बग्गी में बैठी दोनों बेगम परी लोक जा रही थीं। अचानक सोफी को चैफ की पोशाक में सजा-वजा राहुल दिख गया था। आज न जाने क्या नया ड्रामा खेलेगा राहुल – सोफी सोच कर हंस पड़ी थी। वह कई पलों तक हंसती रही थी। राहुल से मिलन होना था। आंखें चार होनी थीं। और वो स्पर्श ..! वह तो जानती थी कि राहुल कहीं न कहीं अवश्य ही उसे छूएगा।

“ओ गॉड।” सोफी ने अपने मन के एकांत में आह भरी थी। “कितना-कितना वाचाल होता है ये मूक स्पर्श। संवाद बोलता है, तन को सहलाता है, बांहों में भींचता है और शक्ति प्रदान करता है। आंखें चार होते ही राहुल सब कुछ कह जाता है।

“क्या हुआ? क्यों हंस रही हो?” बिंदा बेगम ने पूछ लिया था।

“वो .. वो नएला।” रजिया बेगम बताने लगी थी। “न जाने आज क्या-क्या नया खिलाएगा?” रजिया सुल्तान ने हंसते-हंसते ही कहा था। “वैरी स्मार्ट।” उसने तारीफ की थी नएला की।

“चला गया।” बिंदा बेगम का स्वर भारी था।

“चला गया ..? कहां .. क्यों, क्यों चला गया?” चौंक पड़ी थी रजिया बेगम।

“नई नौकरी ढूंढने दिल्ली गया है।”

“निकाल दिया नौकरी से? लेकिन क्यों ..?”

“मंसूर अली देता क्या है?” उसी भारी आवाज में बिंदा बेगम बोली थी। “नौकर उससे कोई खुश नहीं रहता। तोड़-तोड़ कर पैसे देता है।” बिंदा बेगम बताती रही थी।

रजिया सुल्तान को सदमा जैसा लगा था। क्या कुछ होने वाला था – सोफी ने ठंडे दिमाग से सोचा था।

“मेरी ट्रेनिंग भी तो समाप्त होने को होगी, दीदी?” रजिया सुल्तान के स्वर अटपटे थे।

“आज का और एक दिन है – अंतिम सबक देना है।” बिंदा बेगम ने तनिक गंभीर होते हुए कहा था।

“कह क्या गया है?” रजिया सुल्तान ने पूछा था।

“जंग लगेगी। रजिया सुल्तान की फेवरेट।” बिदा बेगम तनिक सी मुसकुराई थी। “अहम बात जिंदगी की यही है, रजिया सुल्तान। तुम्हें लड़ना तो आना ही चाहिए।” बिंदा बेगम ने सीधा रजिया सुल्तान की आंखों में देखा था। “नो सरेंडर। समर्पण नहीं।”

“आप ने समर्पण क्यों किया?” रजिया सुल्तान ने सीधा प्रश्न पूछा था।

“कब किया?” बिंदा बेगम की आवाज तल्ख थी। “पिछली रात ही लड़ी हूँ – मंसूर अली से।”

“क्यों?”

“कमीना है। छोटी-छोटी हरकतें करता है। मुझे पुरुष चाहिए था – जिसकी मैं पूजा करती हूँ। मुझे पवित्र और प्रांजल प्रेम की चाह थी लेकिन .. लेकिन देख रजिया मुझे मिला क्या?”

“वैभव ..!”

“ख्वाब है ये वैभव।” गरजी थी बिंदा बेगम। “चोरी चकोरी का माल-टाल है। पाप की कमाई है।” बिंदा बेगम ने फन फैला कर हुंकार भरी थी। “मैंने मूंह पर कह दिया उसके ..”

“फिर ..?”

“फिर क्या? टूट पड़ा। लगा पीटने। दी खूब गालियां। मेरा माल खाती है साली और मुझे ही देती है गाली – बकता रहा था। हाहाहा। मुझे बड़ा मजा आता है, रजिया जब भी इस कमीने कीड़े को मैं सताती हूँ ..”

“मुझे क्या करना होगा?”

“मंटो जो हो सो हो मंटो के साथ। किसी भी प्रेमी को परमेश्वर मानना तो पाप है रजिया।” साफ-साफ कहा था बिंदा बेगम ने। “कॉल ए स्पेड ए स्पेड।” वह हंस गई थी।

लौटते वक्त रजिया सुल्तान को पता चला था कि लैरी भी अमेरिका लौट गया था।

खाने का मजा मिट्टी हो गया था। सोफी का मन अजीब सी दौड़ भाग में जुट गया था।

“जरूर कुछ होना है।” सोफी को जच गया था। “लेकिन उसे कोई सूचना क्यों नहीं मिली?” उसका स्वयं से प्रश्न था।

रहस्य जासूसी का जरूरी आभूषण है – सोफी को याद आ गया था।

“लिंडा कैरोल के स्लीपिंग सैल्स ने अमेरिका में हलचल मचा दी है।” सर रॉजर्स स्काई लार्क की एकत्रित हुई टीम को संबोधित कर रहे थे। “अमेरिका से ही नहीं ऑल ओवर द ग्लोब डैलीगेशन्स 19 तारीख की महा रैली के सम्मेलन में ब्रिटेन पहुंच रहे हैं। 19 तारीख की शाम को ही जन क्रांति का दिन तय हो गया है।” सर रॉजर्स ने मीटिंग में बैठे स्काई लार्क के सभी सूरमाओं को गौर से देखा था। “दिसंबर 9 तारीख को जालिम से मुलाकात होगी।” उन्होंने सामने बैठे मूडी को घूरा था। “और उसके बाद ..” वो रुके थे।

मूडी तिलमिला कर रह गया था।

“वी कम इन एक्शन!” सर रॉजर्स तनिक मुसकुराए थे। “लैरी, क्या नाम दिया है तुमने हमारे अगले मिशन को?” सर रॉजर्स ने पूछा था।

“स्पाई फ्रन्ट” लैरी ने तुरंत नाम बताया था।

मिशन का नाम सुन कर सभी बैठे मैंबर मुसकुराए थे। लेकिन लैरी तनिक सा खबरदार हुआ लगा था।

“वॉट इज द टाइम प्लान बरनी?” सर रॉजर्स का अगला प्रश्न था।

“सर, अभी तक मखीजा की कन्फरमेशन नहीं आई है।” बरनी ने आपत्ति बताई थी।

सर रॉजर्स का चेहरा बदला था। कठोर निगाहों से उन्होंने बरनी को घूरा था। बरनी भी खबरदार हुआ लगा था। वह जानता था कि उसकी अगली भूल का अंजाम क्या होगा।

“वी मे लूज द गेम, जैंन्टलमैन।” सर रॉजर्स की आवाज तल्ख थी। “मुकाबला जालिम से है।” उन्होंने टीम को खबरदार किया था। “अमेरिका के अस्तित्व की लड़ाई है। यू कांट अफोर्ड टू बी कैशुअल बरनी।” उन्होंने बरनी को चेतावनी दी थी।

“सर, आई विल गैट इट डन एज सून एज पॉसिबल।” बरनी ने वायदा किया था।

“ओके।” सर रॉजर्स मान गए थे। “चलो, लीडर्स की जिम्मेदारियां तय करते हैं।” उनका अगला प्रस्ताव था। “मैं सोचता हूँ कि मिशन स्पाई फ्रन्ट को मुख्य तया दो भागों में हम चलाएंगे। पहला भाग बरनी के नीचे चलेगा तो दूसरे भाग की जिम्मेदारी माइक की होगी।”

सभी ने एक साथ बरनी और माइक को देखा था। वो दोनों भी सतर्क हो कर बैठ गए थे।

“बरनी, तुम्हारी जिम्मेदारी समर कोट का पूरा ऑपरेशन होगी।” सर रॉजर्स ने खुलासा किया था। “डोंट किल बट गैट दैट जोकर जालिम इन कस्टडी।” वो तनिक हंसे थे। “एंड माइक तुमने बरनी की सपोर्ट में सारी दुनिया को संभाल कर रखना है।” उनकी निगाह अब माइक पर थी। “मेरा मतलब समझते हो?”

“जी सर।” माइक ने चुस्ती के साथ कहा था। “मैंने पूरी तैयारी कर रक्खी है। पत्ता तक नहीं हिलेगा – जब तक कि ..”

“जालिम न पकड़ा जाए।” सोफी ने हंसते हुए कहा था।

एक बारगी सभी लोग हंस पड़े थे।

सर रॉजर्स भी प्रसन्न थे। उन्होंने सोफी और मूडी को गौर से देखा था।

“मूडी।” सर रॉजर्स फिर से बोले थे। “सोफी, राहुल, बतासो, कालिया और स्वयं तुम इस स्पाई फ्रन्ट के हार्ट एंड सोल हो।” वह तनिक रुके थे। “काम आसान नहीं है।” उन्होंने चेतावनी दी थी। “लेकिन असंभव भी नहीं है।” उन्होंने सगर्व कहा था। “अमेरिका यूं ही महान नहीं बना है, दोस्तों।” वह बताने लगे थे। “हमने बड़े-बड़े बलिदान दिए हैं।” उनका इशारा लड़े गए दो विश्व युद्धों की तरफ था।

सर रॉजर्स के इशारे से ही स्पाई फ्रंट की टीम को उनका लक्ष्य दिखाई दे गया था।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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