” वो आप उस दिन वाला साग बना दोगी!”।

बेटे ने छत्त पर टहलते हुए, मुझसे कहा था।

” हाँ! पर कल नहीं, समय लगता है.. आज मैं सामान मंगवा कर कल बना दूँगी”।

” अच्छा लगा था!”।

” हाँ!”।

दरअसल इस मौसम के चलते, मेरे पास फ्रिज में एक गड्डी पालक और लगभग दो गड्डी मैथी के पत्ते रखे थे.. तो उबाल कर साग तैयार कर दिया था।

कोई विशेष विधि नहीं लगाई थी.. पर वाकई में चीज़ स्वाद की बनी थी।

तो बस! बच्चे की एकबार और वाली फ़रमाइश सुन, मैने इस बार तरीक़े से साग बनाने का सोचते हुए, सामान की लिस्ट तैयार कर डाली थी।

” हम्म..! दो गड्डी पालक, एक गड्डी मैथी, एक गड्डी बथुआ, और चलो फ़िर प्रॉपर बनाना है.. तो एक गड्डी सरसों के लिए भी कह देती हूँ”।

और लिस्ट पतिदेव के हाथों में थमा, शाम के वक्त सामान मंगवा लिया था।

अगले दिन तैयारी शुरू करते हुए, सबसे पहले मैंने पालक की दोनों गड्डियाँ उठाकर उनके पीछे वाली तरफ़ से मोटे डंठल काट कर अलग दिए थे, मैथी की गड्डी से भी पीछे की तरफ़ से डंठल अलग कर चाकू की मदद से आगे से पत्ते से भरे गुच्छे काट- कर रखे थे.. इसी तरह से सरसों और बथुआ भी साफ़ कर लिया था।

सभी चीज़ों को अच्छे से पानी से धोकर, कुक्कर में उबलने रख दिया था… पर ऊपर से पानी नहीं डाला था, बस! यही धुली हुई, सब्ज़ियां थीं।

तीन-चार सिटी लगाने के बाद, प्रैशर ठंडा होने पर, लकड़ी की रई लेकर मैने.. इन सभी अच्छे ढँग से गली हुई.. हरी सब्जियों पर गर्म-गर्म में ही रई घुमा दी थी। सभी चीज़ें लकड़ी की रई से ज़ोर देते हुए, मिक्स हो गईं थीं, पर पानी अलग था.. और देखने में भी हरे-हरे डंठल से नज़र आ रहे थे.. साग को गाढ़ा और मलाईदार मिक्स बनाने के लिए.. हमें सभी उबली हुई हरी सब्जियों को इस तरह अलग न रखते हुए, एक बाइंडर की ज़रूरत होती है.. जो या तो आटा हो सकता है.. या फ़िर बेसन, या मक्की का आटा।

जो भी आपकी पसंद हो.. आप ले सकते हैं, इससे स्वाद में कुछ ख़ास फ़र्क नहीं आता।

तो बस! इतने हरे साग के लिए.. मैंने दो बड़े चमचे आटे का ठंडे पानी में गाढ़ा सा घोल बना.. कुक्कर में डाल मीडियम आँच पर रई से घुमाना शुरू कर दिया था.. जैसे-जैसे साग उबल रहा था, और लगातार उसमें मेरी रई घूमती जा रही थी.. यह गाढ़ा और मिक्स होते हुए.. अब बढ़िया मलाईदार दिखने लगा था। लगभग आधे-पौने घन्टे का समय तो लग ही गया था।

अब इसमें तड़का डालने की बारी थी..

मैंने अपनी कुक्कर वाली गैस को धीमी आँच पर कर, पर बीच-बीच में चलाते हुए , दूसरी गैस पर तड़के की तैयारी के लिए.. छोटा frypan चढ़ा उसमें.. पाँच बड़े चम्मच देसी घी गर्म कर, थोड़ा जीरा डाल, एक छोटी कटोरी मोटा कटा हुआ लहसुन छोड़, अब लहसुन सुनहरा होने पर उसमें मोटे-मोटे कटे हुए, बढ़िया ताज़े नरम देसी टमाटर आधा किलो से ज़्यादा, टमाटर ज़्यादा अच्छा स्वाद देते हैं।

हाँ! हरी-मिर्च बारीक काट कर स्वाद अनुसार और अदरक लगभग पचास ग्राम के करीब साग में पहले ही डाल दें, फ़िर इन सभी चीजों के तड़के को बहुत ज़्यादा न पकाते हुए.. साग में डालकर रलने-मिलने तक आधे घन्टे के लिए पकाइये। 

वाकई! मैं न कोई mixie, न कोई ख़ास बारीकी पर हाँ! आटा डालकर मिक्सिंग का ध्यान रखना पड़ता है.. पर साग तो गज़ब का स्वाद तैयार हो जाता है। नमक, हल्दी, और लाल मिर्च स्वाद अनुसार डालें कोई गर्म मसाले की ज़रूरत नहीं पड़ती। साग बनने के बाद.. मोटे कटे टमाटर, लहसुन और अदरक का एक अलग मस्त सा स्वाद आता है.. जो mixie में पीस कर बनाने के बाद ख़त्म हो जाता है।

 खैर! हमनें तो भई! अपना साग इसी तरह प्यार की मेहनत की मिक्सिंग करते हुए, तैयार कर बच्चों को मक्के की रोटी के संग परोसा था.. जिसे खाते ही हमारे बच्चे हमसे बोले थे..

” बहुत ही टेस्टी बनाया है.. आपने! हर बार हमारे लिए आप ऐसे ही यही साग वाली सब्ज़ी बनाया करो!”,।

प्यार भरे शब्दों ने हमारा जी ख़ुश कर दिया था.. और ये हाथ फ़िर कुछ नया और टेस्टी बनाने के लिए बेचैन हो गए थे।

Discover more from Praneta Publications Pvt. Ltd.

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading