बेटी तो बाहर बैठी है !
प्रश्न कब नहीं उठा ?
अब तो प्रश्न-चिन्ह प्रश्नों का पीछा करनेवालों पर लगा है। ये कि उन अनुयाइयों ने किसी आंतरिक डर की वजह से , किसी के लिहाज़ के लिए, या कि किसी बड़ी सामाजिक उपलब्धि के सोच के तहत इस प्रश्न को गहराई से नहीं उठाया ! वो शायद सहमते रहे कि इस संकुचित मानसिकता से कोई बड़ा मोर्चा वो फतह नहीं कर पाएंगे। अगर वो ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का फतवा लेकर आगे बढे तो …अवश्य ही सफल होंगे और न केवल भारत में अपितु विश्व में एक सुख-साम्राज्य की स्थापना कर पाएंगे।
हमारे पत्रकार, विज्ञानी, मनीषी और राजनीतिज्ञ तो अब भी उसी प्रयास का पीछा कर रहे हैं। आज भी पत्रकार मनगढंत कहानियां लिख रहे हैं और बता रहे हैं , “बेटी तुम्हारी दिवाली मुसलमान भाइयों ने मनाई थी …और होली क्रिश्चियन्स ने ! तुम्हेँ याद होगा कि …किस तरह हमने ईद मनाई थी …और …क्रिसमस पर हम कहाँ गए थे ?” इन तमाम बातों में अब दम नहीं बचा है ! क्योँ कि जो बेटी अब बाहर बैठी है ….उसे भी डर लग रहा है …कि कहीं वो भी विस्थापित न हो जाए ? जिस आशा को लेकर हमारे पत्रकारों ने बेटी को पत्र लिखा था – वो तो कब की हवा हो गई ! और अब जो हवा बह रही है , ‘गेट आउट ! गो टू यौर कंट्री !’ वह तो चलेगी ! सब स्पष्ट है। …साफ़ है। ..और उन की बात तो गोली की नौंक पर धरी है ! न जाने पर तो प्राण …जाएंगे …! अब …?
जिन्होंने सेकुलरिज्म का मंत्रोच्चार किया था उनहोंने ही अब अलगाव का शंख फूँका है ! अब वही अपने-तेरे के कायल हो गए हैं। अब वो किसी के भी साथ रहना पसंद नहीं करेंगे। अब वो अपना पवित्र राष्ट्र बना कर स्वयं ही अपने सं-साधनों का उपभोग करेंगे ! आप के तो आने पर भी रोक लगा देंगे …ताकि अगली गलती ही न हो !
और हमने ..तो उन का सब संभाल कर रखा हुआ है ! विक्टोरिया से लेकर डलहौज़ी तक …और अकबर से लेकर हमीदपुर तक …हमने सब सहेज रखा है, संभाल कर रखा है …हिफाज़त के साथ ! हम उस की रखवाली करते हैं। भाषा उन की , कानून उन का , नियम-धरम – सब उन का , ज्यों का त्यों आज भी धरा है ! उन का स्वागत है …आदर है …और बराबरी से भी आगे का सब कुछ है ! जो जब चाहे -आए …जब चाहे जाए …! हमने अपना तो कुछ सोचा ही नहीं है , अपने बारे कुछ समझा ही नहीं ! हमारे दिमाग मैं तो अपने देश का कोई मानचित्र तक नहीं !
रोज़ की रोटी कमा कर खा लेने से आगे का कोई स्वप्न हमने पाला ही नहीं ! संतोष के साथ जी लेने के सिवा हमारी न कोई कामना है …और न कोई भावना !
हमें तो पहले भी कुछ नहीं चाहिए था ! निर्वाण से आगे निर्माण की बात हमने कभी सोची ही नहीं ! अपना अलग से एक राष्ट्र बने – ये बात तो कभी हमारे ज़हन में आई ही नहीं ! जब कि उन लोगों की आँख तब से लेकर अब तक – हमारी प्राप्त स्वतंत्रता पर टिकी है ! वो आज भी हमें गुलाम ही मान कर चलते है …कायर समझते हैं …भीरु भी बताते हैं …और समझते हैं कि आज नहीं तो कल – वो हमें समझा-बुझा कर …डरा-धमका कर फिर से गुलाम बनाएंगे …और विश्व का एक सबसे बड़ा साम्राज्य मुफ्त में पा जाएंगे ..!!
अब आता है – आप का प्रश्न ….?

Yes we are Fools Dumbs& Duffers we never wrote our own History Took No lesson from past History we loved those who ruled us demolished our Temples looted our wealth bloody Invaders! still they r in our History books but no Vedas No Chanakya learnings .What these tyrants made Hindus?Slaves of money&Rulers. Even today new generation Don’t care for Nation & Nation’s Unity& integrity.
It’s unfortunate & responsibility of new Generation to correct all past mistakes & Feel proud to be a Hindu