भागीरथ की मौत !!

“भालेंद्र को भगवान् बनाना …या उसे वलवान बताना …कोई बुरी बात है , क्या …?” गज्जू पूछ रहा था . “अरे, भाई ! मारी हलाल है , उस की …! वह तो ….न जाने कहाँ …पहुंचेगा ….”

“हमारे दम पर …!” बात काट कर छज्जू ने प्रतिरोध किया था . हमारी महनत पर बना है , मुकदम ! ये कौन सा न्याय हुआ …? इस ने कौन फावड़े चलाए हैं जो …इसे भगवान् , महान …या वलवान बताते फिरें ….?”

“सब तो कहते हैं , पागल !” छज्जू ने कुहनी मारी थी . “क्यों तेरी मौत आई है ….? अरे ! बनने दे उसे भगवान् . तेरी खर में कौन तेल जाता है ….?” उस का सुझाव था .

लेकिन आज माहौल कुछ गरम था . आज भालेंद्र के चुनाव को ले कर कुछ युवा नेताओं में रोष था . बूढ़े चूहों में भी कुछ समझ-बूझ बढ़ गई थी . अब वो अपनी मौसी -अलका के अनन्य भक्त बने रहने में कोफ़्त मानने लगे थे . लेकिन जो उन के परम भक्त थे – वो तो थे !! बाकी सब तो डरे-डरे …लाइन बने ,,,एक सीध में चलते रहते थे . लेकिन जो अलका मौसी के ख़ास थे -उन के तो पौ-बारह थे . चारों उंगली घी में …और सर कढाई में …!!

“हम से सहा नहीं जाता , राजा !” भागीरथ बोल रहा था . ” अब तक तो आस थी कि मौसी न्याय करेगी . लेकिन भालेंद्र को भगवान बनाना …जमा नहीं ! एक नम्बर का डाकू है ….आइयाश है ….! देखना तुम …किस कदर ये हम लोगों को फाड़-फाड़ कर खाएगा ….! ये हमारा बीज-नाश करेगा ….नई नस्ल लाएगा ……!”

“पागल है .” दामोदर कह रहा था . “अरे ! ये हमारे साथ ही तो पला-बढ़ा है ….! दोस्ती मानता है ….”

“मतलब से . ” पूसा भड़का था . “भगवान बनने के बाद देखना इसे ….! अब ये …..”

सब चुप थे . सब के होश बिगड़ने लगे थे . सब को तनिक बुरा तो लगा था कि ..मौसी ने चालाकी-चतुराई से अपने सुपुत्र को उन का भगवान बना दिया था . लेकिन करते भी तो क्या ? भागीरथ बोलता तो था …पर उस के वश का कुछ था नहीं !

“हमारे में दम है तो ….हमीं राजा बनेंगे ….! जुग जोर का नहीं – शोर का है ! संगठन में शक्ति है . हम सब जब मिल कर आवाज़ उठाएंगे …तो ही बात बनेगी , दोस्तों ! वरना तो ये भालेंद्र …अब …”

“क्यों मूड बिगाड़ते हो , भागीरथ ….?” रज्जू ने राय दी थी .  “होगा -जाएगा …कुछ नहीं ! किस संगठन की बात करते हो ….? हमारे बीच में गद्दार बैठे हैं . मौसी के जासूस तो हमारे मन की भी बात सूंघ लेते हैं . पल-पल की खबर मौसी तक पहुंचती है . हर चूहे की नब्ज मौसी के हाथ है ! कम मत आंक लेना …मौसी को …..”

“मेरे साथ आ जाओ …..रज्जू …! मैं दाबे के साथ कहता हूँ कि …मौसी नौ सौ कोस तक ढूंढें न मिलेगी ….! ऐसी फूँक मारूंगा कि …मौसी – छू ….!!”

सारे चूहों ने भागीरथ को एक साथ देखा था . लगा था – उस की बात में दम था ! मौसी के लाडले भालेंद्र ने तो उन्हें मार-मार कर ही खाना था . उन का शोषण ही करना था . बड़ा ज़ालिम था – भालेंद्र ! दया-धरम तो उस के खाते में कहीं लिखा ही न था ! और अगर भागीरथ की कमान चढ़ गई तो ….सब बंद से छूट जाएंगे ….सब के सब आज़ाद ….स्वतंत्र ….! एक मौका मिलेगा हर किसी को कमाई करने का ….! सुख के दो पल जीने को तो मिलेंगे ….? कम-स-कम …अपने -अपने बिलों में तो आज़ादी मिलेगी ….! कुछ कहने-सुनने में भी आनंद आएगा …और रहन-सहन भी सुधर जाएगा …..

“भागीरथ ही हमारा भविष्य है …..!” ये बात गुप-चुप तय हुई थी. “भागीरथ भागीरथी को ला देगा ….!! हमारे सुख-साम्राज्य की बात वो सोच सकता है ….क्योंकि वो हम में से ही एक है . चलते हैं . देखते हैं . सोचते हैं . आने दो समय को . सब ठीक हो जाएगा ….!!!”

अनाम प्रसन्नता की लहर को चूहों के चेहरों पर धरा देख ….मौसी ने गेम ताड़ लिया था !

“हाए,राम …..!!” पप्पू बता रहा था . “भयानक स्पीड से ट्रक आया …! खूब जोरों से भागा था – भागीरथ …! पर इस तरह कुचल गया कि ….पेट बाहर सड़क पर पड़ा मिला ….!!”

भागीरथ की मौत पर खूब आँसू बहाए थे , मौसी ने ….और भालेंद्र तो फूट-फूट कर रोया था ….!! ‘हमने एक महान नेता खो दिया !’ उन का वकतव्य हर अखबार के पहले पन्ने पर छपा था ….!!

………………

श्रेष्ट साहित्य के लिए – मेजर कृपाल वर्मा साहित्य …!!

 

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