by Major Krapal Verma | Jan 22, 2025 | रजिया
नीमो की ढाणी लौट कर सोफी को बहुत अच्छा लगा था। उसे लगा था जैसे उसकी आत्मा हमेशा से ही इस नीमो की ढाणी में रह रही थी और अब उसका मन भी यहीं आ कर रच बस गया है। वह न जाने कैसे अमेरिका और स्काई लार्क को भूल गई है। अब तो उसे जालिम भी कम याद आता है। हां, राहुल सिंह ..?...
by Major Krapal Verma | Jan 20, 2025 | रजिया
“जुनून और जौहर का जमाना था यह!” राहुल सोफी को बता रहा था। “महाराणा प्रताप को तो जुनून सवार था कि वह मुगलों को हरा कर मानेंगे।” “क्यों?” सोफी ने बीच में प्रश्न किया था। “ऐसा क्या जुनून जो ..?” “मुगलों को वह विदेशी...
by Major Krapal Verma | Jan 18, 2025 | रजिया
मेवाड़ में प्रवेश पाते ही सोफी को लगा था जैसे हवा ही बदल गई थी। उस प्रदेश का अनोखा प्रसार उसे आनंदित कर गया था। उसे लगा था जैसे वह इस देश प्रदेश को जानती थी। वह इन सब पेड़ पौधों और पशु पक्षियों से परिचित थी। कुछ भी अजान बेजान न था यहां। और चित्तौड़ गढ़ में प्रवेश पाते...
by Major Krapal Verma | Jan 11, 2025 | रजिया
सोफी जिद कर के माण्डव लौट आई थी। माण्डव के खण्डहरों में वो उतावली बावली हुई डोल रही थी। टाइगर परेशान था। सोफी जो प्रश्न करती उसका उत्तर उसके पास न होता। सोफी के प्रश्न भी तो अटपटे ही तो थे। “पहले माण्डू का इतिहास समझ लो सोफी!” टाइगर कह रहा था। “दसवीं...
by Major Krapal Verma | Jan 4, 2025 | रजिया
राहुल सिंह के साथ घूमती फिरती सोफी को आज भारत बहुत ही जाना पहचाना लग रहा था। कितनी सहजता से राहुल सिंह उसकी हर जिज्ञासा का जवाब देता था – कमाल ही था। “इस तरह के जिरह बख्तरों को पहन कर और घोड़े पर सवार हो कर ये तुम्हारे राणा जी कैसे लड़ पाते होंगे...