आज सवेरे बच्चों को दूध देने के बाद… bournvita का डब्बा संभाल कर रखते हुए, अपना ज़माना याद आ गया था।

हमारे ज़माने में भी हमें complan, bournvita यह सभी दूध में मिलाने के flavours सुनने में आते तो थे.. पर कभी हमनें bournvita वगरैह पर विश्वास नहीं किया था।

हाँ! कॉफ़ी वाला दूध तो पीया था.. hot कॉफ़ी और कॉल्ड कॉफ़ी.. बस! और कुछ नहीं!

हमारे माँ-बापू के दिमाग़ में भी यह बात कहीं नहीं थी.. कि bournvita या फ़िर complan जैसी चीज़ों को दूध में घोलकर पीने से हम ज़्यादा ताकतवर हो जाएंगे।

यूँहीं ग्लास में चीनी घोल, ग्लास भर के दूध पीकर मूछें बना.. मस्त हो जाया करते थे।

आजक्ल के बच्चों से ज़्यादा हमारे अंदर.. चुस्ती, फुर्ती और तंदरुस्ती हुआ करती थी।

आजकल की पीढ़ी में बनावटी पन नज़र आता है.. 

ज़माना तो हमारा ही था.. बिना किसी bournvita और complain के, मस्त तंदरुस्त और बिंदास बचपन था।

उसी मज़बूत मिट्टी से जुड़ी हुई नींव को लेकर आज भी मजबूती से खड़े हैं।

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