अमर – शहीद

अब आ कर एक हुंकार ने जन्म लिया है. अब आ कर भारत आज़ाद हुआ है. अब आ कर लगा है कि …..प्रधान मंत्री की कुर्सी पर एक समर्थ पुरुष आ कर विराजमान हुआ है ….!! और अब आ कर लगा है कि …..भारत का तिरंगा ….विश्व में फहराएगा …अपने में निहित रंगों का रंग जमाएगा …!

किसी भी राष्ट्र का मेरुदंड उस की सैनिक-शक्ति है. शक्ति विहीन राष्ट्र का कोई भविष्य नहीं होता . उस के नागरिकों का कहीं भी सम्मान नहीं होता. राजनीतिक चतुराइयाँ  ….चालाकियां ….चालबाजियां ….ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर पातीं. हाथ जोड़ कर आप नमस्कार तो कर सकते है …आग्रहों को भी बार-बार दुहरा सकते हैं ….अनुनय-विनय भी कर सकते हैं …! लेकिन जब सामने …रावन ही आ खड़ा हो …., तो ….फिर उसे जलाने के अलावा ….आप के पास कोई विकल्प नहीं बचाता …!

आज  वही पर्व है …! विजय दशमी है. हम रावण जला रहे हैं …और एक दूसरे आरंभ को जन्म दे रहे हैं …! नहीं सहेंगे हम ….इस आतंकवाद को !!

भारत …आज का भारत ….आप का भारत ….कोई टुच्चा-मुच्चा राष्ट्र नहीं है . इतना बड़ा साम्राज्य तो अशोक के पास भी नहीं था. भारत की शक्ति और सामर्थ अकूत है. ‘न्यूक्लिअर वार’ के मात्र स्मरण से आप को बुखार क्यों हो आता है …?

शहीद ही अमर होते हैं ….कायर और डरपोकों की लाशों पर तो गीदड़ भी नहीं रोते ….!!

दहाडिये  …आप दहादिये ! विजय दशमी के इस पर्व पर …’सर्जिकल स्ट्राइक ‘ को स्मरण कीजिए और ….गाइए –

विजई विस्व तिरंगा प्यारा ……..

झंडा उंचा रहे हमारा ….!!

 

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