सॉरी बाबू भाग तेंतालीस

सॉरी बाबू भाग तेंतालीस

न जाने कब कब की दुश्मनी निकाल गया था मुसाफिर! क्या जरूरत पड़ी थी इसे ‘कासिम बेग’ कह कर परिचय कराने की? ये तो खूब जानता है कि रमेश दत्त आज की तारीख में बंबई की एक हस्ती है! फिर मुझे असली नाम से यूं विक्रांत के सामने उजागर करने में क्या कोई चाल नहीं थी? यूं...
सॉरी बाबू भाग तेंतालीस

सॉरी बाबू भाग बयालीस

“कैसी हैं हमारी शहजादी साहिबा?” नवाब छतारी का फोन था। उछल पड़ी थी नेहा। उसने मूक निगाहों से विक्रांत को मदद के लिए पुकारा था। उसे नवाब छतारी आदमी नहीं – कोई अलग ही आय-बलाय लगता था। “फोन पर तो तुम्हें खा नहीं सकता!” विक्रांत हंसा था।...
सॉरी बाबू भाग तेंतालीस

सॉरी बाबू भाग इकतालीस

मोती आया था। फिल्म बना रहा था। मोती के बारे सोच तनिक हंस गये थे दत्त साहब! मोती एक नम्बर का शठ था। बहुत चालू था। अपना काम निकालने में माहिर था। घर से गरीब था लेकिन अब तो मोती के मजे थे! रजिया को साथ लेकर फिल्म बना गया था। और फिर रजिया ने भी इसे नहीं छोड़ा। जब इन्होंने...
सॉरी बाबू भाग तेंतालीस

सॉरी बाबू भाग चालीस

“क्यों करते हो लड़ाइयां?” बाहर जाते रोमी को रोक कर पूछा है, गौरी ने। “अपने लिए थोड़ी लड़ता हूँ!” मुड़कर उत्तर देता है रोमी। “तुम नहीं जानती गौरी कि ये जमाना कितना निर्दयी है – कितना जालिम है?” रोमी की आवाज में एक अनूठा दर्द...
सॉरी बाबू भाग तेंतालीस

सॉरी बाबू भाग उनतालीस

आजमगढ़ आते ही रमेश दत्त ने मुसाफिर को बुला भेजा था! आज न जाने कैसे वह अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था। उसे तो अब हर हाल में नेहा की दरकार थी। नेहा को भूल जाना किसी तरह भी मुमकिन न हो पा रहा था। उसके हाव भाव और बोल चाल से ही मुमताज और नूर जहॉं ने अंदाजा लगा लिया था कि...
सॉरी बाबू भाग तेंतालीस

सॉरी बाबू भाग अड़तीस

याद है बाबू, ‘मॉं के आंसू’ का शादी का सेट लगा था! मैं एक विधवा और परम गरीब मॉं की बेटी थी – रूपा और तुम थे एक अमीर और जानी मानी हस्ती – गजाला के बिगड़ैल बेटे – रोमी! गजाला ने अपने बेटे को सुधारने के लिए मुझे चुना था और मेरी मॉं –...