सॉरी बाबू भाग सत्तानवे

सॉरी बाबू भाग सत्तानवे

अकेला उदास बैठा विक्रांत नेहा के चले जाने पर प्रसन्न न था। सुधीर आने वाला था। आज उससे मिलकर काल खंड के दीवाली पर रिलीज करने की रूप रेखा तैयार करनी थी। सुधीर चाहता था कि काल खंड को ज्यादा से ज्यादा स्क्रीनों पर एक साथ रिलीज किया जाए। लेकिन विक्रांत डर रहा था। जनता का...
सॉरी बाबू भाग सत्तानवे

सॉरी बाबू भाग छियानबे

“कोरा मंडी कब तक पूरी हो जाएगी?” प्रेस रमेश दत्त से पूछ रहा था। “बहुत जल्दी पूरी हो जाएगी!” दत्त साहब की गुरु गंभीर आवाज गूंजी थी। दत्त साहब आज बेहद प्रसन्न लग रहे थे। उनके चेहरे के हावभाव बता रहे थे कि उनका मनोबल आज बहुत ऊंचा था और उनके इरादे...
सॉरी बाबू भाग सत्तानवे

सॉरी बाबू भाग पचानवे

पोपट लाल अपने बगीचे में आराम कुर्सी पर अकेला आंखें बंद किए धूप सेक रहा था। लेकिन वो अकेला था नहीं। रह रह कर वह कन्हैया की बांसुरी की धुन सुन रहा था। बार बार – हर बार काल खंड के सजीले और सटीक दृश्य उसकी आंखों के सामने आ आ कर उसे सताते और बताते कि उसने कितनी बड़ी...
सॉरी बाबू भाग सत्तानवे

सॉरी बाबू भाग चौरानवे

“हैलो, समीर!” “कौन ..? दत्त साहब!” उछल पड़ा था समीर। उसका मलिन चेहरा चमक उठा था। “अ .. आप! कब लौटे कैलीफोरनिया से सर?” समीर ने गहक कर पूछा था। “कैसा चल रहा है, सब?” दत्त साहब का स्वर संयत था। “सब चौपट हो गया...
सॉरी बाबू भाग सत्तानवे

सॉरी बाबू भाग तिरानबे

पूर्ण मासी का पूर्ण चंद्रमा मोहन सिंह स्टेट के ऊपर रंगमंच का एक आइटम बना टंगा था। रंगमंच पर विक्रांत और नेहा साथ साथ बैठे अपने अपने संवाद बोलने के लिए तैयार थे। लेकिन दोनों चुप थे। दोनों के बीच गहन खामोशी बैठी थी। वो दोनों ही अपने अपने आचार विचारों में डूबे थे। दोनों...
सॉरी बाबू भाग सत्तानवे

सॉरी बाबू भाग बानवे

“लेकिन शिखर इंदु को ईसाइयों से डर नहीं लगता है!” शिखा का स्वर गंभीर था। “ईसाइयों को तो मित्र मानती है।” शिखा की सूचना थी। “सोनिया ने वश में कर लिया है – बुढ़िया को!” तनिक हंस गई थी शिखा। “फिर किससे डरती है?” शिखर...