अचानक ही ब्लाडी बोस्टक सजने लगा था, और चहल-पहल बढ़ गई थी। बाजे, नगाड़े और अनेक-अनेक प्रकार के प्रयोजन होने लगे थे। हवा का रुख ही बदल गया था।
माइक ने अनुमान लगाया था कि जालिम आने वाला था।
और जब पत्रकार और अखबार नवीसों को आदेश मिले थे कि वो कल चार बजे तक शहर में बाहर न निकलें और अपने-अपने ठिकानों पर ही बने रहें, तो माइक का अनुमान एक सच में बदल गया था। लेकिन माइक का अभियान तो अभी अधूरा था। और अगर उसे जालिम के दर्शन न हुए तो वो सर रॉजर्स को क्या मुंह दिखाएगा।
दूसरे दिन मुंह अंधेरे माइक खिसका था और चुपचाप किले की एक अंधेरी संध में समा गया था, जिससे मुख्य द्वार के सामने का पूरा दृश्य माइक के कैमरे में आ रहा था। माइक की स्थिति परम गुप्त थी।
चुनिंदा लोग ही थे जो किले के अंदर बाहर आवाजाही कर रहे थे।
अचानक ही एक स्याह काली कार मुख्य द्वार के सामने आ कर रुकी थी। ढोल नगाड़े और अनेकानेक गाजे बाजे बज उठे थे। किले के भीतर से ग्यारह आदमी निकल कर आए। कार का दरवाजा खुला था। उसमें से एक महा मानव बाहर निकला था। उसकी कद काठी असामान्य थी। रंग गोरा-चिट्टा था, और बाल काले घुंघराले थे। ग्यारह आदमियों ने उसे बारी-बारी फूल मालाएं पहनाई थीं और बड़े आदर आदाब से सलाम किया था।
माइक पूरी तत्परता से साथ लाए कैमरे में पल-पल को कैद करता जा रहा था।
लंबी भुजाओं और चौड़े सीने वाला महा मानव अब उन ग्यारह नर नारियों के साथ शाही अदब से ठुमक-ठुमक कर चलता किले के मुख्य द्वार से बड़ी भव्यता के साथ किले में दाखिल हुआ था। इसके बाद किले का दरवाजा बंद हो गया था।
माइक को महसूस हुआ था कि शायद वो किसी दूसरे परियों और परिंदों के देश में पहुंच गया था।
वहां एक राजा था। वहां उसी राजा का एकछत्र राज्य था। वहां सब कुछ उस राजा की इजाजत से ही होता था। वहां सांस लेने का हक भी उनका अपना न था। राजा ही सर्वोच्च था। और जो कोई राजा की खिलाफत करता था वो जीवित न बचता था।
“जालिम का राज आया तो सभी अमेरिकन्स फस जाएंगे।” माइक के दिमाग ने सोच कर बताया था। “उजड़ जाएगी सारी दुनिया।” वह सोच रहा था। “और अमेरिका तो किसी हाल में भी बच नहीं पाएगा।” उसे विश्वास हो गया था। जालिम एक नहीं अनेकों होंगे। जालिम के नाम से ही काम होगा और जालिम के जुल्म ..
न जाने इतनी जल्दी चार कैसे बज गए थे।
जालिम जा रहा था। वही ग्यारह लोग उसको विदा करने बाहर आए थे। सबने बारी-बारी सलाम किया था और विदाई की रस्म पूरी की थी। स्याह काली कार इशारा पाते ही दौड़ गई थी।
माइक कठिनाई से उस किले की काली संध से बाहर निकला था। उसका शरीर जम सा गया था। कुछ कदम चलने से चल पड़ा था वह और फिर अपने ठिकाने पर सही सलामत पहुंच गया था। कुछ लोगों ने उसे शकिया निगाहों से घूरा था।
लेकिन अब तक माइक जालिम को अपने कैमरे में कैद किए हवा में उड़ रहा था। अमेरिका – ए नेम फॉर लिबर्टी एंड ए नेम फॉर फ्रीडम उसकी आंखों के सामने था। हवाई जहाज में बैठे-बैठे माइक के माइंड में घट गई घटनाओं की पूरी रील चल पड़ी थी।
वो जालिम को रिसीव और सेंड ऑफ करने वाले ग्यारह नर नारी जालिम के ही राजा रानी थे, उसी के बेटियां और बेटे थे। सारा खेल जालिम ने अपने परिवार के बीच ही खेला था। एक बार सफलता मिलने के बाद तो जालिम के साम्राज्य में कोई चिड़िया भी चोंच नहीं बोर सकती थी।
“अराइवल ऑफ ए मोनार्क!” माइक ने ओठों के बीच बुदबुदाया था। “ए चेंज ऑफ गार्ड।” उसने प्रत्यक्ष में कहा था।
बदले वक्त को रोकना संभव नहीं होता – माइक ने भी मान लिया था।
पहली बार ही था कि लैरी राहुल को लेकर बहुत परेशान था।
वह लखनऊ पहुंच गया था। परी लोक में पहुंचा था तो उसे जोर की भूख लगी थी। उसने इंटरकॉम पर लंच का ऑडर दिया था और नहाने चला गया था। नहाते वक्त लैरी हमेशा ही कोई न कोई मधुर गीत गाता था। लेकिन आज उसकी जुबान तालू से चिपकी थी। रह-रह कर उसे राहुल ही याद आ रहा था। जो बरनी के साथ हुआ था, लैरी उसे भूल न पा रहा था। न जाने अब राहुल अब किस मिजाज में होगा – लैरी अंदाज ही न लगा पा रहा था।
“बरनी को इस तरह ब्लडी इंडियंस नहीं कहना चाहिए था।” लैरी का अपना मत था। “सारे अमेरिका में आज हिन्दुस्तानियों ने सारे काम संभाले हुए हैं – यह तो सभी जानते थे।” लैरी को याद आ रहा था। “और फिर राहुल ..”
चुप था लैरी। उसे लगी भूख ने परेशान कर रक्खा था। नहा कर उसने कपड़े बदल लिए थे। तभी उसने लंच की ट्रॉली के आने की आवाज सुनी थी। वह खुश हुआ था। परी लोक की सर्विस का वह कायल था। यहां का स्टाफ बहुत ही ट्रेन्ड और व्यवहार कुशल था।
कमरे में आ कर लंच की ट्रॉली रुकी थी। वेटर ने साइड टेबुल को लैरी के सामने रक्खा था तो लैरी ने उसे ध्यान से देखा था। कमाल ये था कि उसे वेटर नहीं राहुल नजर आया था। उसे लगा था कि राहुल को लेकर वो शायद पागल हो गया था।
लेकिन नहीं। वो तो राहुल ही था।
वो परी लोक के वेटर की पोशाक पहने राहुल ही था और ट्रॉली पर लदे लंच को टेबुल पर सजा रहा था – चुपचाप।
“ओह नो ..!” लैरी उछला था। “नो-नो!” उसने जोरों से कहा था। “यू कांट बी राहुल।” उसने जोर की आवाज में पूछा था। “ओह माई गॉड।” लैरी प्रसन्न था। “हाहाहा।” लैरी ने हंस कर परी लोक को दहला दिया था।
लैरी हंस रहा था। राहुल भी हंस रहा था। दोनों आमने-सामने थे। दोनों बारी-बारी हंस रहे थे।
“ये क्या स्टंट है मेरे भाई?” लैरी ने दम साध कर पूछा था।
“ट्रेनिंग है सर।” राहुल ने विनम्र आवाज में कहा था। “मैंने अपनी ट्रेनिंग आरंभ कर दी है।” उसने लैरी को सूचना दी थी।
आश्चर्य चकित हुआ लैरी राहुल को लंबे पलों तक घूरता रहा था।
“पागल तो शायद बरनी ही था।” लैरी ने मान लिया था। “राहुल ने ठीक किया कि काम को संभाल लिया वरना तो वो बरनी – सरकारी नौकर न जाने क्या नहीं कर डालता।”
“सोफी कहां है?” लैरी ने दूसरा अहम प्रश्न तुरंत पूछ लिया था।
“मां सा के पास है।” राहुल ने उत्तर दिया था। “नीमो की ढाणी।” वह हंस गया था।
“गुड। वैरी गुड।” लैरी की प्रसन्नता का ठिकाना न था। “यू हैव डन ए मिलियन डॉलर जॉब राहुल।” आभारी था लैरी। “दैट फूल ..” उसने बरनी को कोसा था।
“वो मानता ही नहीं न किसी की राय।” राहुल ने शिकायत की थी। “अगर उसका हुकुम चलता तो अभी तक सारे लखनऊ में सोफी के फोटो छपे होते।” राहुल ने आपत्ति जताई थी। “हम कोई फिल्म थोड़े ही बना रहे हैं।”
“नहीं-नहीं, ठीक ही किया तुमने।” लैरी ने सराहा था राहुल को। “सर रॉजर्स ने तो उसे नौकरी से ही निकाल दिया।” लैरी ने सूचना दी थी।
“ठीक किया सर।” राहुल भी खुश था। “अब पहले मूडी को सैट करते हैं।”
“वो कैसे?”
“सीधा गोआ भेज देते हैं। आज कल नारको सेंटर गोआ में शिफ्ट हो गया है। यहां बड़े-बड़े छापे पड़ने से ये लोग भाग खड़े हुए हैं और गोआ में जाकर नया अड्डा बना लिया है।”
“लेकिन राहुल ..?”
“मैंने सब सैट कर दिया है। मुझे तो आपका ही इंतजार था। मैं जानता था कि आप ही आएंगे।”
“और सोफी ..?” लैरी ने अगला प्रश्न भी पूछ लिया था।
“मूडी थोड़ा जम जाए और मैं भी कुछ सीख लूं। उसके बाद सोफी को बैक डोर से लॉन्च करेंगे।” राहुल की राय थी।
लैरी ने राहुल की बात मान ली थी। उसे आज राहुल सफलता की कुंजी जैसा लगा था।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड