कभी सपने में भी नहीं सोचा था.. ऐसा कुछ हो जाएगा.. तुम यूँ अचानक ही हमेशा के लिये छोड़कर हमें कहीं और चली जाओगी। वैसे देखा जाए.. माँ!.. तुम चुपके से ही छोड़कर चलीं गयीं। एक-साल से भी ऊपर हो आया है.. तुम्हारी झलक तक देखने को नहीं मिली है। हाँ!. आ जाती हो तुम भूले से सपनों में.. पर वो भी बहुत कम। साथ रह गई है.. तो बस तुम्हारी एक ही चीज़.. तुम्हारी खुशबू और तुम्हारा प्यार।

आज जब में तुम्हें ख़ोकर अकेली बैठती हूँ, तो मुझे अपने लड़की या फ़िर अब तो महिला होना भी अच्छा नहीं लगता। काश! मैं तुम्हारा बेटा ही होती.. बिना किसी झंझट में पड़े.. तुम्हारे साथ ही रहती। कम से कम चाहे कैसा भी रिश्ता बना होता मेरा और तुम्हारा पर आख़िरी समय में तुम्हें टाटा करने.. तुम्हारे पास ही होती मैं माँ!.. मुझे अपनी आख़िरी साँस तक इसी बात का अफ़सोस रहेगा.. कि मैं तुमसे मिल न पायी.. तुम अपना इतना लम्बा सफ़र तय करने जा रहीं थीं.. पर तुम्हें देख न पाई थी, मैं। आज तुम तो हो नहीं.. पर मैं अक्सर तुम्हारी खुशबू और तुम्हारा प्यार लिये तुम्हें ढूँढती ही रहती हूँ। काश! कोई चमत्कार हो जाए.. और तुम्हारी कोई झलक ही देखने को मिल जाए। पर ऐसा होता थोड़ी ही है.. सब मन का वहम है.. जो लोग इस दुनिया में नहीं रहते.. वो कभी फ़िर दोबारा हक़ीक़त नहीं बनते हैं। ऐसे ही माँ मुझे मालूम है.. कि अब तुम कभी न लौटोगी.. पर तुम्हारी खुशबू और तुम्हारा प्यार हमेशा ही हमारे संग रह जाएगा।

आज भी तुम्हारे कपड़े, तुम्हारे पहनने ओढ़ने का तरीका सभी कुछ इन हवाओं में यूँ का यूँ है..आज भी तुम्हारी वो आवाज़ मेरे कानों में बिल्कुल वैसे ही गूँजती है.. जिस तरह तुम मुझे आवाज़ देकर बुलाया करतीं थीं। इन हवाओं में अक्सर ही तुम्हारी खुशबू और तुम्हारा प्यार मुझे महसूस होता रहेगा।

कोई बात नहीं माँ!.. तुम अपनी खुशबू और अपना प्यार और अपने होने का अहसास इन हवाओं में ही बनाए रखना। तुम साथ में न सही तो कोई बात नहीं.. आगे का जीवन तुम्हारी खुशबू और प्यार के सहारे ही पूरा कर लूँगी मैं, माँ!.. पर फ़िर भी तुम्हारे चेहरे की एक झलक देखने को मेरा मन हमेशा करता रहेगा।

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