सॉरी बाबू भाग एक सौ नौ

सॉरी बाबू भाग एक सौ नौ

रमेश दत्त उर्फ कासिम बेग विक्रांत के भीतर कहीं गहरे में बैठ कांटों की तरह टीसें पैदा कर रहा था – लगातार। विक्रांत के दिमाग में विचारों के बवंडर भरे थे। एक के बाद एक विचार आ रहा था और विध्वंस करने के लिए उसे सलाह दे रहा था। अंत तक लड़ने की सलाह उग रही थी। कभी भी...
सॉरी बाबू भाग एक सौ नौ

सॉरी बाबू भाग एक सौ आठ

प्रिय शेखर! जिंदगी से इतनी जल्दी मोह भंग हो जाएगा – मुझे कभी उम्मीद ही नहीं थी। सच मानो शेखर आज मेरा मन कह रहा है कि मैंने जितने भी किले और मनसूबे खड़े किए हैं उन सब को लातें मार मार कर ढहाता चला जाऊं। अपने हर अरमान को जूते की नोक पर रख कर हवा में उछाल दूं। जला...
सॉरी बाबू भाग एक सौ नौ

सॉरी बाबू भाग एक सौ सात

नेहा की बीमारी की खबर पाते ही डॉ. प्रभा दौड़ी चली आई थी। नेहा की आंखों को उसने पढ़ा था तो प्रभा चौंक पड़ी थी। उन आंखों में तो एक ठंडी आग सुलग रही थी। एक ज्वालामुखी बह निकलने को वहां आतुर बैठा था। एक अशुभ था .. एक – एक शोक था जिसे महसूस करती डॉ. प्रभा होश खोने...
सॉरी बाबू भाग एक सौ नौ

सॉरी बाबू भाग एक सौ छह

पूर्वी विश्वास के कृशकाय शरीर को कौली में भर कर नेहा खूब रोई थी। यों अचानक नेहा का घर लौटना और कसाई की गाय की तरह दहाड़ें मार कर रोना बाबा को समझ से बाहर लगा था। समीर ने आई विपत्ति को सूंघ लिया था। जरूर ही जीजाजी से झगड़ा हुआ था – वह जान गया था। लेकिन कारण समझ...
सॉरी बाबू भाग एक सौ नौ

सॉरी बाबू भाग एक सौ पांच

“इजाजत हो तो मैं अंदर आऊं?” रमेश दत्त ने बड़ी ही आजिजी के साथ कहा था। लेकिन फिर बिना इजाजत लिए ही वह अंदर कमरे में दाखिल हो गया था। कमरे में कुल तीन कुर्सियां ही थीं और उन तीनों पर वो तीनों बैठे थे। शिष्टाचार वश सुधीर कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो गया था। रमेश...
सॉरी बाबू भाग एक सौ नौ

सॉरी बाबू एक सौ चार

बंबई का नव निर्मित तुलसी ऑडिटोरियम भीड़ से नाक तक भरा था। काल खंड का प्रमोशन हो रहा था। बंबई में इसकी चर्चा थी। लोगों में जिज्ञासा थी – काल खंड के बारे जानने की। कुछ बेढंगी और भ्रामक खबरें भी आ जा रही थीं। अत: लोग चाहते थे कि चलकर देख तो लें कि आखिर क्या...