आगत स्वागत के अलावा अमेरिका ने सर रॉजर्स को मालामाल भी कर दिया था।

पे एंड पर्क्स के अलावा उन्हें इनाम और इकरार भी मिले थे। जमीन भी मिली थी। वो एकाएक धन पति बन गए थे। अब उन की समझ में न आ रहा था कि वो इतने मिले धन माल का क्या करें?

तभी बात समझ में आई थी कि उनकी इकलौती बेटी सोफी उनकी ही जिम्मेदारी थी। मिष्टी को मिष्टी के परिवार से खूब धन माल मिला था। तो फिर उन्हें भी तो सोफी को ..

और सर रॉजर्स ने अपना एक नया साम्राज्य बसा लिया था।

“अब सोफी की शादी कर दो।” सर रॉजर्स के दिमाग में विचार आया था। “मिष्टी के परिवार की तरह तुम भी सोफी को मालामाल कर दो।”

“लेकिन लड़का? किसके साथ शादी करें? रॉबर्ट ..? लेकिन सोफी तो उसे पसंद ही नहीं करती थी। राहुल ..? नहीं-नहीं। राहुल तो भारतीय था। विदेशी था। सोफी की शादी तो किसी अरबपति अमेरिकन के साथ होनी चाहिए।” सर रॉजर्स का मानना था।

लेकिन सोफी ने अभी तक अपनी शादी के बारे कोई भी संकेत तक न दिया था।

“जालिम ..?” अचानक सर रॉजर्स का ध्यान जालिम की ओर गया था। “क्यों .. क्यों जिद करती है सोफी जालिम से जंग करने की? और ये मूडी ही क्यों जिद करता है सोफी को साथ लेने की?” सर रॉजर्स चिंतित थे। “जालिम भी कितना जल्लाद या जैंटलमैन था – अभी तक कुछ पता न था। एक अदद फोटो ही उनके पास था जिससे जालिम के बारे कुछ अनुमान ही लगाए जा सकते थे। लेकिन जालिम ..?”

आज पहली बार था कि सर रॉजर्स कोई निर्णय न लेना चाहते थे।

कई बार उनका मन हुआ था कि स्काई लार्क को बंद कर दें। लेकिन वो तो टैड को भी बता चुके थे और वायदा भी कर बैठे थे कि जालिम को स्काई लार्क हर हाल में कब्जे में ले लेगा। और अमेरिकन्स निश्चिंत रहें कि जालिम ..

“तुम मूर्ख ही रहोगे रॉजर्स।” न जाने कैसे वो मिष्टी की आवाजें सुनने लगे थे। “किस्मत तुम्हें हर बार दोनों हाथों से देती है और तुम उसे बेरहमी से उलीच आते हो। एक अदद बेटी है जिसे जासूस बना कर जल्लाद जालिम से लड़ने भेज रहे हो? सोफी मर गई तो तुम क्या ले लोगे? तुम बुढापे में अनाथ हो जाओगे रॉजर्स। कोई एक गिलास पानी तक न देगा तुम्हें। लेकिन तुम मानोगे नहीं – मैं जानती हूँ। हाहाहा। तुम्हें तो किसी न किसी जंग में कूदना ही होता है। लड़ोगे तो तुम जरूर?”

“तुम क्यों नहीं लौटीं?” रोष चढ़ आया है सर रॉजर्स को। “कभी मुड़ कर भी देखा अपनी बेटी को?”

“क्या करती लौट कर?” मिष्टी का बेबाक उत्तर था। “तुम्हारा भरोसा क्या था कि तुम किसी की भी जंग में जा कूदोगे। हाहाहा। और कुछ नहीं तो बेटी को ही जासूस बना दिया। हाहाहा। तुम्हें बिना लड़े चैन नहीं आता रॉजर्स।”

सर रॉजर्स विभ्रम में फसे हैं। मिष्टी ने गलत नहीं कहा है। लेकिन वो करें तो क्या करें? एक ओर जालिम है तो दूसरी ओर अमेरिका। और सोफी स्वयं भी तो चाहती है कि ..

“कुछ नहीं।” सर रॉजर्स के दिमाग में एक तूफान उठा है। “जाए अमेरिका तेल लेने।” अब वह निर्णय लेते हैं। “मैं न भेजूंगा अपनी बेटी को। करे जालिम जो करे। आई विल किक आउट दिस ब्लडी स्काई लार्क।” वो रोष में बावले हो रहे हैं।

आज पहली बार है कि सर रॉजर्स अपने लिए लड़ रहे हैं।

लेकिन अमेरिका अभी भी उनके पास बैठा है। मिष्टी उन्हें दूसरी निगाहों से देख रही है। और सर रॉजर्स को उठ कर चले जाने को नहीं कह पा रही है।

स्काई लार्क के ऑफिस में चहल पहल है। खुशियों की उमंगें आ जा रही हैं। हर चेहरे पर हंसी खेल रही है। बड़ी ही गहमा गहमी है। सारे मैंबर्स एक दूसरे से लिपट-लिपट कर संवाद कर रहे हैं। कुछ बेहद महत्वपूर्ण है जो अभी उजागर होने वाला है।

लेकिन सर रॉजर्स अभी तक नहीं पहुंचे हैं। ये पहला ही अवसर है कि जब वो समय का सम्मान नहीं कर पा रहे हैं। जरूर कोई संगीन उलझन होगी वरना तो वो ..

“बरनी सर का किया वार कभी खाली नहीं जाता।” लैरी प्रशंसा कर रहा है। “दर असल मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि लिंक जुड़ जाएगा।

“ट्रेनिंग ..! माई डियर, ये ट्रेनिंग का कमाल है।” माइक अपनी राय पेश कर रहा है। “इतनी गजब की टेनिंग और सूझबूझ हर कोई नहीं दे पाता।”

राहुल और सोफी अकेले में बतिया रहे हैं। कोई गंभीर विषय है जो दोनों के बीच बैठा है। सर रॉजर्स का आगमन होता है तो दोनों बतियाना बंद कर देते हैं।

बरनी अभी तक नहीं पहुंचा है।

ऑफिस में भरे माहौल को देख सर रॉजर्स भी सतर्क हो जाते हैं। वो भूल ही जाते हैं कि वो स्काई लार्क को किक आउट करने का निर्णय कर चुके हैं। सामने चलता अजीब नजारा कुछ अलग कहानी कहता लगता है।

तभी बरनी का आगमन होता है। सारे मैंबर्स बरनी को मुबारकबाद देने के लिए एक साथ टूट पड़ते हैं। एक हल्का सा हुड़दंग उठ बैठता है। सर रॉजर्स भी हिसाब लगाते हैं कि कुछ बड़ा ही हुआ है जिसके लिए बरनी को सराहा जा रहा है।

बरनी अब सर रॉजर्स के सामने तना खड़ा है। वह कुछ अलग से कहने वाला है। सर रॉजर्स भी सावधान हैं। आज न जाने कैसे वो हर अच्छे बुरे के बीच असंपृक्त बने खड़े हैं। स्काई लार्क आज उनके लिए महत्वपूर्ण नहीं है। सबसे अधिक महत्वपूर्ण तो सोफी है।

सर रॉजर्स ने पहले बरनी को न पहचान सोफी को खोजा है। वह राहुल के साथ खड़ी है। इस पर सर रॉजर्स को प्रसन्नता नहीं हुई है।

“सर, बहुत-बहुत मुबारक हो आपको।” बरनी ने मुंह खोला है।

“हुआ क्या?” सर रॉजर्स का स्वर रूखा है।

“लिंकअप।” बरनी सगर्व बताता है। “कालिया से संवाद जुड़ गया सर।” बरनी ने खुलासा किया है। “जालिम इज ए रिएलिटी नाओ।” बरनी ने व्यंग किया है।

सर रॉजर्स सकते में आ गए हैं।

समर भूमि के बीचों-बीच खड़ा कोई सर रॉजर्स को युद्ध के लिए ललकार रहा है। लेकिन सर रॉजर्स समझ नहीं पा रहे हैं कि ललकार का उत्तर ललकार से दें या चुप ही बने रहें?

“डैडी!” सोफी ने समीप आ कर सर रॉजर्स को संबोधित किया है। “यू आर रियली लक्की।” सोफी कह रही है। “ये स्काई लार्क का भाग्योदय है। अमेरिका ही नहीं पूरा विश्व आभारी होगा आपका।” सोफी उन्हें बता रही है।

“तुम जालिम से जाकर नहीं लड़ोगी।” सर रॉजर्स के भीतर से आवाज आई है। वो बोले नहीं हैं। पर उन्होंने आवाज सुनी है। “तुम .. तुम मेरी इकलौती बेटी हो। तुम्हारी शादी ..” सर रॉजर्स जैसे सोती सोफी को झकझोर कर जगा देना चाहते हैं। “आई विल किक आउट दिस ब्लडी स्काई लार्क।” वह कहना चाहते हैं।

“हाहाहा।” सर रॉजर्स मिष्टी को हंसते सुनते हैं। “लड़ोगे तुम – मैं जानती हूँ।” मिष्टी कह रही है। “और सोफी को भी लड़ाओगे। तुम्हारी बेटी है न। मैं तो कुछ हूँ ही नहीं। मैं यह जानती थी रॉजर्स कि तुम ..”

“नहीं-नहीं मिष्टी।” विलाप सा करते हैं सर रॉजर्स। “मैं .. मैं नहीं लड़ता हूँ अपनी जिंदगी से। ये जिंदगी मुझे लड़ाती है। देख लो, खुली आंखों से देख लो कि मेरा कसूर क्या है?”

सर रॉजर्स बरनी के सम्मान में उठ कर बड़ी आजिजी से हाथ मिलाते हैं।

“आई एम प्राउड ऑफ यू बरनी।” उन्होंने कहा है।

तालियां बज उठी हैं बरनी के सम्मान में।

Major krapal verma

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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