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ख्वाब

जागती आँखो से उसने ख्वाब बहुत दिखलाये।
मगर हम समझ ही न पाये ये ख्वाब है पराये।

लोगो ने हमारे आँसू भी खुशी के ही समझे
खुशी इसी मे थे उन्होने थे जाम टकराये।

बेसबब हम भी इसी को खुशी समझ बैठे
मालूम तब हुआ जब आँसू निकल ही आये।

ऐ खुदा तेरी बन्दगी करने से क्या हमे मिला
जब इस जहा मे हमे न इंसान मिलवाये

Surinder kaur

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