मजनूं पैलेस के गंदे संदे कमरे में अकेले बैठे लैरी को क्रोध चढ़ने लगा था।

बड़ी कठिनाई से लैरी ने मलका गंज और मजनूं पैलेस होटल को खोज निकाला था। लेकिन खोदा पहाड़ और निकली चुहिया वाला मजाक लैरी के मुंह पर आ बजा था। होटल में लहसुन प्याज की बू नाक तक भरी थी। होटल का तौर तरीका भी निहायत ही पुराना था।

“क्या आप हमारी तनिक सी मदद करेंगे?” लैरी ने होटल के मैनेजर से जा कर पूछा था। “कोई ऐसा ठौर ठिकाना .. जहां ..” लैरी समझ न पा रहा था कि उस अध बूढ़े आदमी से क्या अर्ज करे।

“क्यों नहीं, क्यों नहीं।” वह आदमी चहका था। “विदेशी मालुम होते हैं।” उसने तनिक हंसते हुए कहा था। “परी लोक चले जाओ।” वह बोला था। “अली बाबा बाग में नया बना है।” उसने सूचना दी थी।

“लेकिन .. लेकिन ..” लैरी को कुछ समझ न आया था।

“ये रहा फोन नम्बर। बात कीजिए मंसूर अली साहब से। सारी जानकारी मिल जाएगी आपको।”

डरते-डरते लैरी ने मंसूर अली का नम्बर मिलाया था।

“मंसूर!” फोन पर आवाज आई थी। “हुकुम कीजिए।”

“जी, मुझे परीलोक के बारे जानकारी चाहिए थी।” लैरी ने सीधी बात सामने रख दी थी।

“आप ..?” मंसूर अली का प्रश्न था।

“मैं कैलीफोर्निया, अमेरिका से आया हूँ।” लैरी ने अपना परिचय दिया था। “एकोमोडेशन चाहिए!”

“गरीबखाने पर चले आइए जनाब।” मंसूर अली ने आग्रह किया था। “आप की हर ख्वाइश पूरी करेंगे।” मंसूर अली का वायदा था।

और लैरी सीधा मंसूर अली के गरीबखाने पर पहुंच गया था।

लोगों का जमघट लगा था। मंसूर अली उनकी फरियाद सुन रहा था। वह लोकल लीडर था। लोगों की मदद करता था। स्थानीय एम एल ए था। लैरी के आते ही उसने भीड़ को छोड़ लैरी को पकड़ा था।

“आइए जनाब।” मंसूर अली ने आदर सहित कहा था। “अंदर चलते हैं।” वह बोला था। “सुकून से बातें होंगी।” वह तनिक मुसकुराया था।

लैरी ने भीतर जा कर जब मंसूर अली का वैभव देखा था तो वो दंग रह गया था। डबल स्टेंडर्ड – उसने मन में कहा था। मीया हैं तो मुरादी लाल – लैरी के अंदर से आवाज आई थी।

“अब फरमाइए। क्या खिदमत की जाए आपकी?” मुसूर अली ने आजिजी से पूछा था।

बिन बताए बैठक में खान-पान का सामान पहुंच गया था। लैरी की आंखें चौंधिया गई थीं। मंसूर अली का रुतबा देख लैरी भीतर तक दहला गया था।

“दरअसल हमें तीन महीने के लिए एकोमोडेशन चाहिए।” लैरी ने सीधे-सीधे मांग सामने रख दी थी।

“किस लिए?”

“हमारे कलाकार यहां रह कर ट्रेनिंग करेंगे।” लैरी ने संभल कर बताया था।

“कैसी ट्रेनिंग?”

“हम एक फिल्म बना रहे हैं – मंटो। उसमें एक बेगम हैं, एक चैफ माने कुक है और एक है ड्रग मफिया। उनके लिए ..”

“परी लोक ही बेहतर रहेगा।” मुसूर अली बोल पड़ा था। “चल कर देख भी लें।” उसने आग्रह किया था। “आइए चलते हैं।” मंसूर अली उठ खड़ा हुआ था।

परी लोक को देख लैरी को लगा था जैसे किसी ने स्वप्न लोक को साक्षात रूप देकर यहां लखनऊ में ला खड़ा किया था।

“लीजिए एडवांस!” लैरी ने तय कर दिया था – परी लोक।

“शुक्रिया।” मंसूर अली ने आभार व्यक्त किया था। “शाम की दावत भी हमारे साथ होगी।” उसका आग्रह था।

और मंसूर अली के साथ खाना खाते-खाते लैरी से रहा न गया था तो पूछा था – “ये मजनूं महल ..?”

“आपका ही है।” मंसूर अली ने कहा था। मैं तो गांव से पैदल नंगे पैरों चल कर नौकरी की तलाश में आया था जनाब। यहां वेटर का काम मिल गया। उसके बाद तो सब कहानी है।” जोरों से हंस गया था मंसूर अली। “मोहब्बत। लोगों की मोहब्बत मिली मुझे, लखनऊ में आ कर।” मंसूर अली मुसकुरा रहा था।

लेकिन लैरी अभी तक भी मोहब्बत का भूखा था।

“लिंडा कैरोल विंटर स्पोर्ट्स के लिए ब्लाडी बोस्टक जा रही है।” माइक ने सर रॉजर्स को सूचना दी थी।

“तो ..?” सर रॉजर्स ने फाइल से आंख उठा कर माइक को घूरा था।

लिंडा कैरोल का प्रसंग आते ही सर रॉजर्स अछूते न रहे थे। उनके मन मष्तिष्क के आर पार लिंडा कैरोल की अदाकारी घूम गई थी। लिंडा कैरोल उनकी चहेती अदाकारा थी। लेकिन माइक का यूं अचानक लिंडा कैरोल का प्रसंग सामने लाना उन्हें जचा नहीं था।

“झगड़ा हुआ है प्रोड्यूसर्स के साथ। एक महीने का वक्त देने के मूड में नहीं हैं फिल्म प्रोड्यूसर्स।” माइक ने बात का विस्तार बताया था। “लेकिन जब लिंडा ने फिल्म छोड़ने की धमकी दी तो फिर ..”

“असल बात क्या है?” सर रॉजर्स अब सतर्क थे।

“विंटर स्पोर्ट्स नहीं – विंटर सैशन अटेंड करने जा रही है लिंडा।” माइक ने खुलासा किया था।

“कैसा सैशन?”

“जल तरंग का वार्षिक अधिवेशन ब्लाडी बोस्टक में हो रहा है।”

“जल तरंग ..? ये क्या हुआ?”

“नाम है संस्था का जिसके तहत जालिम ने जगत जीतने की मुहीम छेड़ी है।”

“ये नाम .. मीन्स इस तरह का नाम ..?”

“इंडिया में है इस भूचाल का एपीसेंटर।” माइक ने स्पष्ट किया था।

“इंडिया ..?” सर रॉजर्स दंग रह गए थे। “नहीं-नहीं यार। मैं .. मैं नहीं मानता कि इसमें इंडिया का हाथ होगा।”

“है – इंडिया इज इनवॉल्वड।” माइक ने बात की पुष्टी की थी।

सर रॉजर्स चुप थे। वो मनन करते रहे थे – इंडिया और उसके इरादों के बारे। इंडिया के साथ अमेरिका के अच्छे संबंध थे। फिर इंडिया को क्या पड़ी थी जो वो जालिम के साथ जा मिला?

“हाऊ कम .. इंडिया ..?” उन्होंने माइक से प्रश्न पूछ लिया था।

“पॉवर्टी!” माइक का सीधा-सीधा उत्तर था। “गरीबी – डीप, डीप इनटू दी रट्स ..” माइक की दांती भिच गई थी। “भारतीय भाग-भाग कर अमेरिका क्यों आते हैं?” माइक ने बात का खुलासा किया था। “दे वॉन्ट टू अर्न मनी।” उसने प्रश्न का उत्तर भी दे दिया था।

“हम क्या कर रहे हैं?” सर रॉजर्स का अगला प्रश्न था।

“मैं स्वयं इस चैलेंज को लूंगा सर।” माइक ने बताया था। “इट्स अ बिग गेम।” उसने तनिक कठिनाई पूर्वक कहा था। “ये और किसी के बस का है नहीं।”

“तुम भी कैसे कर पाओगे माइक?” सर रॉजर्स अब चिंतित थे। “मैं मानता हूँ कि तुम ऊंचे खिलाड़ी हो। लेकिन जालिम से मिले और ..”

“आई विल मीट हिम बट नॉट शूट हिम।” माइक हंसा था। “मुझे आपका आदेश मालुम है।”

“हां-हां! मुझे याद है तुम्हारा वो जग जाहिर युगांडा कांड।” सर रॉजर्स तनिक मुसकुराए थे। “यू शॉट सैविन एंड एस्केप्ड।” सर रॉजर्स ने माइक की बहादुरी का बखान किया था। “लेकिन यहां एंट्री कैसे लोगे?” उनका अगला प्रश्न था।

“मैं तीसरे जगत का हिमायती पत्रकार बन कर ऑफीशियल एंट्री लूंगा।” हंसा था माइक। “मैं जानता हूँ कि और कोई रास्ता है ही नहीं सर। मैं उनका स्वयं सेवक हूंगा। मैंने डोजर बना लिया है जिसमें गरीब, गरीबी, अशिक्षा, आदिवासी और अन्य सभी उपेक्षित मानवीय अपराध हैं जिन्हें देख कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मैं मना लूंगा जालिम को और ..”

“नो-नो-नो!” चौंक पड़े थे सर रॉजर्स। “नो माइक नो!” उन्होंने फिर से माइक को वर्जा था। “गैट ऑनली इनफॉरमेशन। लाओ जितनी भी सूचनाएं ला सकते हो। जालिम के ज्यादा क्लोज मत जाना। तनिक सी चूक भी हमें ले बैठेगी।”

माइक चुप था। उसे समझ आ गया था कि सर रॉजर्स ठीक फरमा रहे थे।

“गैट मैक्सीमम फोटोग्राफ्स ऑफ दी फैमली मैंबर्स।” सर रॉजर्स ने फिर से बताया था। “उनके पते ठिकाने और उनके इरादे वायदे हमें पता होने चाहिए।” सर रॉजर्स ने माइक को आंख में घूरा था। “इस उपलब्धी के बाद आधी लड़ाई हमारे पक्ष में होगी।” सर रॉजर्स मुसकुरा रहे थे।

सर रॉजर्स की सीख ने माइक के अंदर बाहर उजाला भर दिया था।

“जाने से पहले मुझे प्लान दिखा देना माइक।” सर रॉजर्स का ये आखिरी आदेश था।

Major krapal verma

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

Discover more from Praneta Publications Pvt. Ltd.

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading