सॉरी बाबू एक सौ तीन

सॉरी बाबू एक सौ तीन

जोहारी बंबई पहुंच गया था। यह एक सनसनीखेज खबर थी। अब किसी न किसी के भांडे तो बिकने ही थे। किसी न किसी ने आत्महत्या भी जरूर करनी थी। जोहारी को तो अपना काम करना था। उसे कर्ज पटाना आता था। फाइनेंसरों का पैसा डूबता कहां है। वह तो वसूल कराता है और छाती पर चढ़कर पैसा ले लेता...
सॉरी बाबू एक सौ तीन

सॉरी बाबू भाग एक सौ दो

“तुझे ढूंढ ढूंढ कर मैं पागल हो गई नेहा!” मेरे सामने खड़ी अचला लम्बी लम्बी सांसें ले रही है। “तू यहां छुप कर बैठी है री!” उसने हाथ फेंके हैं। “ऑफिस में बुला रहे हैं!” अचला कह रही है। “कोई है – मिलने आया है।” कहते...
सॉरी बाबू एक सौ तीन

सॉरी बाबू भाग एक सौ एक

आज पहली बार था जीवन में जब पूर्वी विश्वास के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। विक्रांत घर आया था। होने वाला दामाद था – विक्रांत! यह तो अब सर्व विदित था कि नेहा और विक्रांत की शादी काल खंड की रिलीज के बाद होगी। खबर थी कि शादी के बाद दोनों हनीमून मनाने यूरोप जाएंगे और...
सॉरी बाबू एक सौ तीन

सॉरी बाबू भाग सौ

बाबा की गरीबी ने चुपके से नेहा को एक विषधर की तरह डस लिया था। उसके तन मन में घोर वितृष्णा का विष व्याप्त हो गया था। उसे अपने आप से शिकायत थी। उसे शिकायत थी कि वो बाबा और पूर्वी को भूल कैसे गई? वो कैसे भूल गई कि उसका एक छोटा भाई समीर भी था। उसे याद क्यों नहीं आया अपना...
सॉरी बाबू एक सौ तीन

सॉरी बाबू भाग निन्यानवे

हॉलीवुड में जैसे कोई दरबार लगा हो – ऐसा प्रतीत हो रहा था। फिल्म जगत के पूरे संसार के विचारक, विद्वान, निर्माता और अभिनेता वहां उपस्थित थे। सब के पास काल खंड को लेकर अपनी अपनी राय थी। लेकिन एक राय थी जो सर्व सम्मति से पास हो चुकी थी। सब ने मान लिया था कि काल खंड...
सॉरी बाबू एक सौ तीन

सॉरी बाबू भाग अट्ठानवे

अपने घरबार को यों बेहाल हुआ देख नेहा दरक गई थी। पूर्वी विश्वास ने वही पॉपिन-पाढ की साड़ी पहनी थी जिसे वो बचपन से देखते आई थी। बाबा के कुर्ते-पायजामे भी हाल-बेहाल में थे और उनके पास वही पुराना चश्मा था और वही चार आने वाली चप्पलें थीं। समीर कोई कबाड़ इकट्ठा करने वाला...