by Akhileshwar Mishra | Feb 8, 2020 | Uncategorized
अलग है पहचान इनका शनि देव इनका नाम है सूर्य के ये पुत्र हैं काल इनके भ्राता हैं दृष्टि इनकी है अलौकिक अद्वितीय इनकी गाथा है काला इनका पोशाक है वाहन इनका काक है देव दानव या कि मानव ये नहीं कुछ भेद करते कर्म के अनुसार सबका ये तो बस न्याय...
by Akhileshwar Mishra | Jan 25, 2020 | Uncategorized
चलल बा आदमिन क रेला माघ क मेला आईल बा आज बा अमौसा क नहान चलल बा बूढ़े संग जवान आपन धोवे खातिर पाप चलत बा करत करत ऊ जाप आज संगम में नहाके करिह पावन सब अपनाके भरिल गंगाजल क डब्बा कहत हैं देखा दद्दा लइके जात हैं मेला घूमे बुढ़ऊ कीर्तन सुनिके झूमें एक ओर बा चाट समोसा क ठेला...
by Akhileshwar Mishra | Jan 11, 2020 | Uncategorized
एक खूबसूरत सी शाम थी और माँ गँगा की घाट थी जहाँ बैठा मैं कुछ सोच रहा था यादों में कुछ खोज रहा था देख रहा था इक किरदार चमकता था वो पिताजी का चेहरा दमकता जो मेरे सपनों के आधार बने थे मेरे हर इच्छाओं के साथ खड़े थे हमेशा निराशा में आशा जगाते मिलते हमेशा हौसला बढ़ाते वो...
by Akhileshwar Mishra | Nov 13, 2019 | Uncategorized
ख्वाबों के शहर में हम कुछ यूँ खो गए हैं अपने उलझनों में उलझे ही सो गए हैं उलझने दिमाग को ही अपना घर समझती हैं मुझे परेशाँ करना अपना मकसद समझती हैं परेशानियों की बातें भी हम कुछ बताते हैं एक खतम होते ही दूसरे शुरू हो जाते हैं किन्ही तरीकों से उलझने अब नहीं सुलझती हैं...
by Akhileshwar Mishra | Oct 19, 2019 | Uncategorized
रावण आज फिर कहीं मुस्कुराया होगा जब हजारों रावणों ने उसे जलाया होगा सोचा होगा अपने प्रतीकों को जलते देखकर लोगों ने खुद में तो मुझे ही जिलाया होगा उसे मायूसी भी हुई होगी इन रावणों को देखकर जब इन्होंने उसकी बुराइयों को केवल अपनाया...