सच्चा सौदा !

बंद किले में बैठ कर अगला चुनाव जीतने की योजना बने जा रही थी .

“ये हमारी टीम है, धरम जी !” उल्लास बोल रहा था . “चुनाव क्या है, क्यों है ….किस लिए है …से लेकर हमें ये तक आता है कि …चुनाव कैसे लड़ें …कब-कब हारें-जीतें …..डटें …भागें ….हंसें …या कि रोयें …! हम एक-एक पब्लिक सेंटीमेंट को नाप-तौल कर …अपनी रन-नीति का हिस्सा बनाते हैं …! हम पब्लिक ओपिनियन को लेकर …पब्लिक को ही लूट लेते हैं …! उन के वोट अपनी जेब में डाल कर …चल देते हैं ….और वो देखते ही रह जाते हैं …दंग, हैरान ,परेशान ! लेकिन ….”

“मुझे क्या करना होगा , उल्लास जी …?” धरम जी से न रहा गया , तब पूछा है .

“कुछ नहीं !” हाथ झाड़ते हुए बोले है, उल्लास जी . “वर्चुअल्ली आप को कुछ भी नहीं करना है !” वो हँसे हैं . “अरे,भाई ! ये टीम किस लिए बैठी है ?” उन का इशारा अपने सहयोगियों की और है . “ये टीम चुनाव जीतने का करिश्मा करेगी ! चुनाव के लिए ….आप के नाम पर ..आप के दाम पर ….और अपने काम पर …”

“दाम की बात ही तो मैं पूछ रहा था , उल्लास जी ! वो ऐसा है कि …बज़ट पता चल जाए तो ….?”

“गिनाते हैं …!”उल्लास जी उबले है . “आईये , रहमानी जी !” उन्होंने अपनी टीम के एक सदस्य को पुकारा है . “बताइये अपना बज़ट …!” उन का आदेश है .

रहमानी जी उठे है . उन्होंने धरम जी को अपनी निगाहों से देखा है . मुस्कराए हैं . तमाकू का एक छोटा कतरा चुपके से खा कर मठारे हैं . फिर अपने दोनों हाथ कमर पर बांध, बोले है .

“देखिए, धरम जी ! आप का ये हुलिया तो ….बिलकुल नहीं चलेगा !” दो टूक बात की है , उन्होंने . “आप का कद छोटा है . इसे लंबा करना होगा ! तो …’शूज़’ ….स्पेशल ‘शूज़’ बनेंगे ! कद काबू आ जाएगा .” वह धरम जी को फिर से नाँपने लगे हैं . “आप की नांक का …ये जो एंगल है ….न , कठोर नज़र आता है …जो एक पब्लिक फिगर के लिए अहेतुकी है ! थोड़ी सर्जरी होगी …ठीक हो जाएगा ! हेयर-स्टाइल …नीड्स ए …कम्प्लीट …चेंज  ..! लड़कों को देखा है …? वो मांगता है , आज का यूथ ! और आप की ये बेगरी भोंहें तो ….एक दम अलग से ही लगानी होंगी ….! चहरे का रंग भी …गुलाबी-सा कुछ होगा ….और तब जा कर …आप …कैमरे पर आने लायक बनेंगे !”

“मैं बज़ट पूछ रहा था …..वो …..अर  ….महमान जी ……”

“रहमानी जी ….!” उन्होंने बीच में टोका है . “कुल मिला कर ….सात एक करोड़ ……तक ….”

“सात ..करोड़ ….?” धरम जी उछले हैं .

“क्यों …? पैसा चुनाव से पहले ही …..चुक गया …?” उल्लास जी ने पूछा है .

“ना ,ना ! नहीं,नहीं ….!!” धरम जी बौखला जाते हैं . “मैं …..मेरी बात …आप समझिए , उल्लास जी …कि ………”

“भाई, धरम जी ! मैंने पहले ही कह दिया है कि …आज का चुनाव पैसे का ‘खेल-तमाशा’ है ! आप चुनाव जीतेंगे ….अवश्य ही जीतेंगे ….पर पैसा ……”

“है, है ,,,! पैसा है …!!” धारम जी हँसे हैं . “अगला बज़ट भी बताइये ….ताकि मैं निर्णय ले लूं …..”

“इन से मिलें  – समीर जी ! ये आप के तमाम संवाद लिखेंगे ….संवाद प्रसारित कराएंगे ….और चुनाव -प्रचार देखेंगे ! ‘ट्रम्प’ की टीम में काम कर के लौटे हैं .” हँसे हैं , उल्लास जी .

“मेरा कोई ज्यादा खर्च नहीं है , धरम जी !” समीर जी कह रहे हैं . “देखिए …’संवाद’ ही आज के चुनाव की चाबी है . आप ने क्या बोला ….क्यों बोला ….कैसे बोला ….और आप का क्या अर्थ था – अंदाज़ था …, उस बोलने का – मैटर्स …द …मोस्ट !!” समीर जी गंभीर हैं . “एक-एक शब्द अनमोल होता है …मोती होता है ….माणिक -सा लगता है ….और गंभीर घाव करता है ! देखिए ! शोले के ही ‘संवाद’ को लीजिए ,’अरे, ओ …साम्भा …!’ परखिए इस संवाद को !” पलटे हैं, समीर जी . “आप के विषय में …आप की आवाज़ …लड़कियों जैसी आवाज़ …ही हमें डुबो देगी . आप कोई सलीके का संवाद बोल ही न पाएंगे ! फिर ….? उपाय है, हमारे पास ! हर मर्ज की दवा है ….! आवाज़ होगी – नर हरी की . हालांकि नर हरी – निरा सूअर है …पर उस की आवाज़ …! संवाद लिखेंगे – नूरपुरी ! सुना है उन का कोई संवाद …? नहीं ,न ! अरे भाई …’वो क्या कहते हैं …., वो वाला संवाद ….! अरे,उल्लास जी ! आप को तो याद था न …?”

हंसी का भबूका उठ कर …बंद किले में फिर से आ बैठता है .

“पैसे तो बता देते …., समीर जी ….?”

“कहने की बात है , धरम जी ? वही …कोई ..कपिल ऑफ़ करोड्स …..और …..”

“और ….?” धरम जी की आवाज़ डूबने लगाती है .

“और …ये है , मीडिया -मुग़ल , धनवीर जी !” उल्लास जी ने एक और भी नाम गिनाया है . “इन की भी तो सुन लो !” वह धरम जी को घूरते हैं . “भाई , मेरा तो सच्चा-सौदा है !” धनवीर जी बोल पड़े हैं . “आई …कवर …एंड चार्ग फॉर द …एच्वल ….एक्सपेंसेस …!” उन्होंने एलान किया है . “अब देखिए …..कि  रात-दिन …चौबीस -घंटे का प्रचार होता है …., आज-कल ! आप की आवाज़ …इमेज ….ख्याति …और सरोकार – हमें घर-घर तक ले जाना होता है . घर से घाट तक हम आदमी के पीछे होते हैं . मजाल है कि वह …आजीवन तक आप का नाम भूल जाए ! हमें उस के जहन में गहरे तक घुस कर ….आप का नाम ,काम ,इरादे ,इच्छाएं सब रोपने  होते हैं – पौधों की तरह ….जो आजीवन बढ़ते ही रहते हैं . एक बार आप चुनाव जीते …तो …फिर …जीवन भर जीतते ही चले जाएंगे ! कैसे होता है ….एक अमेरिका का राष्ट्रपति ….दूसरा टर्म भी ले आता है . मीडिया – …, सिम्पली -मीडिया …!!”

“पर …पर ….बज़ट ….?” कांपने लगे हैं …..,धरम जी . “अरे,भाई ! मैं …मैं …कोई ….”

“आप धरम जी , जुआ मत डालो ! चुनाव जीते धरे हो ….! पैसे का लालच मत करो ….! खूब कमालिया है …..और कमाओगे …..फिर-फिर कर कमाओगे ….! एक बार तुम्हारी इमेज बन जाए , बस !”

“पाप धुल जाएंगे , धरम जी !” समीर ने जुमला कहा है . “हमने तो गधों को घोडा बनाया है ! हमारी टीम ….”

पूरी टीम ने धरम जी को एक साथ देखा है .

“हाँ ! कपडे-लत्तों का जुगाड़ ……लगाएंगे ……..” उल्लास जी बोले है .

“बस,बस ……!” धरम जी ने हाथ जोड़े हैं . “हे, परमात्मा …!! हे , मेरी आत्मा ……” वो विनती-सी करने लगे हैं .

“तुम्हारी आत्मा तो कब की सड़ चुकी है , धरम जी !” उल्लास जी बोले हैं . “मत पुकारो , किसी को ….! बंद किले से आवाज़ बाहर जाएगी कैसे ….? हम मात्र पैसे ही तो मांग रहे हैं ….., भाई जी ! आप तो …….?”

पूरी टीम हंस पड़ी है ….हंसती ही चली जा रही है …..!!

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श्रेष्ठ साहित्य के लिए – मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!

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