by Verma Ashish | Nov 15, 2019 | Uncategorized
न्याय अन्याय के इस खेल मेंशामिल हैं सभीजो मुकदमा डालता हैअपने बचाव में फिर जो चारों तरफ भागता है पुलिस भी खेलती है खेल यहनज़र से उसकी क्या बच पाता है?फिर वकील पहन काला कोटमैदान मै आ जाता हैन्याय होया हो अन्यायकोई भी दाग, उसके दामन कोन छू पाता हैये समाज ही, हर बारहार...
by Verma Ashish | Nov 15, 2019 | Uncategorized
देखा उसे जब पहली बारअस्त-व्यस्त बालबेहाल,वेदना से व्याकुल,मुस्कुरा दी मुझे देख कर!वो -माँ थी!फिर जब भीमुझे दर्द होतारो देती उसे चाहे भूख होतीया की प्यास से आकुलनहीं हुआ मै कभी भूख प्यास से व्याकुल!वो – माँ...
by Verma Ashish | Jun 16, 2019 | Uncategorized
जहाँ मान मिले सम्मान मिले मेहनत का पूरा दाम मिले काम वहीं तुम करना सपने देखो बड़े बड़े नहीं होते पूरे बिना लड़े समय का सारा खेल यहाँ जो ना पहचाने समय का रूख और समय की कीमत वो बह जाता ना रूक पाता ना कुछ अर्जित ही कर...
by Verma Ashish | Jun 1, 2019 | Uncategorized
पुस्तक परिचय नेहरू का युग था नेहरू का युग था. समाजवाद का सपना आकर देश के जन-मानस की आँखों में ठहर गया था. वि नोवा जी का भू-दान यज्ञ आरम्भ हो चुका था.समाज में एक सौहार्द पनप रहा था. सभी नई-नवेली आज़ादी के गुन-गान में लगे थे. एक नई -नई उमंग थी जो देश में लबालब भरी थी....
by Verma Ashish | May 28, 2019 | Uncategorized
ना जाने क्या मजबूरी हैलोग राष्ट्र को नहींपार्टी को देते हैं महत्व ज्यादाबात लोकतंत्र की होती हैपर नेता नहीं बदले जातेपार्टी मे जिनकी परिवार तंत्रवो लोकतंत्र समझाते हैंइस्तीफ़े आते हैं प्यादों के जो हैं हार के जिम्मेदारवो साफ साफ हैंबच जाते!ना जाने क्या मजबूरी हैक्यों...