by Verma Ashish | Feb 24, 2020 | Kahani
काम के सिलसिले में मुझे अक्सर बाहर जाना पड़ता है .. मार्केटिंग जॉब है. इस बार जोधपुर जाना था. पहली बार जा रहा था .. मेरे साथ मेरे एक कोलिक भी थे. इन दिनों बच्चों के एक्साम्स चल रहे हैं तो रिसर्वेशन आसानी से मिल गया. दिल्ली सराए रोहिल्ला से जोधपुर लगभग ११ घंटे का रास्ता...
by Verma Ashish | Feb 19, 2020 | Kahani
जेल में हूँ. माँ, बाबूजी, मालती .. विवेक .. हम सभी. हमारी बात कोई सुनने वाला नहीं है. दो साल भी पुरे नहीं हुए हैं शादी को .. पहली बार उसे फोटो में ही देखा था. जैसा नाम वैसा ही रूप था उसका. गोरी थी और नाक-नक्श भी अच्छे थे. सुन्दर थी. माँ ने पूछा तो हाँ कर दी .. वो कम...
by Verma Ashish | Nov 26, 2019 | Uncategorized
सोच लो समझ लो परख लोकौन दुश्मन, कौन दोस्त ये सियासत है कोई भरोसा नहीं परछाई का भी पीठ में छुरा भोंकना आम है भाई-भाई का नहींबाप-बेटे का नहीं चाचा-भतीजे का नहीं यहाँ बस मतलब का है नाता डरोगे तो मरोगेनहीं डरोगे तो भी मरोगे बड़ा ही अजीब खेल है ये ठेकेदारी है बड़े बड़े ठेके...
by Verma Ashish | Nov 25, 2019 | Uncategorized
बंधन नहीं है कोई स्वतंत्र हो उड़ान तो भरो अपनी शक्ति पर विश्वास करोकमी है अगर कोई बाहर तोआँखें बंद करो हर समस्या का हल है भीतर ही क्या सोचते हो ध्यान करो सोच का बीज ही परिणाम का वृक्ष है बड़ाबदलना है कुछ अगर बस अपनी सोच को बदल लोबंधन नहीं है कोईस्वतंत्र हो उड़ान तो...
by Verma Ashish | Nov 22, 2019 | Uncategorized
दिन ढल रहा थाअँधेरा बढ़ रहा थानिशाचरों का साम्राज्य थामन डोल रहा थाडर था कि क्या अब रहेगा अँधेरा ही?लम्बी जरुर थी रातपर अब अँधेरा छंटने लगा हैउजाला बढ़ता ही जा रहा है निशाचर छुपने लगे हैं अब मत व्यथित हो मननई सुबह आने को...