by Major Krapal Verma | Jan 14, 2021 | सॉरी बाबू
अटलांटिक महासागर के बीचों बीच बसे महाद्वीप को देखकर मेरी ऑंखें धन्य हो गई थीं। पहली बार ही मैंने इतना सुंदर दृश्य देखा था जहॉं अथाह सागर के मध्य में यह महाद्वीप बसा था और आकाश पाताल के बीचों बीच इतना मनोहारी दृश्य बना रहा था! सब कुछ मन को मोहने वाला था। और अब मुझे...
by Major Krapal Verma | Jan 11, 2021 | सॉरी बाबू
धारावाहिक – 30 सच में ही बाबू । मुक्त प्रदेश पर शैतानों का हमला हो गया था । मैंने देखा था कि उन के सरोवर पर दौड़ते ऊंट उस के पानी में डूब न रहे थे । मैं तो बहुत डर गई थी जब उन के चलाये अग्नि बाण हमारे आस-पास गिरे थे । लेकिन आश्चर्य तो ये था, बाबू कि न तो ये बाण...
by Major Krapal Verma | Jan 3, 2021 | सॉरी बाबू
धारावाहिक -29 सच में ही मुक्त प्रदेश की कल्पना अकल्पनीय थी । वन बिहार पर निकले हम दोनों का परिचय जब अजब-गजब महकते फूलों से होता तो हम भी पंछियों की तरह चहक उठते । भँवरों की तरह हम दोनों भी उन के भीतर के शहद को चुराने लगते । हम भी उन के साथ लरज-लरज कर नाचते...
by Major Krapal Verma | Dec 26, 2020 | सॉरी बाबू
धारावाहिक – 28 ‘अब तुम्हारा विक्रांत नहीं बचेगा, नेहा ।’ साहबज़ादा सलीम मुझे बताने लगा था । हम नवाबज़ादे की शूटिंग पर अभी भी अबासीनियां में ही थे । मैं अचानक चौंक पड़ी थी । जैसे मौत मुझे छू कर लौट गई हो , ऐसा लगा था । ऑंखें सजल हो आई थीं । विक्रांत पर...
by Major Krapal Verma | Dec 16, 2020 | सॉरी बाबू
धारावाहिक – 27 ‘किस का शोक मना रही हो , पुत्री ?’ रोती-विसूरती नेहा के पास मुक्त प्रदेश आ बैठा था । ‘मरा कौन है ?’ उस ने आहिस्ता से पूछा था । नेहा चुप थी ताे उस ने विहंस कर कहा था । ‘कहां मरा है , तेरा बाबू ?’ उस का प्रश्न था...
by Major Krapal Verma | Dec 9, 2020 | सॉरी बाबू
धारावाहिक -26 पेड़ पर चढ़ गई है, गुलाबो । पूरी जेल में हड़बोंग मचा है । डर है कि अगर गुलाबो पेड़ से गिरी …..तो न जाने क्या होगा ? ‘अरी, बद जात । उतर नीचे …..?’ तारा जोरों से गर्जी है । तारा हैड है , हमारी । बड़ी ही सख्त जान औरत है । सभी डरती...