पीटर फॉक्स विद जलेबी – इससे अच्छा नाम इस फिल्म का हो ही नहीं सकता।
आधी से ज्यादा जिंदगी जेल में काटने के बाद अब बाहर आया हूँ तो लग रहा है कि मैं बहुत कुछ कमा कर ले आया हूँ। बेहद बुरा और बहुत भयंकर जहां जहां भी कुछ हुआ सब ने सब मेरे नाम पर लिख दिया! लिख दिया – पीटर फॉक्स ने बेगुनाह लड़कियों को ठगा, एक्सप्लोइट किया और फिर बेरहमी से मार डाला। खबरें छपीं – पीटर फॉक्स जेल तोड़ कर भाग निकला। खुलासे हुए – पीटर फॉक्स ने बैंक डकैती की और फरार हो गया। क्या देश क्या विदेश पीटर फॉक्स बिकेम ए नेम टू रेकन विद।
और मेरी जान जलेबी ..? ओ माई लॉर्ड शी इज टू प्रेशियस! मैंने जिंदगी में इतनी दिलदार महिला नहीं देखी। हुस्न की परी है लेकिन जिस्म से कोहराम की कड़ी है। जेल में मैं था और जलेबी बाहर थी। सब बराबर था। दुनिया की हर खबर मुझ तक पहुंचती थी और हर अपराध का जन्म जलेबी के जेहन में होता था।
अब आप लोग खुद निर्णय लें कि हम दोनों का पर्दे पर क्या मोल होगा? आप फिल्म मेकर हैं और जानते हैं कि जब हमारे कारनामे पब्लिक देखेगी तो दंग रह जाएगी! वो वो घटेगा उनकी आंखों के सामने जो अभी तक किसी ने न देखा है न दिखेगा!
सुपर हिट फिल्म – फॉर ऑल टाइम टू कम!
“इत्ता पैसा अगर किसी अच्छे आदमी की जीवनी पर खर्च किया जाए तो ..?”
“तो कोई देखने तक नहीं आएगा – फिल्म!” मैं बोल पड़ा हूँ। “जवान लड़ रहे हैं बॉडर पर। बर्फ में मुसीबतें झेल रहे हैं। लेकिन कोई ताली बजा कर नहीं देता। उलटे प्रश्न पूछते हैं! और हम – द किंग एंड द क्वीन ऑफ क्राइम जब पर्दे पर अवतरित होंगे तो देखना सर – लाइन नहीं टूटेगी दर्शकों की! हम तो रियल हैं – सब कर गुजरे हैं, माई डियर!”
तालियां बज उठी थीं!

मेजर कृपाल वर्मा