Description
सैलर में शराब का हिसाब-किताब करता जावेद अलग से सोच रहा है| अगर केसरी द्वारा लाई गई … भारतीय परमाणु विभाग की समूची जानकारी आज इच्छित हाथों में पहुँच जाती तो गजब हो जाता ! अब तक .. अमेरिका .. फ्रांस .. इंग्लैंड और जर्मनी .. सब को पता लग चूका होता कि भारत .. परमाणु-शक्ति के किस बिंदु तक पहुँच चूका है |
एक बारगी जावेद की मुट्ठियाँ कस आती हैं | दांत पीसकर वह स्वयं से मूक भाषा में कहता है – मुसलमान नहीं .. हिन्दू ही भारत को नीलाम कर रहे हैं .. आज भी मान सिंह मौजूद हैं | आज के युवाओं की धन के लिए खुजलाती हथेलियों में देश का अनहित समाया हुआ है |
वह पलट कर अपने जिए सात सालों का जायजा लेता है .. और निष्कर्ष निकलता है – दो देशों के बीच की लड़ाई … केवल संस्कारों और वर्गों की मोहताज है | हमे किसी चालाक हाथ ने हिन्दू-मुसलमानों के दो वर्गों में बाँट दिया है .. ताकि हम ताउम्र झगड़ते रहें !
वरना तो .. जावेद को कोई मुसलमान हिन्दू नहीं कह सकता .. और भारत में मेजर शशिकांत को कोई हिन्दू मुसलमान मानने को तैयार न होगा !!
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