कोर्ट-कचहरी

कोर्ट-कचहरी

न्याय अन्याय के इस खेल मेंशामिल हैं सभीजो मुकदमा डालता हैअपने बचाव में फिर जो चारों तरफ भागता है पुलिस भी खेलती है खेल यहनज़र से उसकी क्या बच पाता है?फिर वकील पहन काला कोटमैदान मै आ जाता हैन्याय होया हो अन्यायकोई भी दाग, उसके दामन कोन छू पाता हैये समाज ही, हर बारहार...
माँ

माँ

देखा उसे जब पहली बारअस्त-व्यस्त बालबेहाल,वेदना से व्याकुल,मुस्कुरा दी मुझे देख कर!वो -माँ थी!फिर जब भीमुझे दर्द होतारो देती उसे चाहे भूख होतीया की प्यास से आकुलनहीं हुआ मै कभी भूख प्यास से व्याकुल!वो – माँ...
जहाँ मान मिले

जहाँ मान मिले

जहाँ मान मिले सम्मान मिले मेहनत का पूरा दाम मिले काम वहीं तुम करना सपने देखो बड़े बड़े नहीं होते पूरे बिना लड़े समय का सारा खेल यहाँ जो ना पहचाने समय का रूख और समय की कीमत वो बह जाता ना रूक पाता ना कुछ अर्जित ही कर...
भोर को तारा – नरेन्द्र मोदी

भोर को तारा – नरेन्द्र मोदी

पुस्तक परिचय नेहरू का युग था नेहरू का युग था. समाजवाद का सपना आकर देश के जन-मानस की आँखों में ठहर गया था. वि नोवा जी का भू-दान यज्ञ आरम्भ हो चुका था.समाज में एक सौहार्द पनप रहा था. सभी नई-नवेली आज़ादी के गुन-गान में लगे थे. एक नई -नई उमंग थी जो देश में लबालब भरी थी....
परिवार तंत्र

परिवार तंत्र

ना जाने क्या मजबूरी हैलोग राष्ट्र को नहींपार्टी को देते हैं महत्व ज्यादाबात लोकतंत्र की होती हैपर नेता नहीं बदले जातेपार्टी मे जिनकी परिवार तंत्रवो लोकतंत्र समझाते हैंइस्तीफ़े आते हैं प्यादों के जो हैं हार के जिम्मेदारवो साफ साफ हैंबच जाते!ना जाने क्या मजबूरी हैक्यों...