आज के व्यापारिक युग में,
बिकने की ही होड़ लगी है
बिक रहे सब औने पौने |
हर युवा व्यापार हो गया,
जो बिका वो पाया ठौर ठिकाने,
बिना बिका बेकार हो गया ||
~ कुमार गौरव