बचाओ .. बचाओ! अरे कोई है तो हमें बचाओ! किसी तरह से .. किसी भी शर्त पर भाइयों हमें बचाओ।

आवाजें हैं। पुकारें हैं। गुहारें हैं जो लगातार सुनाई दे रही हैं। हैं कौन ये लोग? कान लगा कर सुना है तो चीनी होने का शक हुआ है। लेकिन नहीं – चीनी क्यों चिल्लाएंगे? वो तो महा राष्ट्र के महा नायक हैं। इन्होंने 62 में कहते हैं भारत को धूल चटाई थी। ऐसा घात किया था कि भारत और भारत की अहिंसा का झंडा लिए खड़ी सेना पर ऐसे ऐसे घात-प्रतिघात किए थे कि ..

हिन्दी-चीनी भाई भाई का खूब नारा लगाया था लेकिन ये लोग बहरे हो गए थे। दोस्ती के नाम पर तिब्बत तो पहले ही ले लिया था। यू एन ओ की सीट भी ले ली थी और अब कहते हैं कि ये अरुणाचल भी इन्हीं का है। ले लेंगे इसे भी ..

कैसे लड़ सकता है हिन्दुस्तान? हाहाहा! जानता नहीं हमारे पास कितनी लम्बी चौड़ी सेना है! लोग समझते हैं कि हमारे पास कितने लड़ाके हवाई जहाज हैं ओर हमारे पास टैंक हैं – बेशुमार टैंक, तोपें हैं – अनगिनत तोपें, मिसाइलें हैं और हमारे पास ये है – वो है – सब कुछ है।

सब देगा – व्यापार देगा, सहयोग देगा, सामान देगा लेकिन साथ नहीं देगा! हमने हाथ खींच लिया तो भूखों मरेगा भारत! हाहाहा! फतह हुई हमारी! पाकिस्तान के बाद अब भारत भी हमारा होगा!

अखबारों में छपा है पढ़ लो। मीडिया रोज बताता है – सुन लो। भारत के ही विद्वान बताते हैं कि चीन इज माइल्स एंड माइल्स अहेड ऑफ इंडिया!

“बेहतर है कि हम चीन से न बिगाड़ें!” भारत के ही महान विज्ञान वेत्ता मोटर मल्हान का ऐलान है। “हमारे पास चीन के मुकाबले है क्या?” उनका प्रश्न है।

भारत चीन के लिए एक नरम गरम मछली जैसा है, जिसे चीन जब चाहे खाए पचाए! अब तो भारत के लोग चीनी माल ही खरीदते हैं और चाईनीज भोजन – चाऊमिन को शौक से खाते हैं! अब थोड़े ही दिन की बात है कि ..

“चेयरमैन माओ हमारे आदर्श हैं!” भारत की बेजोड़ संस्था सत्य वचन का ऐलान है। “हमारा ये धार्मिक उन्माद तो जहर है।” सत्य वचन के प्रधान पुनीत शंकर ने कहा है। “हम चीनी भाइयों से सीखें कि ..”

और अब तो भारत में साम्यवाद आने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं!

बचाओ .. बचाओ! अरे भाई आओ .. हमें भारत से बचाओ!

फिर वही पुकारें हैं, गुहारें हैं और रुदन-रोदन है! हां हां अरे हां! ये तो चीनी सैनिकों का ही स्वर है!

“हुआ क्या?” किसी ने पूछा है।

“गले तोड़ दिये हमारे! बिना हथियारों के ही मार डाला! हमारी छातियों पर सवार हो गये हैं ये मलंग हिन्दुस्तानी! छुड़ाओ, बचाओ हमें इन बिहारियों से, इन जाटों से, इन गूजरों से! ये ..” एक साथ पूरे विश्व को संदेश मिला है – चिड़ी पहलवान चीनियों का भारतीय सैनिकों ने ..

“झूठ है! झूठ है सब! हम नहीं मरे हैं, हम नहीं मरेंगे! हमारा कोई नहीं मरा!” चीनी उस पार से चिल्ला रहे हैं। हमारे पास तो तोपें हैं टैंक हैं ..

लेकिन लोग ठिठोली कर रहे हैं – कह रहे हैं मछली के भोर में केंकड़ा लील गए चीनी!

अब आप क्या कहते हैं?

मेजर कृपाल वर्मा

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