क़ीमत

क़ीमत

” अरे! रे! ..रे! क्या फेंक रही हो! गाय के आगे दीदी.. रुको!”। ” कुछ नहीं छोले हैं! पता नहीं.. कब के पड़े थे.. ध्यान ही नही रहा.. पैकेट खोला तो ये काली सुरसी लगी पायीं! क्या करती.. पानी में भिगो रखे थे.. सोचा गाय को ही दे दूँ!”। ” अरे!...