“कौन सी चाबी से ताला खुला सर?” लैरी ने बरनी से प्रश्न पूछा है।
“रोलेंडो!” बरनी ने तुरंत उत्तर दिया है। “यार! कमाल है इस रोलेंडो का।” बरनी ने आश्चर्य जाहिर किया है। “साले धूर्तों का जमाना है।” उसने कोसा है आताताइयों को। “बेताब हैं मियां जालिम रोलेंडो से मिलने के लिए।” बरनी अगली सूचना भी देता है।
“दैट्स ग्रेट।” माइक ने तारीफ की है। “अचीवमेंट है, मेरे भाई।” उसने बरनी की तारीफ की है।
“एंड रोलेंडो मीन्स मूडी ..” सोफी ने प्रशंसक निगाहों से मूडी को देखा है। “लंबी दौड़ का घोड़ा है मूडी।” सोफी कह रही है। “अभी तो देखना ..”
सभी ने एक साथ मूडी को घूरा है। मूडी तनिक सा सिकुड़ गया है। वह जानता है कि मोर्चा कम कठिन नहीं है। जालिम के सामने पहले उसी ने आना है, पटाना है, मनाना है और फिर फसाना है। काम बड़ा ही पेचीदा है। वह अचानक बरनी को देख रहा है। वह जानता है कि बरनी ही कोई रास्ता निकालेगा।
“लैरी, अब तुम तुरंत लखनऊ चले जाओ। मुझे मफियागंज में मजनूं पैलेस में स्पेस चाहिए। बुक फॉर थ्री मंथ्स फॉर फोर ऑफ अस।”
“बट वाई मफियागंज सर?” लैरी प्रश्न पूछता है।
“समझा करो यार।” बरनी तनिक हंसा है। “हिजड़ों की बस्ति हर जगह नहीं मिला करती।” उसने व्यंग किया है। “लखनऊ का तो जवाब नहीं भाई।”
सभी प्रसन्न है। सब हंसे हैं और लखनऊ के नाम से तरह-तरह के अनुमान लगाने लगे हैं।
“होना क्या है सर?” माइक ने यूं ही प्रश्न पूछा है।
“रोलेंडो के बाद अब आप रजिया सुल्तान का रंग देखेंगे। मेरी जानेमन आपकी हथेली पर ना आ बैठे तो कहना।” बरनी ने मुड़ कर सोफी को देखा है।
सोफी लजा गई है। उसका चेहरा आरक्त हो गया है। राहुल खूब हंसा है। सोफी उस पर बिगड़ी है। एक चुहल चालू हो गई है। सोफी – जो एक बेहद गंभीर किस्म की युवती है यों हल्की निगाहों के नीचे आ जाती है तो हैरान रह जाती है। औरत के अनेक रूप होते हैं – यह तो हर किसी की समझ आ जाता है। लेकिन सोफी जैसी कोमल स्त्री जालिम जैसे कठोर लोहे को काटेगी ये किसी को भी संभव नहीं लगता।
सर रॉजर्स अलग से एक असमंजस से लड़ रहे हैं। उन्हें अभी भी सोफी का इस तरह की जंग में उतरना अच्छा नहीं लग रहा है। सोफी जैसी संभ्रांत लड़की इस तरह का बेहूदा किरदार करेगी वह पचा नहीं पा रहे हैं।
“नॉट पॉसीबल।” सर रॉजर्स ने अपने आप से कहा है। “लैट मी से नो।” वह फिर से एक निर्णय लेना चाहते हैं।
“डर तो नहीं रही हो सोफी?” बरनी ने यूं ही प्रश्न पूछ लिया है।
सभी लोग हंस पड़े हैं। सोफी और डर – इस बात को तो कोई भी मानने को तैयार नहीं है।
सर रॉजर्स के सामने बरनी एक मुक्कमल योजना उनके स्वीकार के लिए प्रस्तुत करता है। सर रॉजर्स ने गौर से पूरा मसौदा पढ़ा है। बरनी की सूझ बूझ और दूरदर्शिता पर उन्हें अभिमान हो आया है। बरनी के हाथों सोफी सेफ है – उन्हें विश्वास हो जाता है।
“इस प्लान को परम गुप्त रक्खा जाए।” सर रॉजर्स का अंतिम आदेश है।
“सर मेरा एक प्रश्न है।” राहुल ही बीच में बोला है। “मैं और सोफी सीधे लखनऊ नहीं जाएंगे।” उसका सुझाव आया है। “हम दोनों पहले नीमो की ढाणी जाएंगे और फिर एक-एक ..”
मुसकुराहटें फूट निकली हैं। सर रॉजर्स भी तनिक हंसे हैं।
“क्या करोगे नीमो की ढाणी जाकर?” सर रॉजर्स ने बड़ी सहजता से पूछा है।
“मां सा से मिल कर जाना चाहती हूँ मैं, डैडी।” उत्तर सोफी ने दिया है।
सर रॉजर्स ने लंबे लमहों तक सोफी को घूरा है।
“जाओ।” सर रॉजर्स ने गंभीर स्वर में कहा है। “मैंने अपनी मां को देखा है, मां का प्यार भी पाया है, लेकिन .. लेकिन ..!” वो रुके हैं। “जाओ! मां का प्यार लो – आशीर्वाद भी लो। विश यू ऑल दे बैस्ट सोफी।” सर रॉजर्स की आंखें भर आई हैं।
मां की महानता को तो पूरा जग जानता है।
“हम लोग देश ही नहीं दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा काम करने जा रहे हैं मित्रों!” सर रॉजर्स के स्वर में आज एक नई शक्ति का उदय हुआ था। “वियतनाम की लड़ाई के दौरान मैं सोचता रहता था कि हम नाहक लड़ रहे हैं। बुलेट विल नैवर विन – मेरा अपना विचार था। अगर साम्राज्य कायम करना है तो क्रांति का जन्म शांति के पेट से होना चाहिए। लाइक दे हैव डन इट इन इंडिया।” रुके थे सर रॉजर्स। उन्होंने सामने बैठी अपनी टीम को देखा था।
“लेकिन सर, भारतियों ने ही गांधी को गोली मारी थी।” रस्टी ने सर रॉजर्स का विरोध किया था। “दि पावर कम्स आउट फ्रॉम द बैरल ऑफ द गन – क्या ये बात सच नहीं है?”
“नहीं, ये बात सच नहीं है।” सर रॉजर्स ने उत्तर दिया था। “लोग आजादी मांगते हैं, बराबरी मांगते हैं और गरीबी उन्मूलन की बात करते हैं – ये एक स्वभाविक विचार है, लेकिन ये विचार आग की लपटों की तरह फैलता है। गोली से ये नहीं मरता। गोली खा कर तो ये अमर हो जाता है। यही तो भारत में हुआ था। राज ने गोली चलाने की गलती थी, रस्टी।”
“तो क्या हमें जालिम से लड़ने के लिए ..?” लैरी भी दुविधा में था तो पूछ बैठा था।
“वी नीड ए साइलेंट रिवॉल्यूशन लैरी।” सर रॉजर्स ने उपाय सुझाया था। “अमेरिका की शाख एक लुटेरे की नहीं एक मित्र की होनी चाहिए। ए फ्रेंड इन नीड ..”
“लेकिन सर हमारा मिशन तो साइलेंट हो ही नहीं सकता।” इस बार माइक ने आपत्ति जताई थी।
“हो सकता है माइक।” सर रॉजर्स ने हंस कर कहा था। “तुम्हारा मिशन होगा ऑल ओवर द ग्लोब जालिम के जर्म से बिना हथियार के लड़ना।” सर रॉजर्स ने माइक को आंखों में घूरा था। “नो-नो। डोंट से इंपॉसिबल।” सर रॉजर्स ने माइक को टोका था। “विचार को बुलेट से नहीं विचार से ही मारो। जालिम की टीम अमेरिका को आताताई कहती है, लुटेरा बताती है, पूंजीवाद का आरोप लगाती है और डॉलर की कहानी सुनाती है – तो अमेरिका की टीम ने जालिम के परिवार वाद को उजागर करना है और दुनिया को बताना है कि एक बार जालिम सत्ता में आ गया तो ..”
“उजाड़ देगा सारी दुनिया को।” राहुल बोल पड़ा था। “आप ठीक कह रहे हैं सर।” राहुल ने सर रॉजर्स की युक्ति का समर्थन किया था। “वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र ही सच और सही है सर।”
दो तीन लोगों ने तालियां बजाई थीं तो सोफी ने भी सीट से उठ कर जोरों से ताली बजाई थी।
“दो टीमें बनेंगी मिशन को पूरा करने के लिए।” सर रॉजर्स काम की बात पर उतर आए थे। “बरनी यू टेक ऑन जालिम।” सर रॉजर्स ने टारगेट बांटे थे। “और माइक यू हैव टू हैंडल विद ग्लोबल अफेयर्स। तुम्हें अमेरिका पूरी मदद देगा – मैं इस बात का वचन देता हूँ लेकिन तुम्हें अमेरिका के साथ एक नैटवर्क तैयार करना होगा ताकि तुम जहां चाहो वहीं मदद मिल जाए।” सर रॉजर्स ने माइक को प्रशंसक निगाहों से देखा था। “तुम तो सरकार में रहे हो। सब जानते हो।” हंस पड़े थे सर रॉजर्स।
“सर मुझे क्या-क्या मदद मिलेगी?” बरनी को पता था कि दूसरी टीम उसकी थी लेकिन वह अभी तक मूक बैठा था।
“कोई मदद नहीं मिलेगी तुम्हें।” हाथ झाड़े थे सर रॉजर्स ने। “यहां तक कि तुम एक दम अकेले में काम करोगे। तुम्हारी टीम को किसी की आंख न देख पाए यही सबसे बड़ी बात होगी बरनी।” उन्होंने बरनी की टीम को घूरा था। “सारी सफलता का दारोमदार आप लोगों के ऊपर है।”
“सर ऐम्बैसी आई मीन अमेरिकन ऐम्बैसी?”
“नो-नो। तुम हमेशा लैरी से सहायता मांगोगे, अमेरिकन ऐम्बैसी से नहीं।” सर रॉजर्स ने सचेत किया था बरनी को। “यू ऑल आर नो मोर अमेरिकन।” हंसे थे सर रॉजर्स। “जो जो किरदार जिस-जिस को मिले हैं उसे उसी किरदार को जीना है।” सर रॉजर्स ने मूडी को घूरा था। “सो। हाऊ इज द एडीसी टू रोलेंडो?” उन्होंने व्यंग किया था।
“आई कैन गैट यू द मून सर – ऐनी टाइम इन द डे।” मूडी मे भी विहंस कर उत्तर दिया था।
सब हंसे थे। खूब हंसे थे। सभी अपने-अपने किरदारों को जीने के उपाय में जुट गए थे।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड