आज की मीटिंग आरंभ हाेने से पहले का सस्पेंस काॅनफ्रेंस रूम में लबालब भरा था।
सभी की निगाहें मूडी पर टिकी थीं। सभी काे उम्मीद थी कि मूडी आज जरूर कुछ न कुछ नया करिश्मा करेगा। सर राॅजर्स भी एक उम्मीद लिए अपनी सीट पर संभल कर बैठे थे। आज का महावीर मूडी उन्हें अजेय लग रहा था।
हाॅल में भरी चुप्पी काे भी सर राॅजर्स ने ही ताेड़ा था।
“मूडी, माई बाॅय! मैं हर कीमत पर तुम्हें इस मिशन में सफल हुआ देखना चाहता हूँ।” सर राॅजर्स की आवाज बुलंद थी। “हर संभव मदद तुम्हें मिलेगी। पूरा अमेरिका तुम्हारे समर्थन में खड़ा है। तुम मांगाे – कुछ भी मांगाे, आई विल गैट यू द मून।” सर राॅजर्स ने मूडी काे आश्वस्त किया था।
मूडी तनिक सा सीट पर हिला था। फिर वह खड़ा हाे गया था। बैठे लाेगाें काे आशा बंधी थी कि अब मूडी बाेलेगा और काेई नई मांग सामने आएगी।
“आई वाॅन्ट साेफी।” मूडी ने बड़े ही सहज स्वर में अपनी मांग सामने रख दी थी।
मानाे काॅनफ्रेंस हाॅल में बम विस्फाेट हुआ हाे – ऐसा लगा था। पागल हाे गया था मूडी – सभी ने एक साथ महसूस किया था।
सर राॅजर्स भी कई पलाें तक चुप रहे थे। उन्हें भी जैसे फालिज मार गया हाे ऐसा लगा था। मात्र साेफी के नाम ने उनके दिमाग में एक सन्नाटा भर दिया था। उन्हें गर्जती-तर्जती साेफी की मां दिख गई थी। “जेल भेज देगी तुम्हें – राॅजर्स” उन्हाेंने स्वयं काे चेताया था। “वियतनाम वाॅर में तुम गए थे ताे वाे तुम्हें छाेड़ कर चली गई थी। लेकिन साेफी जालिम के पास गई ताे कुछ भी कर सकती थी वाे।”
जालिम जैसे खूंख्वार अपराधी के चंगुल में मासूम कली सी अपनी बेटी साेफी काे फसा देना उन्हें न्याय संगत न लगा था।
मूडी अपनी मांग पर अचल था – अचल था और सीना ताने खड़ा था।
“साेफी काे ताे पूछ लिया हाेता मूडी?” सर राॅजर्स कठिनाई से बाेल पाए थे।
“यहीं सबके सामने पूछ लेता हूँ।” मूडी अपने संकल्प पर डटा था। “अगर साेफी ना कहती है ताे कह दे।” उसने साेफी काे आग्रही निगाहाें से देखा था। साेफी खड़ी हुई थी। राहुल ने उसे अंखिया कर देखा था। सर राॅजर्स भी तनिक सतर्क हुए थे। हाॅल में एक नई हलचल भर गई थी।
“मैं हाँ कहती हूँ।” साेफी का उत्तर आया था। “मैं मूडी की हैल्प करूंगी – द वे ही लाइक्स।” साेफी ने सरेआम ऐलान किया था।
सर राॅजर्स कांप उठे थे। राहुल भी अपनी सीट पर खड़ा हाे गया था।
“लेकिन मैं ना कहता हूँ।” राहुल की आवाज में राेष था। “अगर साेफी की हाँ है ताे मेरी ना है।” उसने दाेहराया था।
एक संगीन गतिराेध पैदा हाे गया था। सर राॅजर्स तनिक सहज हुए थे। उन्हें राहुल का विराेध अच्छा लगा था।
“अगर साेफी जालिम से जंग करने की जिद करती है ताे मैं चला अपने घर।” राहुल भी अपनी बात पर अड़ गया था।
साेफी ने उन पलाें में एक बारगी राहुल में राणा काे देखा था। पद्मिनी के जाैहर से पहले वह स्वयं मर जाना चाहता था। राहुल और साेफी की निगाहें मिली थीं।
“तुम भी ताे आ सकते हाे मेरे साथ।” साेफी ने अपनी ऒर से राहुल से आग्रह किया था।
“मुझे मंजूर है।” राहुल तुरंत मान गया था।
“माेर द मैरियर।” सर राॅजर्स ने भी आशीर्वाद दिया था।
मूडी भी बेहद प्रसन्न था। एक के ऐवज दाे वरदान मिल रहे थे उसे और क्या चाहिये था?
स्काई लार्क में आज खुशियाें का समुंदर छलक पड़ा था।
सर रॉजर्स के आग्रह पर बरनी ने बड़े सोच समझ के साथ जालिम को ट्रैप करने की योजना तैयार की थी।
“मूडी तुम्हारा किरदार होगा – एडीसी टू रोलेंडो।” बरनी सर रॉजर्स के समक्ष अपनी बनाई प्लान रख रहा था। “इसका मतलब समझते हो?” बरनी ने प्रश्न पूछा था मूडी को।
मूडी चुप था। मूडी की समझ से बाहर था जो बरनी पूछ रहा था।
“बॉस से बड़ा बॉस का चमचा होता है।” हंसा था बरनी। “एक दलाल अपने मालिक पर बहुत भारी पड़ता है। तुम रोलेंडो के एडीसी हो। मतलब कि यू आर ए पावर। तुम रोलेंडो के नाम पर कोई भी गेम खेल सकते हो।”
“और रोलेंडो?” मूडी ने दूसरी बार प्रश्न पूछा था।
“रोलेंडो – ए नारको किंग इज ए शैडो।” बरनी ने बयान किया था। “बात को समझो मूडी।” बरनी गंभीर था। “रोलेंडो प्रत्यक्ष में कभी होगा ही नहीं। प्रत्यक्ष में होगा एडीसी टू रोलेंडो लेकिन रोलेंडो के नाम पर सारे सौदे होंगे। नाऊ यू अंडरस्टेंड?”
“आई गौट इट।” मूडी ने तनिक विहंस कर कहा था। वह समझ गया था कि उसे ये ड्रामा खेलना था।
“और तुम मूडी नहीं एक सुपरमैन होगे – एक ऐसा आदमी जो आताल पाताल एक कर सकता हो। ए जैक ऑफ ऑल ट्रेड्स, समझे?”
“अब समझ गया सर।” मूडी हंस गया था। बरनी ने निगाहें घुमाई थीं और राहुल को देखा था। राहुल भी समझ गया था कि अब उसका नम्बर था।
“तुम – राहुल। होटल व्योम बसेरा के मालिक हाकिम साहब पर काबू करोगे।” बरनी का आदेश आया था। राहुल भी अब सतर्क था। लेकिन बरनी चाहता क्या था – वह समझ लेना चाहता था।
“नहीं समझे?” बरनी मुसकुराया था। “इस तरह से समझो राहुल कि तुम एक ऐसे चैफ हो जिसका कोई जवाब नहीं। तुम अमीन अंसारी हो। दुबई के होटल जहीर – सात सितारा में नौकरी पर थे। तब तुम्हारी मां बीमार हुई थी। लेकिन होटल से छुट्टी नहीं मिली। तो मां से मिलने चले गए – बिन आज्ञा लिए। तुम्हें जहीर से निकाल दिया गया। अब तुम सड़क पर हो। कोई नौकरी नहीं देता क्योंकि जहीर ने तुम्हें ब्लैक लिस्ट कर दिया है। अब तुम्हें हाकिम साहब की मैहरबानी मांगनी है। व्योम बसेरा में नौकरी करनी है। चैफ की नौकरी और जब जालिम आता है तो ..।” रुका था बरनी।
“तो ..?” राहुल ने पूछ लिया था।
“चिपकना है तुम्हें जालिम से। चैफ उसका पर्सनल चैफ बन जाना है। कैसे ..? तुम खुद ईजाद करोगे अपना रास्ता।”
राहुल सोच में पड़ गया था। मोर्चा बहुत कठिन था। वह समझ तो रहा था लेकिन काम जो होना था वह असंभव था। जालिम से चिपकने का अर्थ था – सोफी के समीप रहना, उसकी समझ में आया था। और अब राहुल को यह काम हर कीमत पर करना था।
“खोज लूंगा कोई रास्ता सर।” राहुल ने बरनी का आदेश मान लिया था।
अब तीसरा किरदार सोफी का ही था। बरनी ने सभी लोगों को चकित निगाहों से देखा था।
“सोफी। तुम होगी रजिया सुल्तान।” बरनी ने खुलासा किया था। “रजिया सुल्तान माने कि मरहूम नवाब अली वर्दी खां की अकेली संतान।” बरनी ने बात में रंग भरा था। किरदार के करैक्टर को ऊपर उठाया था और कहा था। “नवाब अली वर्दी खां तीन साल की बीमारी के बाद मरे, सब लुट गया। बिक गया। रजिया सुल्तान अब निपट अकेली, लाचार और गमगीन, बिकने के लिए मजबूर गुलाम अली की शरण में हाजिर।” बरनी रुका था। उसने सोफी की ओर देखा था। सोफी का चेहरा आरक्त था।
“गुलाम अली खुश हो जाएगा – एक बेहत खूबसूरत और मजलूम औरत को पा कर। वह तुरंत आने वाले जालिम के साथ सौदे के बात सोचेगा। जरूर सोचेगा। और गुलाम अली तुम्हें जालिम को बेच देगा।” हंसा था बरनी। “अब आगे का रास्ता तुम स्वयं बनाओगी।” बरनी ने सोफी को भी मझधार में छोड़ दिया था।
तालियां बजी थीं। बरनी की प्लान वर्केबल थी। ये बेल मढ़े पर चढ़ सकती थी। सर रॉजर्स भी मान गए थे।
आज पहली बार सर रॉजर्स को एक लम्बी जिल्लत के बाद थोड़ा सा सुकून मिला था।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड