सॉरी बाबू भाग पच्चीस

सॉरी बाबू भाग पच्चीस

धारावाहिक – 25 अब मेरी बदली बैरिक में हो गई थी । मैं एक छोटे जमघट में रह रही थी । वहां सब को नपी-तुली जमीन मिली हुई थी । बिस्तर से ले कर बाथरूम तक सब सब का था और किसी का भी नहीं था । अपना-अपना सामान साथ लिये हम खुले-खिले अपने-अपने पड़ाव डाले जी रहे थे -साथ -साथ...
सॉरी बाबू भाग पच्चीस

सॉरी बाबू भाग चौबीस

धारावाहिक- 24 जैसे मैं कोई तीर्थ थी….कोई अजूबा थी …अज्ञात थी ….या थी कोई पहेली – जिसे हर कोई समझ ने की कोशिश में लगा था ….और जान लेना चाहता था कि ….मैं आखिर माजरा क्या थी ? कल बेल पर गई थी …..और आज जेल में लौट आई थी । असाधारण...
सॉरी बाबू भाग पच्चीस

सॉरी बाबू भाग तेईस

धारावाहिक- 23 ‘दिला दे , बेल …?’ कल्पतरु से मैं मजाक कर बैठी थी। मेरा मन आज हलका-भारी हो रहा था । आशा-निराशा आ-आकर मुझे मुंह चिढ़ा रहीं थीं । मैं कई बार आसमान पर डोल आई थी और अब जमीन पर चलना अच्छा न लग रहा था । ‘चल, कर देते हैं तेरी भी पूजा...
सॉरी बाबू भाग पच्चीस

सॉरी बाबू भाग बाईस

धारावाहिक – 22 रात ग्यारह बजे मुझे घर छोड़ कर प्रभा चली गई थी । अब मैं कमीने कासिम के जाल से मुक्त हुई स्वतंत्र बुलबुल थी । न – न । अब नहीं । मैं न फंसूंगी इस के जाल में – मैंने शपथ ली थी । और मैं घर में घाेड़े बेच कर साेती रही थी । नौ बजे आ कर मेरी...
सॉरी बाबू भाग पच्चीस

सॉरी बाबू भाग इक्कीस

धारावाहिक – 21 ‘इजाजत लूंगी , मौसी ।’ प्रभा पूर्वी विश्वास से बतिया रही थी । ‘इसे ले जा रही हूँ । काम होते ही छोड़ जाऊंगी ।’ वह जल्दी में थी । ‘चाय उधार रही , आप की ।’ उस ने हंस कर कहा था । और अब मैं न जाने कहॉं थी ? कोई...
सॉरी बाबू भाग पच्चीस

सॉरी बाबू भाग बीस

धारावाहिक – 20 घर के गहरे एकांत में आ कर तुम मुड़े थे और प्रश्न किया था । ‘हुआ क्या , नेहा ?’ तुम्हारे चेहरे पर हवाईयां उड़ीं थीं। एक सदमा-सा लगा था, तुम्हें । ‘पैसा ?’ मैंने भी सीधा गोली की तरह ही प्रश्न दागा था। मैं अब शीघ्र ही अपना...