” ए! बता तो क्या लायी है! Tiffin में!.. बता न!”।

” क्यों क्या करना है..  नहीं!.. please मुझे lunch करने दो! Interval ख़त्म हो जाएगा”।

” अच्छा! चल.. इस ऊपर वाले खाने में क्या है!’।

” क्यों पीछे पड़ रहे हो! तुम लोग मेरे यार.. कुछ नहीं है! उसमें!”।

नया लंच बॉक्स लेकर जाने लगे थे.. स्कूल में.. अच्छा था.. सुन्दर रंग का.. दोस्तों की नज़र हमारे ही लंच बॉक्स पर थी..

हम भी हैरान- परेशान से हो रहे थे..  कि आख़िर बात क्या है.. क्यों हमारे लंच बॉक्स के ऊपर वाले खाने के पीछे पड़े हैं.. ये लोग!

पर पीछा नहीं छोड़ा था..

” बता भी दे! क्या लाई है..! ऊपर वाले खाने में!”।

” कह तो दिया तुम लोगों से! कि. केवल. ब्रेड जैम लाई हूँ! ऊपर वाला लंच बॉक्स का खाना एकदम ख़ाली है! पर तुम लोग थोड़े ही मानोगे.. लो! देखो..!”।

” आ…!! आह..!! एई..! क्या है.. ये!”।

” हा! हा! हा…!!’।

और ठहाकों से पूरी हमारी क्लास गूंज उठी थी.. 

दअरसल हमारे दोस्तों ने पूरी प्लानिंग से हमारे टिफ़िन में पहले ही हमें डराने के लिए.. एक नकली काले रंग का scorpio ऊपर वाले लंच बॉक्स के खाने में रख दिया था.. जैसे ही हमनें सफ़ाई पेश करने के लिए.. ढक्कन खोला .. नकली scorpio देख.. हमारी चीख आसमान में होकर निकली थी.. और दोस्तों की हँसी का ठिकाना न रहा था।

जीवन का यह सफ़र बचपन की कुछ खट्टी-मीठी यादों के साथ.. ऐसे ही रंगीन और मज़ेदार बना रहता है।

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