सियासत

मोहब्बत में तकरार, दोस्ती में दरार डाल देती है ये सियासत है इंसान को धर्मों में बाँट देती है यूँ तो मजहबे हमें प्रेम का ज्ञान देती हैं सियासत मजहबी ज्ञान पर पर्दा डाल देती...

सबमें एक विजेता है

भरे हुए हैं शूरवीर यहाँ बस तू ही नहीं अकेला है जितने भी दिख रहे इंसान सबमें एक विजेता है लड़ी हुई है युद्ध सभी ने बाधाएँ सब ने झेली हैं कष्टों को सह के सभी ने जीत की होली खेली है अलग सभी का कौशल है सबकी अपनी रुचियाँ है रोहित बल्ले से बोला है तो बुमराह गेंद से गुर्राया...
पिता

पिता

हमें अपनी जरूरतों की कुर्बानियों पर पाला है , हमारी शख्सियत में अपने संस्कारों को डाला है , हमारी हर ख्वाहिशों को यूँ चुटकियों में पूरा कर डाला है , लगता है हमारे पिता ने अलादीन का चिराग ढूंढ निकाला...
राम

राम

राम केवल नाम नहीं हैं राम बस इंसान नहीं हैं राम तो जीवन दर्शन हैं कष्टों में धैर्य का प्रदर्शन हैं राम त्याग की मूर्ति हैं राम प्रेम की अनुभूति हैं राम एक संस्कार हैं राम मर्यादा का सार...
श्रमिक

श्रमिक

देखा मैंने इक श्रमिक जो निज कर्म पर इतरा रहा था कर्म को ही धर्म माने नित निरन्तर जी रहा था शून्य सा लगता मुझे वो जिसका कोई मूल्य न था पर संग जिसके वो खड़ा था उस सा कोई बहुमूल्य न था अपने लहू से सींचकर वो धरती से सोना बनाता पर निरा अभिशिप्त था वो खुद को कुछ न दे था पाता...