भरे हुए हैं शूरवीर यहाँ बस तू ही नहीं अकेला है
जितने भी दिख रहे इंसान सबमें एक विजेता है
लड़ी हुई है युद्ध सभी ने बाधाएँ सब ने झेली हैं
कष्टों को सह के सभी ने जीत की होली खेली है
अलग सभी का कौशल है सबकी अपनी रुचियाँ है
रोहित बल्ले से बोला है तो बुमराह गेंद से गुर्राया है
अपने अपने क्षेत्रों में सबने अपना परचम लहराया है।

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