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
हम किस लिए लड़ते हैं? इसलिए कि हमारे स्वार्थ आपस में टकराते हैं! हम हक मारना चाहतें हैं उनका जो कमजोर हैं, विवश हैं! हमारी आकांक्षाएं और हमारी महत्वाकांक्षाएं हमें जंग के मैदान में घसीट लाती हैं और खूब बिफर बिफर कर लड़ाती हैं! हम लड़ रहे थे। भारत लड़ रहा था। इसलिए कि...
by Major Krapal Verma | Apr 23, 2021 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
कल स्कूल पढ़ने जाना था! न मुझे किसी ने बताना था कि मैं स्कूल कैसे जाऊं और न मैंने किसी से पूछना था कि मैं क्या कुछ करूं, स्कूल जाने के लिए! यह तो एक नए विचार का अंकुर था जो अचानक ही मेरे दिमाग में उगा था और अब मुझसे अगला कदम उठाने की जिद कर रहा था। “लौट आओ न...
by Major Krapal Verma | Apr 13, 2021 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
करूं क्या आस निरास भई .. न जाने कौन गा रहा था। लेकिन उसका करुण स्वर मेरे बंद पड़े आयामों को खोल मुझसे फिर एक बार जिंदगी में झांकने का आग्रह कर रहा था। कह रहा था – देख तो कृपाल! मुड़ कर तो देख उसे जो जो हुआ है! क्यों हुआ है, क्या तू आज भी जानता है और वो इच्छित,...
by Major Krapal Verma | Mar 27, 2021 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
जिंदगी जीना भी कोई आसानी से नहीं आ जाता! मुझे याद है जब जिंदगी ने ऑंखें खोली थीं और आकर मुझसे हाथ मिलाया था। मैं कई पलों तक खड़ा खड़ा सामने के फैले विस्तारों को देखता ही रहा था! मैं था – कोरा कृपाल! मेरा मन प्राण अभी तक अछूता था। मैं न किसी से प्रभावित था और न...
by Major Krapal Verma | Mar 9, 2021 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
लाख मना करने के बाद भी सौहन लाल छुट्टी मांगने अड़ा खड़ा था! वक्त था कि अनेकों संभावनाओं से गुजर रहा था। लड़ाई लगने वाली थी। पलटन को लड़ाई में जाने के आदेश आ चुके थे। कैम्प उखड़ रहा था। सामान गाड़ियों में लद रहा था। प्लेट फार्म पर मिलिट्री स्पेशल लगी थी। उसे भी आज रात...
by Major Krapal Verma | Feb 13, 2021 | मेरे संस्मरण - मेजर कृपाल वर्मा
घंसू मेरा लंगोटिया यार था! हमारा ग्वारियाओं का एक गिरोह था। हमारा पेशा चरवाहों का था। हम अलसुबह घर से चौपे चराने निकलते थे। नंगे पैर, सर पर गमछा बांधे और कोई अल्लम खल्लम घुट्टन्ना या सुतन्ना पहने, कमीज कुर्ता कुछ भी लटकाए और हाथ में सोटा लिए हम निकल पड़ते। चौपों को एक...