सीनियर ऑफीसर मुनीर खान जलाल का अचानक अस्पताल से गायब हो जाना – नैशनल न्यूज बन गई थी।

जरनल नारंग और सलमा के मर्डर से जुड़ा मुनीर खान जलाल भी अब बेहद प्रासंगिक हो उठा था। उसके प्रति अब तक की उमड़ी सहृदयता और सहानुभूति – शकों में बदल गई थी। कुछ तो था जो मुनीर अस्पताल से यों गायब हो गया था – लोगों के लिए यह अहम प्रश्न बन गया था।

सलमा के साथ नारंग के अनैतिक संबंधों को अब अफवाहें बताया जा रहा था। मामला तो कुछ और ही था और लोगों के बीच इनकी चर्चा थी।

“किसे सबसे ज्यादा फायदा है – नारंग की मौत से?” आम प्रश्न पूछा जा रहा था।

सोलंकी बड़ा ही होनहार और डैकोरेटेड सोल्जर था। वह जहां अपने संगी साथियों का प्रिय था वहीं पब्लिक का भी बहुत प्यारा था। वह चीफ बनने वाला था – इसकी खुशी सभी को थी और वह चर्चा में था। देश और समाज को नारंग से बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन उसका यों सलमा के साथ अफेयर जो उसके जिगरी दोस्त की वाइफ थी उसकी हत्या का कारण बन गई थी। लेकिन लोगों को ये बेमानी लग रहा था।

“बलूच!” एक नाम था जो हर बार हर किसी की जुबान पर आता था और अटक जाता था। “बलूच ने ही ये सब मैनेज किया है।” लोग अब कहने लगे थे। “वही तो चीफ बनेगा अब?” प्रश्न उठा था और फिजा पर फैल गया था।

“मुनीर को किडनैप करने में भी उसी का हाथ है।” एक दूसरा आरोप भी बलूच के सर मढ़ दिया गया था। “ये तीनों चारों दोस्त तो थे ही।” लोगों को सब पता था। “कुछ हुआ होगा इन चारों के बीच ..?” शक था जनता का।

लेकिन अभी तक कोई पक्का सुराग या सबूत सामने नहीं आया था।

पी एम ने कोर्ट ऑफ इनक्वारी ऑडर कर दी थी।

पांच मिलिट्री जरनल मैंम्बर थे और दो सिविल सर्वेंट उनके साथ में एज़ स्पैश्यल एडवाईजर नियुक्त हुए थे। एक सप्ताह के अंदर पता करना था कि आखिर ये मामला था क्या?

“बलूच चीन क्यों गया?” अमेरिकन एम्बैसी से पत्र आया था और कारण बताने की मांग की थी।

पी एम सकते में आ गया था। प्रश्न का उत्तर उसे पता था और नहीं भी पता था। पी एम को बताना भी सब था और बताना भी कुछ नहीं था।

आज पाकिस्तानी लोग जान गए थे कि अमेरिका उन्हें भारत से लड़ाने के लिए एज ए रिजर्व फोर्स तैयार करता है। जहां तक पाकिस्तान के विकास की और प्रगति का सवाल था उसे कोई लेना देना न था।

लेकिन पाकिस्तान के पड़ौसी देश जिन्होंने चीन से संबंध बना लिए थे अब खूब खा पी रहे थे। चीन खुला पैसा देता था। देश में विकास के लिए सड़कें और उद्योग लगाता था। लेकिन अमेरिका ..

लोगों को उम्मीद थी कि अगर बलूच ने चीन को मना लिया तो ..

और अमेरिका भी अब जान गया था कि अगर चीन की पाकिस्तान में एंट्री हो गई तो उनका सारा खेल बिगड़ जाएगा। चीन तो देशों को बेभाव खरीद लेता था। चीन के इरादे ही अलग थे। वो हर कीमत पर अमेरिका को मात देना चाहता था। रोड एंड बैल्ट का प्रोजैक्ट चलाने में चीन इंटरैस्टिड था। अरब सागर तक पहुंचना था उसे। इसका सीधा रास्ता पाकिस्तान और बलूचिस्तान से जाता था। एक बार अरब सागर में एंट्री होने के बाद तो चीन के हाथ दुनिया की नब्ज आ जानी थी।

“क्या खिचड़ी पका रहा होगा बलूच चीन में?” अमेरिकन राजदूत को इसकी बड़ी चिंता थी। “दिस ब्लाइटर इज वैरी-वैरी डेंजरस!” उसने अपने स्टाफ को स्पष्ट बता दिया था।

और एक बलूच ही था जिसने अकेले ही अमेरिकन्स की नींद हराम कर दी थी।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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