सॉरी बाबू भाग इकतीस

सॉरी बाबू भाग इकतीस

अटलांटिक महासागर के बीचों बीच बसे महाद्वीप को देखकर मेरी ऑंखें धन्य हो गई थीं। पहली बार ही मैंने इतना सुंदर दृश्य देखा था जहॉं अथाह सागर के मध्य में यह महाद्वीप बसा था और आकाश पाताल के बीचों बीच इतना मनोहारी दृश्य बना रहा था! सब कुछ मन को मोहने वाला था। और अब मुझे...
सॉरी बाबू भाग इकतीस

सॉरी बाबू भाग तीस

धारावाहिक – 30 सच में ही बाबू । मुक्त प्रदेश पर शैतानों का हमला हो गया था । मैंने देखा था कि उन के सरोवर पर दौड़ते ऊंट उस के पानी में डूब न रहे थे । मैं तो बहुत डर गई थी जब उन के चलाये अग्नि बाण हमारे आस-पास गिरे थे । लेकिन आश्चर्य तो ये था, बाबू कि न तो ये बाण...
सॉरी बाबू भाग इकतीस

सॉरी बाबू भाग उनतीस

धारावाहिक -29 सच में ही मुक्त प्रदेश की कल्पना अकल्पनीय थी । वन बिहार पर निकले हम दोनों का परिचय जब अजब-गजब महकते फूलों से होता तो हम भी पंछियों की तरह चहक उठते । भँवरों की तरह हम दोनों भी उन के भीतर के शहद को चुराने लगते । हम भी उन के साथ लरज-लरज कर नाचते...
सॉरी बाबू भाग इकतीस

सॉरी बाबू भाग अट्ठाईस

धारावाहिक – 28 ‘अब तुम्हारा विक्रांत नहीं बचेगा, नेहा ।’ साहबज़ादा सलीम मुझे बताने लगा था । हम नवाबज़ादे की शूटिंग पर अभी भी अबासीनियां में ही थे । मैं अचानक चौंक पड़ी थी । जैसे मौत मुझे छू कर लौट गई हो , ऐसा लगा था । ऑंखें सजल हो आई थीं । विक्रांत पर...
सॉरी बाबू भाग इकतीस

साॅरी बाबू भाग सत्ताईस

धारावाहिक – 27 ‘किस का शोक मना रही हो , पुत्री ?’ रोती-विसूरती नेहा के पास मुक्त प्रदेश आ बैठा था । ‘मरा कौन है ?’ उस ने आहिस्ता से पूछा था । नेहा चुप थी ताे उस ने विहंस कर कहा था । ‘कहां मरा है , तेरा बाबू ?’ उस का प्रश्न था...
सॉरी बाबू भाग इकतीस

साॅरी बाबू भाग छब्बीस

धारावाहिक -26 पेड़ पर चढ़ गई है, गुलाबो । पूरी जेल में हड़बोंग मचा है । डर है कि अगर गुलाबो पेड़ से गिरी …..तो न जाने क्या होगा ? ‘अरी, बद जात । उतर नीचे …..?’ तारा जोरों से गर्जी है । तारा हैड है , हमारी । बड़ी ही सख्त जान औरत है । सभी डरती...