कलकत्ता से आया गुल्ला

रोशो गुल्ला रोशो गुल्ला

कुल्हड़ भर-भर घर

में आता

रोशो गुल्ला सबको भाता

रोशो गुल्ला संग

भाया कलकत्ता

भूल गए

सम्बोधन उसका

रसगुल्ले से रोशो गुल्ला

नाम पड़ गया

उसका भइया

श-श ज़बान पर आया

सच! कलकत्ता ख़ूब

था भाया

रोशो गुल्ला खा

विक्टोरिया घूमें

बोटोनिकल गार्डन

भी था

याद है आया

बचपन का वो

कलकत्ता भी

वाकई मन को

ख़ूब था भाया

रोशोगुल्ले का मीठापन

वो आज भी

रह-रह मन

को भाया

मन में आज

कलकत्ता घूमा

बचपन मीठा

फ़िर से याद

है आया।

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