“नौकरी की तलाश है?” कल्लू ने उस झुकराते युवक से पूछ लिया है। उसे लगता है कि ये कोई बेकार भटकती आत्मा है।

“कल इंटरव्यू है।” वह युवक बोला है। “कहते हैं कि .. नौकरी ..”

“प्रश्न पूछ लो!” कल्लू ने तुरंत उसे तरीका सुझाया है। “चिड़िया बता देगी।” उसने चार कदम पर बैठे कदम की ओर देखा है। कदम से कल्लू का कमीशन तय है। “केवल पांच रुपये लेगा और चिड़िया कार्ड निकाल कर तुम्हारे हाथ में पकड़ा देगी। बांच लेना।” कल्लू ने आंख उठा कर उस युवक को देखा है। “पढ़े लिखे तो हो?”

“हां-हां। एम ए इन हिस्ट्री।” युवक ने सगर्व बताया है। “ये देखो ..”

कल्लू चुप है। अब वह उस युवक से बात भी नहीं कर रहा है। न जाने क्या सोच कर युवक कदम की ओर चला है। कदम ने तुरंत पांच रुपये मांग लिए हैंं। नौकरी का सवाल है – युवक सोचता है। लोग न जाने कितना-कितना खर्च नहीं करते। पांच रुपये कोई बड़ी रिस्क नहीं है – वह सोच कर कदम को पांच का नोट थमा देता है। चिड़िया पिंजरे में फुदकी है। कदम ने उसे कुछ बोला है। चिड़िया ने कार्ड खींच कर बाहर फेंक दिया है।

“पढ़ लो।” कदम ने उसे कार्ड दे दिया है।

“प्रश्न शुभ लग्न में किया गया है। मनोरथ सफल होगा।” कार्ड पर लिखा है। “प्रश्न कर्ता होनहार युवक होना चाहिए।” पढ़ते ही उस युवक की आंखों में चमक लौट आई है। वह चुपचाप चला जाता है।

कल्लू ने तुरंत ही अपना कमीशन झपट लिया है।

युवक के मन में अब कोई संदेह नहीं रहा है। चिड़िया तो पक्षी है – वो झूठ क्यों बोलेगी – वह सोचता है। चिड़िया ने सच ही कहा है कि वो एक होनहार युवक है। कल नौकरी मिलने के बाद से उसका वैभव बढ़ना आरंभ हो जाएगा – वह महसूस रहा है। क्वालीफिकेशन तो पूरी है। सिर्फ .. अब तो ..

“मैंने हिस्ट्री में एम ए किया है, श्रीमान।” युवक ने चहक कर उत्तर दिया है प्रश्न कर्ता को।

“कोई काम आता है?” उसने फिर से पूछा है।

“काम ..?” युवक ने थूक सटका है। “काम .. माने कि काम ..! हम कोई भी काम कर सकते हैं।”

“गाड़ी चला लेते हो?” दूसरे व्यक्ति ने पूछा है। “माने कि कार .. कार चला लेते हो?” उसने समझाते हुए फिर कहा है।

“न-न्हीं कार तो हम नहीं चला पाएंगे।” हकलाते हुए युवक ने कहा है।

“जा सकते हो।” तीसरे व्यक्ति ने उसकी टिकिट काट दी है।

वह घबरा गया है। उसकी आंखें निस्तेज हुई लगी हैं। उसका शरीर निष्प्राण हो गया है। कितनी उम्मीद थी आज कि नौकरी मिल ही जाएगी। लेकिन इन्हें तो काम वाला कोई आदमी चाहिए। इन्हें तो .. इन्हें तो किसी होनहार युवक की तलाश ही नहीं है। ये तो .. ये तो .. साले ..

समझ नहीं आ रहा है कि अब वो करे तो क्या करे? उसे तो अटल विश्वास था कि पूरी पढ़ाई करने के बाद तो उसे कोई अच्छा जॉब मिल ही जाएगा। लेकिन दुनिया जहान में डोलने के बाद वह अब भी बेकार है। आज भी सड़क पर है और उसकी जेब खाली है। पांच रुपये तो चिड़िया वाले ने ही ले लिए थे। उसके बाद ..

अचानक उसे चिड़िया वाला याद हो आता है।

“साला ठग बैठा है।” वह चिड़िया वाले को गरियाता है। “चल कर इसकी खबर लेता हूँ।” वह निर्णय लेता है। “दुनिया में ठगी चल रही है।” वह सोचता है। “जिसे देखो वही साला चोर है। लेकिन .. लेकिन चिड़िया .. एक पक्षी भी झूठ बोलता है? बाप रे, किसी का कोई भरोसा नहीं।” उसका निर्णय है। “तोड़ फोड़ डालूंगा चिड़िया के घोंसले को। आज नहीं मानूंगा। आज तो दूध का दूध और पानी का पानी ..”

“नहीं लगी नौकरी?” वह चिड़िया वाले कदम के सामने खड़ा हो गर्जा है। “तुम चोर हो। ठगते हो राहगीरों को ..” उसने उलाहना दिया है।

“क्या है बे।” कल्लू आ कर उसके सामने खड़ा हो गया है। “क्यों शोर मचाता है?” कल्लू ने उसे झिड़का है।

“गलत बताया चिड़िया ने ..!” युवक ने तनिक धीमी आवाज में कहा है। “नहीं लगी नौकरी। निकाल दिया उन्होंने। कहा .. कोई काम आता है ..”

“आता है कुछ?” कल्लू ने जोर दे कर पूछा है।

“नहीं!” उसने भी जोर देकर कहा है।

“तो जाओ।” कल्लू ने उसे धक्का दिया है।

“चिड़िया ..?”

“चिड़िया ने एम ए हिस्ट्री में नहीं किया!” कल्लू ने व्यंग से हंस कर कहा है।

आस पास जमा हुए लोग भी हंस पड़े हैं। छोटी भीड़ अजीब आंखों से उस युवक को देख रही है। युवक घबरा गया है। वह मैदान छोड़ भाग खड़ा होता है।

लेकिन .. नौकरी ..? नौकरी तो तलाश करनी ही होगी। एक अदद नौकरी .. वो चलते-चलते सोचता रहता है। काम सीख कर क्या होगा?

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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