रूस से मूडी लाैटा है।

“जालिम रूस में भी नहीं है।” मूडी बता रहा है। “रूस की पूरी की पूरी खुफिया एजेंसी ने जम कर जाेर लगाया है। ये लाेग भी भयभीत हैं जालिम से।” मूडी हम सब के चेहरे पढ़ता है। “हमारी तरह यह लाेग भी जालिम के अंगूठे के नीचे आ गए हैं।” वह स्पष्ट शब्दाें में कहता है। “लेकिन ..” वह ठहर जाता है।

एक चुप्पी लाैट आती है। एक निराशा हम सब के पास आ कर बैठ जाती है।

कितने-कितने धुरंधर लड़ रहे हैं इस जालिम से, लेकिन एक जालिम है कि किसी उलझी पहेली की तरह हल हाे कर ही नहीं दे रहा है। आम ताैर पर खुफिया एजेंसियाें की नजर में सब का सब समाया रहता है। हर घटना पर आंख रहती है। लेकिन ये घटना जाे रूस में घटी है, एक अंधी घटना कही जा सकती है।

“और काेई क्लू ..?” बरनी बाेला है। “आई मीन – जानी ग्रिप की माैत काे लेकर उन लाेगाें का क्या मत है?” वह मूडी काे प्रश्नाें के दायरे में घेरता है।

“जानी ग्रिप की माैत का कारण जालिम ही है – यह ताे निश्चित हाे गया है।” मूडी बताता है। “अंगूठी से साबित हाेता है कि वह उस औरत की है जिसने उसे मौत के घाट उतारा है। उसने बहुत बेरहमी से मारा है, जानी ग्रिप काे।” मूडी फिर एक बार हम सब काे देखता है। “शी हैज बुचर्ड हिम वैरी बैडली। इट लुक्स लाइक ए रिवेंज ..!”

“उसकी प्रेमिका भी ताे हाे सकती है यह औरत?” लैरी अपनी राय पेश करता है।

“और इस राक्षस जानी ग्रिप ने उसे ब्लैकमेल किया हाेगा।” मैं भी अपना मत सामने रखती हूॅं। “यह था ताे एक ब्लैकमेलर ही।” मैं अपना अनुभव बताती हूॅं। “औरत की कमजाेरियाें काे इसने अपना व्यापार बना लिया था।”

“भारत में भी जालिम का खूब आना जाना है।” मूडी एक और सूचना देता है।

“इससे क्या सिद्ध हाेता है?” रस्टी प्रति प्रश्न दाग देता है।

मूडी अब चुप है। उसके पास इस प्रश्न का काेई उत्तर नहीं है। और हम में से किसी के पास भी इस प्रश्न का काेई उत्तर नहीं है। हम सब फिर से चुप हाे जाते हैं।

“उस औरत के बारे में, जिसने जानी ग्रिप काे बहुत-बहुत बेरहमी से मारा है और क्या जानकारी है?” बरनी बहती बात काे पकड़ लेता है। “टैल मी इन डिटेल मूडी।” वह अब की बार आदेश जैसा देता है। “हम सब के सामने हर बात का खुलासा विस्तार से कराे। तभी हम कुछ खाेज पाएंगे।” वह तनिक सा मुसकुराता है।

मूडी अपने आप काे फिर से संयत करता है। अपनी याददाश्त पर जाेर डालता है। हुई घटना काे फिर से याद करता है।

जासूसी में बहुत सारा व्यापार जबानी जमा खर्च में चलता है।

“इस औरत का हुलिया ..” मूडी संभल कर बाेला है।

“किस से मेल खाता है? कहीं चीन की ताे नहीं है?”

“नहीं।” मूडी नाट जाता है। “मिडिल ईस्ट ..?”

“मेरा शक सही है।” लैरी कूदता है। “है ही वहीं पर जालिम!” वह बताता है।

“बहुत धनवान महिला है। बहुत शातिर है। बेरहम भी और ब्यूटीफुल इतनी कि ..? कहते हैं उसका सा हुस्न ताे परियाें का भी नहीं हाेगा।” मूडी तनिक सा शर्मा गया है।

एक चुहल है जाे हम सब के मन गुदगुदा जाती है। सुंदर औरत का जिक्र भी एक सुंदर घटना जैसा ही हाेता है। मैं अचानक उस औरत की सुंदरता काे अपनी सुंदरता से नापने लगती हूॅं।

“शी इज हाईली ट्रेन्ड।” मूडी फिर से बताने लगता है। “और इतनी रहस्यमयी है कि ..” वह रुक जाता है।

“तब ताे यह औरत जालिम की बेटी है।” मैं दाे टूक अपनी राय दे देती हूॅं।

सब हंस पड़ते हैं। हंसी का एक चक्रवात उठ कर मानाे छत हिला देता है। अब सब मुझे ही देख रहे हैं। सब बार-बार मेरी ही दी राय पर हंस रहे हैं।

मैं भी हंस रही हूॅं। राय ताे राय है – गलत सही कुछ भी हाे सकती है।

हंसी का चक्रवात रुकता है। एक चुप्पी लाैटती है। मैं इस चुप्पी में अपने कहे मत का जायजा लेती हूॅं। मुझे लगता है कि मेरी की भविष्यवाणी एक ध्रुव सत्य है। यह औरत जालिम की बेटी ही है। लेकिन मैं अब किसी बहस में पड़ना नहीं चाहती।

“कल की छुट्टी मिला कर और तीन दिन की छुट्टी मैंने ले ली है।” रस्टी कहता है। “आई वाॅन्ट टू ..!” वह ठहर कर हंसता है। “हैल औफ ए लाइफ, यार!” वह अपने आप काे काेसता है। “फुल ऑफ टेंशन। इस जालिम ने ताे नाक में दम कर दिया।” वह शिकायत करता है।

अचानक ही मेरा मन कूद कर मेरे सामने आ खड़ा हाेता है। छुट्टी मनाने का आग्रह मुझसे करता है। और मेरे जहन में एकाएक राॅबर्ट ही आ धमकता है। लेकिन फिर साेचती हूॅं कि वह ताे जा चुका है। अब वह शायद ही लौटेगा।

“लैट मी गाे ऑन ए राइड। एक लंबी घुड़सवारी – इनटू दी वुड्स एंड डीप वैरी-वैरी डीप।” मेरा मन खुशी की उमंगाें से भर आता है। “एंड दैन हैवी ब्रेकफास्ट। हाॅट बाथ और फिर ..।” मैं एक सुख स्वप्न में डूबती ही चली जाती हूॅं।

मेरा घाेड़ा तैयार है। मैं भी तैयार हूॅं। घुड़सवारी पर जा रही हूॅं। किस दिशा में जाऊंगी मैं नहीं जानती। पर हां! घाेड़े काे आज खूब तेज-तेज दौड़ाउंगी। आज मैं तेज-तेज भागुंगी ताकि हां-हां! राॅबर्ट पीछे छूट जाए और मैं ..

“डैडी ने बुलाया है।” अचानक संदेश आता है। “अभी .. आप ..!”

“ठीक है। आती हूॅं।” मैं उत्तर देती हूं।

डैडी माने कि सर राॅजर्स! मेरे पिता हैं। वाे अकारण ताे कभी नहीं बुलाते। जरूर कुछ हाेगा, और हाेगा भी अर्जेंट। तभी ताे उन्हाेंने मुझे बुलाया है। आम ताैर पर ताे छुट्टी के दिन वह स्वयं भी कहीं जा रहे हाेते हैं।

मैंने बाहर कदम रक्खा है कि भीनी बयार ने मेरा स्वागत किया है। मैंने अपनी दृष्टि उठा कर अपने आस पास काे देखा है। न जाने क्याें अब मेरी नजर बदल गई है। यह एक जासूस की मानसिकता की कायल हाे गई है। और मेरा दिमाग ..

यह हमारा फार्म है। मेरे डैडी का बनाया यह साम्राज्य है। उन्हाेंने इस साम्राज्य काे अपने लिए बसाया है। यह एक पूर्ण इकाई है और अपने आप में हर तरह से परिपूर्ण है। यहां रह कर हर सुख शांति और सम्भावना स्वयं ही पूरे हाेते रहते हैं। सब कुछ यंत्रवत चलता रहता है यहां।

अरे रे। ये काैन बैठा है सर राॅजर्स के सामने? मैं अचानक ही बमक पड़ती हूॅं। राॅबर्ट है – मेरा दिमाग उत्तर पा लेता है। वह दाेनाें बतिया रहे हैं। मैं दूर से देख लेती हूॅं।

“साॅरी टू डिस्टर्ब यू डार्लिंग।” डैडी विहंस कर मुझसे माफी मांगते हैं। “सिन्स राॅबर्ट हैज कम ..”

“काेई बात नहीं।” मैं पास पड़ी आराम कुर्सी पर बैठ जाती हूॅं। “हैलाे राॅबर्ट!” मैं उसका स्वागत करती हूॅं। “कब लाैटे?” मैं उससे पूछ लेती हूॅं।

“गया ही कब था?” राॅबर्ट तुरंत उत्तर देता है। “मैं काेई जासूस ताे हूॅं नहीं जाे ..”

“चलाे! मैं जासूस हूॅं!” अब मैं तनिक नाराज हूॅं। “अब कहाे?” मैं उसे घूरती हूॅं।

“राॅबर्ट नहीं चाहता साेफी कि तुम यह जासूसी का धंधा कराे।” डैडी अगली बात बताते हैं। “और शायद मैं भी ..!” वह रुक जाते हैं।

“चाहे ताे सारी इंसानियत तबाह हाे जाए, सारे लाेग – बेगुनाह लाेग मारे जाएं और देश के बाद देश ध्वंस हाे जाएं और ..” मैं रुक कर उन दाेनाें काे एक साथ देखती हूॅं। “पर राॅबर्ट का एक मात्र स्वार्थ सिद्ध हाे जाना चाहिए, फिर चाहे ताे ..”

“ही लव्स यू डार्लिंग!” डैडी जाेर दे कर कहते हैं।

“नाे! ही लव्स याैर अंपायर! ही नाेज़ दि गेम – ही वाॅन्ट्स टू प्ले।” मैं स्पष्ट कहती हूॅं। “क्या देश के प्रति हमारा काेई दायित्व नहीं? अगर नहीं ताे आप ने वियतनाम की लड़ाई में जा कर क्याें जान झाेंकी थी?” मैं बिगड़ गई हूॅं।

“लेकिन जासूसी ..?” राॅबर्ट बीच में बाेला है।

“क्या बुरा है जासूसी में? लड़ने की दूसरी विधा ही ताे है – जासूसी?” मैंने उत्तर दिया है।

मैं लाैट आई हूॅं। मैंने अपने घाेड़े काे एड़ लगाई है। अब मैं भाग रही हूॅं। जंगल के बीचाें बीच, टपर-टपर घाेड़े की टापें सुनती मैं राॅबर्ट का काेई भी आग्रह नहीं सुन पा रही हूॅं।

मैं अब आजाद हूॅं। मैं अब जासूसी ही करूंगी, और ये जालिम भी अब मुझ से बच नहीं पाएगा!

Discover more from Praneta Publications Pvt. Ltd.

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading