“लिंडा भारत जा रही है।” माइक ने सर राॅजर्स काे सूचना दी थी।
मात्र लिंडा का नाम सुन कर सर राॅजर्स सचेत हाे गए थे, जागृत हाे गए थे। लिंडा उन्हें अलग ढ़ग से अच्छी लगती थी। लिंडा की छवि, हाव भाव और बात चीत तथा एक्सप्रेशन उनके मन काे भा जाते थे। उनका मन बार-बार करता था कि सराहा जाए, देखा जाए और ..
“मिरर की फिल्म अमीरा काे प्रमाेट करने तिरुपति जाएगी।” माइक ने सूचना का खुलासा किया था।
“एक्टिंग नहीं करेगी?” सर राॅजर्स ने आश्चर्य जाहिर किया था।
“नहीं।” माइक तनिक मुसकुराया था। “मिरर वालाें ने नई फिल्म बनाने का ट्रेंड बदला है।” माइक बता रहा था। “वाे अब रियल हीराे और हीराेइन काे ही इन पर्सन कास्ट करते हैं। जैसे कि इस फिल्म अमीरा की हीराेइन और हीराे स्वयं सुब्रामण्यम स्वामी और उसकी पत्नी भुवनेश्वरी हाेंगे। ये उन्हीं की कहानी है।”
“क्या कहानी है?” सर राॅजर्स उत्सुक थे नई ट्रेंड काे जानने के लिए।
“ये स्वामी भारत से भूखा मरता अमेरिका आया था। मजबूरी में एक बुचर के यहाँ नाैकरी की। अनपढ़ था। बुचर किसी अनाम बीमारी से मर गया ताे स्वामी ने व्यापार संभाला। पैसा आया ताे ठाठ-बाट बदल गया। ट्रेन में यूं ही भुवनेश्वरी से मुलाकात हाे गई। प्यार हाे गया। शादी करने की बात आई ताे भुवनेश्वरी की माँ ने कहा – अनपढ़ है स्वामी और तुम अंधी हाे गई हाे उसके प्यार में। मैं पढ़ा लूंगी उसे माँ – भुवनेश्वरी ने हँस कर उत्तर दिया था और स्वामी से शादी कर ली थी और स्वामी काे एस एस बना दिया था।” हँसा था माइक।
सर राॅजर्स काे कहानी अच्छी लगी थी।
“और एस एस कैसे बनाया?” सर राॅजर्स यह भी जान लेना चाहते थे।
“फिश का व्यापारी ताे था ही स्वामी। भुवनेश्वरी ने फ्राई फिश की रेसीपी तैयार की और बाजार में बैठ गई। फिर क्या था। और अब ताे आप ..”
“नहीं-नहीं। रैसीपी ताे वाकई कमाल की है, माइक। मैं भी ताे उसका मुरीद हूँ। जब कभी मन बिगड़ता है ताे एस एस मंगा कर जरूर खाता हूँ।”
“यही हाल है – ऑल ऒवर दि ग्लाेब, सर।” माइक ने भी आश्चर्य जाहिर किया था। “और अब मिरर वाले इन पर सिनेमा बना रहे हैं।”
“लेकिन तिरुपति क्याें जा रहे हैं?”
“इसलिए कि तिरुपति के भक्त हैं दाेनाें पति पत्नी।”
“क्याें? किस लिए ..”
“सात साल तक जब संतान नहीं हुई ताे तिरुपति गए थे। पूजा अनुष्ठान के बाद पंडित जी से संतान पाने की इच्छा जाहिर की ताे पंडित जी बाेले – भूखे नंगाें की सेवा कराे। उन्हीं काे अपनी संतान मानाे। संतान का क्या? कहाे ताे नर्क में ले जा कर छाेड़ दे। दाेनाें जल तरंग से जुड़ जाऒ। इसी में माेक्ष मिलेगा।”
जल तरंग का नाम सुनते ही सर राॅजर्स के कान खड़े हाे गए थे।
“ताे फिर ताे ये ब्लाडी बाेस्टक में शामिल थे?” सर राॅजर्स ने बात की पुष्टि करनी चाही थी।
“हाँ, थे।” माइक ने माना था। “अभी भी उनके साथ हैं। लिंडा का तिरुपति जाने का उद्देश्य भी – शायद ..”
“और क्या हाे सकता है?” सर राॅजर्स कारण जान लेना चाहते थे।
“अंध भक्ताें की अगर भारत में आँधी उठी ताे सारे जगत काे उड़ा ले जाएगी।” माइक ने भविष्य वाणी की थी। “मुझे खतरा दिख ताे रहा है .. लेकिन ..”
सर राॅजर्स काे सहसा साेफी याद हाे आई थी।
अगर लिंडा लड़ रही थी ताे साेफी भी ताे लड़ रही थी। जंग जारी थी। ऊंट किस करवट बैठेगा जानता काेई नहीं था। लेकिन हाँ – जहाँ लिंडा अपने परिवार के लिए लड़ रही थी वहीं साेफी अपने देश के लिए समर्पित थी। साेफी काे ताे खतराें से खेलने का शाैक था। उसे धन माल कमाने की चाहत नहीं थी। जबकि लिंडा इज ए प्राेफेशनल ..।
“माेटी रकम ली हाेगी लिंडा ने ताे?” सर राॅजर्स अचानक पूछ बैठे थे।
“जी हाँ।” माइक हँसा था। “ये लाेग ताे ..”
हारेगी लिंडा – मन में कहा था सर राॅजर्स ने। साेफी ही जीतेगी चाहे वाे धर्म युद्ध ही क्याें न हाे।
सर रॉजर्स अपने ऑफिस में अकेले बैठे थे। वो विचार मग्न थे कि कैसे मिरर वाले प्रोड्यूसरों ने एक नए युग का आरंभ किया था। फिल्म अमीरा में वो सुब्रमण्यम स्वामी और भुवनेश्वरी को सादृश्य कास्ट कर रहे थे। उनके जीवन वृत्तांत को उन्हीं द्वारा जनता को बताना चाहते थे। सर रॉजर्स को ये विचार बड़ा ही उम्दा लगा था। सिनेमा वाले तो नकली कास्ट डाल कर किसी भी श्रेष्ठ आदमी की अच्छाइयों पर नकली की मोहर लगा देते थे। असल और नकल का फर्क तो रहता ही है – सर रॉजर्स इस बात को मान रहे थे।
तभी कोई उनके ऑफिस में घुसा था। उसने अंदर आने की आज्ञा तो मांगी थी पर बिना इंतजार किए ऑफिस में घुस अब सामने कुर्सी पर बैठा था। जब उसने गुड मॉर्निंग सर कहा था तब सर रॉजर्स को मूडी के दो अगले खरगोश जैसे दांत दिखाई दे गए थे। वो हंस पड़े थे। सामने बैठा मूडी अभी भी पहचान से बाहर था।
“गुड-गुड।” मुसकुराए थे सर रॉजर्स। “मैं तो तुम्हें पहचान ही न सका यार।”
“ए डी सी टू रोलेंडो।” मूडी ने मजाक किया था। “मैं जानता था कि आप ..”
“आना कैसे हुआ?” सर रॉजर्स ने तुरंत पूछ लिया था।
“कोड चाहिए सर!” मूडी ने भी सीधे-सीधे मांग सामने रख दी थी।
“कौन सा कोड? कैसा कोड ..?”
“कालिया का कोड। समर कोट का कोड ..!”
“क्यों? किस लिए ..”
“इसलिए सर कि ..” मूडी तनिक रुक गया था। वह रघुनाथन की कहानी तो बताना चाहता था पर डर रहा था क्योंकि मामला ही कुछ अटपटा था।
सर रॉजर्स को भी लगा था कि मामला जरूर ही गंभीर था, वरना मूडी यों भाग कर न आता।
“रघुनाथन समर कोट गया था सर। सरहद पर पहुंच गया था। समर कोट के अंदर भी गया था। लेकिन जहां से गया था वहीं लौट आया था।”
“कोर्स करैक्शन!” सर रॉजर्स तुरंत बोल पड़े थे। “अरे भाई। हर आदमी का कोर्स करैक्शन बनता है। हर सौ कदम चलने के बाद उसे कोर्स करैक्शन लगानी होती है। दो चार या पांच कदम दाहिने या बाएं चलना होता है। तब कहीं दिशा मिलती है।” सर रॉजर्स तनिक मुसकुराए थे। उनका आर्मी का अनुभव उन्हें याद आ गया था।
“लेकिन रघुनाथन ने बताया है सर कि न उसे आदमी दिखे और न गांव शहर ही सामने आए। उसको किसी ने नहीं देखा। समर कोट तो है लेकिन ..”
“क्या बहकी-बहकी बातें कर रहे हो, मूडी?” सर रॉजर्स तनिक नाराज हुए थे। “कौन है ये तुम्हारा रघुनाथन ..?”
“दलाल है सर, नारकौटिक्स का जानकार है। कहता है – उसने तीन बार कोशिश की लेकिन विफल रहा। अगर कोई कोड हो तो वह अंदर घुसे ..”
सर रॉजर्स मूडी का मुंह ताक रहे थे। मूडी अनाड़ी था या कि मूडी ..
“कालिया समर कोट गया है।” मूडी बीच में बोल पड़ा था। “कालिया का कोड तो होगा?” मूडी ने प्रश्न पूछा था। “अगर वह कोड मिल जाए तो रघुनाथन ..”
कालिया के पास कोड तो था – सर रॉजर्स भी जानते थे। लेकिन उसकी पूरी जानकारी तो बरनी के पास थी। लेकिन बरनी को तो उन्होंने स्काई लार्क से निकाल बाहर किया था। ही वॉज किक्ड आउट – वह जानते थे। अब क्या हो?
सामने बैठे मूडी को सर रॉजर्स ध्यान से देखते रहे थे। मामला बेहद गंभीर था – वह समझ रहे थे।
“गिव मी सम टाइम मूडी।” सर रॉजर्स ने शांत स्वर में कहा था। “यू कैन रिलैक्स टिल आई फाइंड यू सॉल्यूशन।” सर रॉजर्स तनिक से मुसकुराए थे।
सर रॉजर्स को अहसास हुआ था कि बरनी को उन्होंने सोफी और राहुल को ले कर कंपनी से निकाल बाहर किया था। बरनी बड़ा ही काबिल आदमी था। वह एक भारी भूल कर बैठे थे। कहां होगा बरनी, क्या करता होगा बरनी – किस को पता होगा, किसके पास होगा ..
“माइक!” अचानक सर रॉजर्स का दिमाग खुल गया था। बरनी और माइक गहरे दोस्त थे। माइक को अवश्य पता होगा बरनी का। और बरनी ही था जो इस कोड के बारे जानकारी रखता था।
“माइक, प्लीज गैट बरनी बैक। मैं .. मैं माफी मांग लूंगा बरनी से। समस्या मेरी नहीं अमेरिका की है – उसको बता दो।”
माइक ने सर रॉजर्स की रिक्वैस्ट मान ली थी।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड