by Major Krapal Verma | Jan 23, 2022 | सॉरी बाबू
“कोई तो सच कहेगा .. कभी तो सच बोलेगा!” माधवी कांत तनिक उद्विग्न थी। “और हमें उस सच को सुनना तो पड़ेगा ही – आज नहीं तो कल।” उन्होंने मुड़ कर नेहा की आंखों को पढ़ा था। नेहा सहमी और डरी डरी सी माधवी कांत की दलीलों को सुन रही थी। उसने तो पहली...
by Major Krapal Verma | Jan 20, 2022 | सॉरी बाबू
हिन्दुस्तान का बंटवारा हो रहा है – नेकीराम शर्मा ने प्रसंग सामने रख दिया था। माधवी कांत चौंक पड़ी थीं। नेहा ने भी निगाह उठा कर नेकीराम शर्मा को देखा था। सुधीर संयत था। लेकिन विक्रांत के तेवर तन आये थे। ये कालखंड की कहानी का आरंभ था। नेकी राम शर्मा का चेहरा चमक...
by Major Krapal Verma | Jan 11, 2022 | सॉरी बाबू
“हंसना हंसाना सबसे बेजोड़ बात है।” छोटा फरीद रमेश दत्त को समझा रहा था। “रोते को हंसाना मेरे और हल्ला-गुल्ला के बाएं हाथ का खेल है।” वह अपनी शेखी बघार रहा था। “हम दोनों ही जाने जाते हैं हंसने हंसाने के लिए! मानिए आप दत्त साहब कि हमारे शो...
by Major Krapal Verma | Jan 8, 2022 | सॉरी बाबू
एक पवित्र पवन के झोंके की तरह सुधीर बंबई से चलकर मऊ मोहनपुर स्टेट पहुंच गया था। विक्रांत का मन खिल उठा था। नेहा भी नए अंदाज में पुलकित हो उठी थी। सुधीर जैसे एक राजदूत था और बंबई का पक्ष लेकर उनके पास चला आया था। यादें थीं – बंबई की, वहां की गहमागहमी की और वो...
by Major Krapal Verma | Jan 1, 2022 | सॉरी बाबू
“बड़ी सार्थक सेमिनार रही माधवी!” पुनीत पंडित बता रहे थे। वो बेहद प्रसन्न थे। लग रहा था जैसे पूरी उम्र में अब आ कर उन्हें कोई मीठा फल खाने को मिला हो। “हमारा सनातन अब संज्ञान में आ रहा है!” वह बताने लगे थे। “अब विश्व ने भी मान लिया है...
by Major Krapal Verma | Dec 28, 2021 | सॉरी बाबू
“कालखंड खंड खंड हो कर सड़कों पर बिखर जाएगा।” अचानक नेहा ने खुड़ैल की दहलाती आवाजें सुनी थीं। और वैसे ही उसकी आंखों के सामने पुनीत पंडित का चेहरा उजागर हुआ था। “फिर विभक्त होगा भारत!” कहते हुए वह हाथ झाड़ रहे थे। निपट निराशा की लहरें नेहा के तन...