“माइक ..! माइक ..! माइक ..!” कहकर मैंने जाेराें से टेबुल पर मुक्के मारे हैं।
क्राेध का एक सागर मेरे हिये में हिलाेरें ले रहा है। एक निराशा है जाे मुझे इस सागर में डुबाेए दे रही है। एक ग्लानि है – असफल हाे जाने की ग्लानि, जाे मेरा गला घाेंट देना चाहती है। हाथ लगी इस शिकस्त का मैं क्या करूं? मैं क्या करूं ..
“सच एन ईडियट!” मैं बाॅस काे काेसने लगती हूॅं। “ये अमेरिका का दुश्मन ..।” मैं कहती ही जाती हूॅं। “मैरिट के लिए काेई लिहाज नहीं – इस आदमी के यहां। तभी ताे सब इसे गालियां देते हैं। कितने ही बुलंद लाेगाें का कैरियर चाैपट किया है – इस आदमी ने? कितने ही लाेगाें के जाॅब खा गया है यह भेड़िया और कितने ही लाेगाें के ..”
मेरा घाेड़ा आ गया है। अब मैं अपने घाेड़े पर बैठ कर इस आई विकट स्थिति से भाग जाना चाहती हूॅं। मैं अब माइक – अपने बाॅस पर चढ़ाई कर देना चाहती हूॅं। मेरा मन है कि मैं ..
“बिलकुल अपनी मां की तरह है।” मैंने डैडी की आवाजें सुनी हैं। “उसे जब क्राेध आता था ताे जान लेने पर उतर आती थी।” डैडी तनिक हंसे हैं।
“मैं समझा लूंगा।” राॅबर्ट ने उनके उत्तर में कहा है। राॅबर्ट आज बहुत प्रसन्न है। उसका चेहरा गजब के भावाें से भरा है – विजय के भावाें से। मेरी शिकस्त उसकी विजय बन गई है। “मैं मना लूंगा उसे।” राॅबर्ट ने फिर से कहा है। “अब हम दाेनाें वर्लड टूर पर साथ-साथ चले जाएंगे। मैं ताे कब से चाहता था कि ..”
“बैस्ट ऑफ लक।” डैडी ने आशीर्वाद जैसा दिया है राॅबर्ट काे।
“वैसे भी सर मुझे ताे ये जासूसी बिलकुल वाहियात काम लगता है। जान जाेखिम देखिये .. जान कब चली जाए, क्या पता? फिर देश भी जरूरत पड़ने पर जासूस काे नहीं जानता। देश से न काेई उसका नाम न काेई नाता। उसका ताे काेई फाेटाे तक नहीं छपता। काम आपका – नाम नेताऒं का। जान आपकी जाए – और माल काेई और खाए। और फिर जासूस हाे मात्र यह जानते ही आप एक खतरनाक वस्तु बन जाते हैं – आदमी ताे रहते ही नहीं आप।”
“अपना-अपना शाैक है, राॅबर्ट।” डैडी ने सीधे स्वभाव में कहा है। “मैं जब वियतनाम की लड़ाई में जा रहा था ताे उसने भी यही कहा था।”
“किसने ..?” राॅबर्ट ने चाैंक कर पूछा है।
“साेफी की मां ने।” टीस आए हैं, डैडी।
मैं जानती हूॅं कि अब डैडी राॅबर्ट काे अपनी वही दुख भरी कहानी सुनाएंगे जिसे वाे कई बार मुझे सुना चुके हैं।
“वियतनाम की लड़ाई में जाना मेरे लिए अनिवार्य था .. क्याेंकि ..”
“द हैल विद वाॅर।” उसने भड़क कर कहा था।
“बट यू डाॅन्ट अंडरस्टैंड।” मैंने उसे समझाना चाहा था।
“आई डू।” उसने गरजते हुए कहा था। “आई नीड यू – नाॅट द वाॅर। वी हैव मनी एंड वी हैव अवर अंपायर। दैन वाय दिस ब्लडी वाॅर?”
“देश के लिए। अमेरिका इज काॅलिंग मी डार्लिंग।”
“देश हमें क्या दे देगा?”
“देश निकाला।” मैंने चिढ़ कर कहा था।
“कहीं और जाकर रह लेंगे।” उसका बेबाक उत्तर था।
वालेशिया का सपना झट से मेरे दिमाग में कूद गया है।
क्याें न मैं वालेशिया चली जाऊं? क्याें न मैं वहां जा कर और वहां के राजा के साथ मिल कर अपना एक साम्राज्य बनाऊं? क्याें न मैं इस जालिम काे पकड़ कर कैदखाने में डाल दूं और वालेशिया में रह कर एक छत्र राज्य करूं?
एक साम्राज्य स्थापित करने का यह सपना अब मुझसे नाचने काे कह रहा है। मैं चाहती हूॅं कि मैं नाच-नाच कर वालेशिया के राजा काे पा लूं और उसे अपना बना लूं। उसे .. हां-हां उसे ..
अब मैं घाेड़े पर चढ़कर भागती हूॅं। घाेड़ा भागता है टपर-टपर-टपर। लगता है मेरे घाेड़े की टापें माइक के शरीर पर छाेटी-छाेटी चाेटें मार कर उसे कष्ट पहुंचा रही हैं। घाेड़ा कभी माइक काे दुलत्ती मारता है ताे कभी टापाें से उसका माथा सेक देता है। मुझे अब सुख मिल रहा है – अपार सुख। मैं अपने प्रतिशाेध में कामयाब हाेती लग रही हूॅं।
“माइक एक नाम है, एक शक्ति है। एक ऐसी शक्ति जिसे अमेरिका मान देता है।” मेरा विवेक मुझे बता रहा है। “फिर उसके साथ संग्राम क्याें?”
“क्याेंकि उसने मुझे निकाल फेंकने की जुर्रत कैसे की? क्या कमी है मुझमें? कहां असमर्थ हूॅं मैं। मैं जालिम के पीछे जाना चाहती हूॅं। यही ना? मैं जालिम काे जीत लेना चाहती हूॅं – यही ना? मैं अमेरिका काे ..?”
“सपने और साकार दाे अलग-अलग बातें हैं साेफी।” डैडी की आवाज कहीं से चली आती है। “तुम्हारी मां भी यह सब नहीं मानती थी। जिद्दी थी, बहुत जिद्दी। बिलकुल तुम्हारी ही तरह। जब मैंने उसे वियतनाम की लड़ाई में जाने की सूचना दी थी ताे उसने तुरंत कह दिया था – वी आर ..”
“डाइवाेर्स्ड ..?” मैंने वाक्य पूरा कर पूछ लिया है।
“यस।” डैडी ने भी स्वीकार में सर हिलाया है।
“लेकिन मैं ताे शादी ही नहीं करूंगी।” मैंने जैसे स्वयं से कह दिया है। “आई वांट नाे बैरियर्स।” मैंने एक घाेषणा जैसी की है। “राॅबर्ट ..? यस – ए फ्रेंड। दैट्स ऑल।” मैंने स्पष्ट में कहा है। “मैं और राॅबर्ट मेल ही कहां खाते हैं? वह चूहा है और मैं बिल्ली।” मैं जाेराें से हंस पड़ी हूॅं।
घुड़सवारी से लाैटी हूॅं ताे तनिक सी राहत महसूस कर रही हूॅं।
“हैलाे साेफी ..?” लैरी का फाेन है। मन ताे नहीं चाहता कि मैं लैरी से बात करूं पर फिर बाेलती हूॅं – यस लैरी? मेरा स्वर संयत है। “हाऊ इज द बाॅस?” मैं उसे सीधा ही प्रश्न पूछ लेती हूॅं।
“ही इज इन ट्रबल।” लैरी बता रहा है। “डीप-डीप .. वैरी डीप।” वह तनिक सा खुलासा करता है।
“आई विश ही इज ऑलसाे फायर्ड।” मैं बाॅस काे काेसती हूॅं।
“मे बी ..!” लैरी इस संभावना से इनकार नहीं करता। “आई वाॅन्ट टू मीट यू साेफी।” वह अपनी इच्छा जाहिर करता है।
“ऐनी टाइम यू प्लीज, लैरी। नाऒ आई एम फ्री लाइक ए बर्ड।” मैं अभिमान के साथ कहती हूॅं।
राॅबर्ट ने सब कुछ सुन लिया है। राॅबर्ट फिर से गमगीन हाे गया है। उसकी मुसकान तक गायब हाे गई है। अब राॅबर्ट एक घाेर चिंता में है। लगता है अब वह दाैड़ कर डैडी के पास जाएगा और उनसे मेरी शिकायत लगाएगा और कहेगा, “ये लड़की – ये जासूस लड़की कभी बाज नहीं आएगी अपनी हरकताें से। काेड़े माराे इस गुस्ताख लड़की में। और इसे समझाऒ ..” और मैं हूॅं कि हाहा कर बेतहाशा हंसने लगती हूॅं।
“बंद कराे इन जासूसाें से मिलना जुलना, साेफी।” राॅबर्ट प्रत्यक्ष में कह रहा है। उसकी आवाज में एक आदेश है – मेरे लिए आदेश। “ये लाेग बहुत ही निकृष्ट हैं। इनसे मेल जाेल तक रखना भी खतरनाक है। इनका ताे नाम तक लेना पाप है, साेफी।”
“देश डूब जाएगा राॅबर्ट। इनके बिना सत्ता नहीं चलती माई डियर। ये देश की आंखें हैं, ये देश के कान हैं और ये देश के कर्णधार हैं। सल्तनतें बाताें से नहीं चला करतीं राॅबर्ट।”
मैं अब राॅबर्ट के शिशु से भाेले चेहरे काे निरख परख रही हूॅं। वह कहीं खाे सा गया है। वह फिर से डर गया है। वह बहुत ही भीरु स्वभाव का है। उसे जिंदगी में काेई लफड़ा नहीं चाहिए। वह ताे सिर्फ मुझे ही पा लेना चाहता है – हर कीमत पर। पर कीमत चुकाए बिना आपकाे अपना इष्ट मिलता कब है? राॅबर्ट शायद ये नहीं समझता कि ..
“मैं ताे प्रेम का पुजारी हूं, साेफी।” राॅबर्ट फिर से अपने प्रेम की ही दुहाई देता है। “मैं .. तुम्हारे बिना .. साेफी ..” वह रुआंसा हाे कर बाेलता है।
“और मैं जालिम काे बिन पाए नहीं रह पाऊंगी राॅबर्ट।” मैं भी स्पष्ट ही कह देना चाहती हूॅं। पर कुछ साेच कर रुक जाती हूॅं। “दैन यू वेट फाॅर मी।” मैं एक सीधा सा वाक्य कह जाती हूॅं। “आई हैव ए मिशन टू कम्पलीट, राॅबर्ट।” मैं तनिक सा खुलासा कर देती हूॅं।
“वही जालिम?” राॅबर्ट सीधा प्रश्न करता है।
“हां, जालिम।” मैं भी प्रश्न का सीधा ही उत्तर दे देती हूॅं।
मेजर कृपाल वर्मा (रिटायर्ड)